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नैक रिफॉर्म 2024 नोटिफिकेशन जारी:नैक में बड़े बदलाव की तैयारी, अब ग्रेडिंग सिस्टम बंद होगा, सिर्फ मान्यता मिलेगी

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नैक रिफॉर्म 2024 नोटिफिकेशन जारी:नैक में बड़े बदलाव की तैयारी, अब ग्रेडिंग सिस्टम बंद होगा, सिर्फ मान्यता मिलेगी

  • 30 जून को आएंगे नए नियम

नैक (एनएएसी) यानी राष्ट्रीय मूल्यांकन प्रत्यायन (प्रमाणन) परिषद अपने ग्रेडिंग सिस्टम में बड़ा बदलाव करने जा रहा है। हाल में एक नोटिफिकेशन के मार्फत संकेत जाहिर किए हैं, लेकिन बदलाव की विस्तृत रिपोर्ट 30 जून को जारी की जाएगी। इस बदलाव में सबसे अहम ये है कि अब ए, बी, सी या इससे मिलती-जुलती ग्रेड नहीं होगी। अब बाइनरी यानी दो आधार पर ही निर्णय होगा, जिसमें या तो नैक की मान्यता मिलेगी या नहीं मिलेगी। इसके अलावा सारे विकल्प खत्म कर दिए जाएंगे।

दरअसल 2020 में नेशनल एजुकेशन पॉलिसी प्रपोज की गई थी तब नैक में भी बदलाव की कवायद शुरू हुई थी। नैक सिस्टम में सुधार के लिए एक कमेटी बनाई गई थी, जिसका इंचार्ज डॉ. राधा कृष्णनन को बनाया गया था। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट केन्द्र सरकार को सौंप दी है। कमेटी के सुझाए गए बिंदु भी स्वीकार कर लिए गए। इसीलिए हाल ही में नैक रिफॉर्म 2024 के एनाउसमेंट का एक नोटिफेशन जारी किया गया। उसमें कहा गया कि 30 जून को नैक को लेकर पूरी विस्तृत रिपोर्ट जारी की जाएगी।

जुलाई से पहले जिन कॉलेजों की नैक मान्यता खत्म हो रही है, वे सिस्टम के तहत एप्लाई तो कर सकते हैं, लेकिन तब तक के लिए उनकी मान्यता को एक्सटेंशन मिल जाएगा। इसे मेच्योरिटी बेस एलाउंस में शामिल करेंगे। जिन्होंने अब तक ग्रेडिंग नहीं कराई वे नए सिस्टम के तहत एप्लाई कर सकते हैं। जिन्होंने एप्लाई कर दिया उन इंस्टीटयूट का निरीक्षण नए सिस्टम के तहत ही होगा।

क्या है नैक : नैक एक ऑटोनोमस बॉडी है जिसे 1994 में यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन ने स्थापित किया था। नैक ग्रेड देने के लिए संस्थानों की परफॉर्मेंस जिस आधार पर तय की जाती है उसके लिए पैरामीटर्स तय किए गए हैं। यह यूजीसी का एक हिस्सा है। इसका काम देशभर के विश्वविद्यालयों, उच्च शिक्षण संस्थानों, निजी संस्थानों में गुणवत्ता को परखना और उनको रेटिंग देना है।

यूजीसी की गाइडलाइन के मुताबिक सभी उच्च शिक्षण संस्थानों के लिए नैक से मान्यता प्राप्त करना जरूरी है। अगर किसी संस्थान ने इसकी मान्यता नहीं ली है तो उसे किसी भी तरह की सरकारी योजना का लाभ नहीं मिलेगा। नैक के तहत चार सालों के लिए ग्रेड दिया जाता है। चार साल बाद फिर से उस शिक्षण संस्था का निरीक्षण कर उसे ग्रेडिंग दी जाती है। लेकिन इस ग्रेडिंग को पाने के लिए शिक्षण संस्थानों को नैक की गुणवत्ता पर खरा उतरना पड़ता है। इसके लिए सबसे पहले उच्च शिक्षण संस्थान को नैक ग्रेडिंग के लिए आवेदन करना पड़ता है।

आवेदन करने के बाद नैक की टीम उस संस्थान का दौरा करेगी। इस दौरान नैक की टीम उस शिक्षण संस्थान में शिक्षण सुविधाएं, शिक्षकों का शैक्षणिक और शोध कार्य, वहां के रिजल्ट्स, इंफ्रास्ट्रक्चर, कर्मचारियों का वेतन, छात्रों को दी जाने वाली सुविधाएं (कैंटीन, हॉस्टल, खाना वगैरह) और कॉलेज का माहौल जैसे कई तरह का निरीक्षण करती है। इसी आधार पर टीम उस शिक्षण संस्थान को सीजीपीए दिया जाता है और इसी के आधार पर ग्रेड जारी होते हैं।

हालात : देश में 1113 में 437 विवि के पास ही नैक ग्रेडिंग

यूजीसी के मुताबिक देश में कुल 1113 विश्वविद्यालय हैं। जिसमें 437 के पास ही नैक की ग्रेडिंग है। जबकि बाकी 676 के पास नैक का मूल्यांकन नहीं है। इसी तरह पूरे देश में 43796 कॉलेज हैं। इनमें से 9335 के पास नैक की ग्रेडिंग है, लेकिन 34461 कॉलेज अभी तक मूल्यांकन करवाने में असफल साबित हुए हैं।

नई पॉलिसी से फायदा

बीकानेर को ही उदाहरण मान लें तो डूंगर कॉलेज ए+ ग्रेड का है और एमएस बी+ का। सरकार टीचर्स का ट्रांसफर करती है। ज्यादा ग्रेड वाले कॉलेज और कम ग्रेड वाले स्टाफ के बीच एक हीनभावना सी रहती है। स्टूडेंट्स में भी ये भावना आती है। अब सभी समान होंगे। यूजीसी से तकरीबन सभी को समान ग्रांट मिलेगी। अभी तक अच्छी ग्रेड वाले कॉलेज को ज्यादा ग्रांट मिलती थी। अब इसमें समानता करने की कोशिश की गई है।

अभी तक होती थी ग्रेडिंग

अब तक कुछ अलग बिंदुओं को देखते हुए ग्रेडिंग दी जाती थी। नए सिस्टम में मार्किंग का प्रोसेस क्या होगा इसका खुलासा भी 30 जून को होगा। पर इससे पहले जो सिस्टम था उसके तहत 3.76 या इससे अधिक अंक पाने वाले संस्थान को ए++, 3.51 से 3.75 अंक प्राप्त करने पर ए+, 3.01 से 3.50 अंक पर ए ग्रेड, 2.76 से 3 तक अंक प्राप्त करने पर बी++, 2.51 से 2.75 अंक पर बी+, 2.01 से 2.50 तक प्राप्त करने पर बी ग्रेड दिया जाता था।

ये अच्छी कोशिश है। अभी सिर्फ नोटिफेशन जारी किया गया है। कमेटी की रिपोर्ट का खुलासा 30 जून को होगा मगर जो प्राथमिक संकेत मिल रहे उससे अब कॉलेजों में ग्रेडिंग को लेकर जो असमानता होती थी वो नहीं होगी।
-मृदुल, नैक विशेषज्ञ, शारदा यूनिवर्सिटी, नोएडा

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