MHA: CAPF को ‘सीमा पर मधुमक्खियों के छत्ते’ पहल अपनाने का निर्देश, जानें BSF का अपराध को रोकने का अनूठा प्लान
बीएसएफ बटालियन के कमांडिंग ऑफिसर कमांडेंट सुजीत कुमार ने बताया कि बीएसएफ की दक्षिण बंगाल सीमा के अंतर्गत आने वाले सीमावर्ती इलाकों में मवेशी, सोना, चांदी और नशीले पदार्थों की तस्करी जैसे सीमा पार अपराध होने का खतरा है।
विस्तार
सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) भारत-बांग्लादेश सीमा पर मवेशियों की तस्करी सहित अन्य अपराधों को रोकने के लिए एक अनूठा प्रयोग कर रहा है, जिसके तहत वह वहां मधुमक्खियों के छत्ते लगा रहा है। उसकी इस पहल को बढ़ावा देने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने केंद्रीय अर्धसैनिक बलों और संबद्ध बलों को सीमा पर मधुमक्खियों के छत्ते लगाने का निर्देश दिया है। ताकि स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर बढ़ सकें और सुरक्षा मजबूत हो सके।
बीएसएफ की 32वीं बटालियन की तारीफ
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि यह फैसला अप्रैल में केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला की अध्यक्षता में ‘मधुमक्खी पालन और शहद मिशन’ पर हुई बैठक के दौरान किया गया। इस दौरान पश्चिम बंगाल के नादिया जिले में भारत-बांग्लादेश अंतरराष्ट्रीय सीमा की रक्षा के लिए तैनात सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की 32वीं बटालियन द्वारा शुरू की गई पहल की प्रशंसा हुई।
सुरक्षा को मजबूत करना मकसद
सीएपीएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बैठक में सभी केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों को निर्देश जारी किए गए कि वे इस पहल को अपने संबंधित क्षेत्रों में अपनाएं। अधिकारी ने आगे कहा कि अन्य सीमा सुरक्षा बलों, जैसे सशस्त्र सीमा बल (नेपाल और भूटान सीमाएं) और भारत तिब्बत सीमा पुलिस (चीन सीमा), केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) और केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ), सीएपीएफ,असम राइफल्स, राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) जैसे अन्य बलों के पास सुरक्षा के लिए बाड़ नहीं है। इसलिए मधुमक्खियों के छत्ते लगाकर सुरक्षा को मजबूत किया जा सकता है। विज्ञापन
आंख और कान के रूप में काम करते हैं स्थानीय लोग
करीब 12 लाख सैन्यबल भारत की अंतरराष्ट्रीय सीमाओं की रक्षा करने, नक्सल विरोधी अभियानों, आतंकवाद निरोधक और उग्रवाद विरोधी कर्तव्यों जैसे आंतरिक सुरक्षा से जुड़े विभिन्न कार्यों के लिए तैनात हैं। बीएसएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि मधुमक्खी पालन पहल को अपनाने का उद्देश्य दूरदराज के स्थानों में रोजगार पैदा करना, दोस्त बनाना और स्थानीय लोगों की सद्भावना अर्जित करना है, जो सुरक्षा के दृष्टिकोण से इन क्षेत्रों में आंख और कान के रूप में कार्य करते हैं।
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उन्होंने कहा, ‘भारत-बांग्लादेश सीमा पर मधुमक्खियों के छत्ते लगाने की परिकल्पना को पिछले साल दो नवंबर को मूर्त रूप देना शुरू किया गया था। अब तक करीब 200 मधुमक्खी के छत्ते लगाए हैं। इस पहल का उद्देश्य मवेशी, सोना और नशीले पदार्थों की तस्करी, बाड़ काटने आदि अपराधों को रोकना है।’
बीएसएफ बटालियन के कमांडिंग ऑफिसर (सीओ) कमांडेंट सुजीत कुमार ने बताया कि बीएसएफ की दक्षिण बंगाल सीमा के अंतर्गत आने वाले सीमावर्ती इलाकों में मवेशी, सोना, चांदी और नशीले पदार्थों की तस्करी जैसे सीमा पार अपराध होने का खतरा है और अतीत में ऐसे मामले सामने आए हैं जब बदमाशों और तस्करों ने अवैध गतिविधियों के लिए बाड़ काटने के प्रयास किए हैं। यह पहल इन्हीं अपराधों को देखते हुए की गई।
आयुष मंत्रालय को भी शामिल किया
इस परियोजना के लिए बीएसएफ ने आयुष मंत्रालय को भी शामिल किया है। मंत्रालय ने सीमा सुरक्षा बल को मधुमक्खी के छत्ते और मिश्र धातु से बने ‘स्मार्ट बाड़’ पर उन्हें ठीक से लगाने के लिए आवश्यक विशेषज्ञता प्रदान की है।
सीएपीएफ अधिकारी ने बताया कि गृह मंत्रालय कुछ समय से ‘मधुमक्खी पालन और शहद मिशन’ चला रहा है, लेकिन अब यह साफ हो गया है कि बीएसएफ पश्चिम बंगाल मॉडल को अपनाया जाना चाहिए ताकि स्थानीय लोगों और संबंधित बलों के लिए बेहतर परिणाम प्राप्त करने के लिए इस कार्यक्रम को बढ़ावा दिया जा सके।
उन्होंने कहा कि पिछले साल के अंत में ‘सीमा बाड़ पर मधुमक्खी के छत्ते’ मॉडल की शुरुआत के बाद से नदिया के सीमावर्ती क्षेत्र में बीएसएफ कर्मियों, आयुष मंत्रालय और सैकड़ों स्थानीय लोगों की भागीदारी के साथ एक लाख से अधिक पौधे लगाए गए हैं।
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