जरूरत की खबर- अमीबा शरीर में घुसा तो मौत पक्की:क्या है नेगलेरिया फाउलेरी, यह कैसे अटैक करता है, बचाव के लिए क्या करें
गर्मी के दिनों में नदी या तालाब में नहाने का एहसास बहुत लाजवाब होता है। बशर्ते पानी साफ-सुथरा और ठंडा हो। इसके अलावा पानी में कोई खतरनाक जीव-जन्तु न हो। लेकिन नदी, तालाब, झरने या झील में नहाना खतरनाक भी हो सकता है क्योंकि इस पानी में एक खतरनाक जीव के होने का खतरा है। यह जीव न कोई बैक्टीरिया है, न वायरस। यह एक फ्री लिविंग अमीबा है।
संभव है आपने कभी इसका नाम भी न सुना हो क्योंकि खुद मेडिसिन जगत के लिए यह अपेक्षाकृत नया और एक चुनौती की तरह है।
इसका नाम है नेगलेरिया फाउलेरी (Naegleri Fowleri)। आम बोलचाल की भाषा में इसे ‘ब्रेन ईटिंग अमीबा’ भी कहा जाता है।
हाल ही में केरल के मलप्पुरम में एक 5 वर्षीय बच्ची की इस अमीबा के कारण मौत हो गई। बच्ची को एक हफ्ते से ज्यादा समय तक वेंटिलेशन पर रखने के बाद भी उसे बचाया नहीं जा सका। इस घटना के बाद यह ब्रेन ईटिंग अमीबा सुर्खियों में बना हुआ है।
इससे पहले भी भारत सहित कई देशों में इस अमीबा की वजह से कई लोगों की मौत हुई है। इसका डेथ रेट 97% से अधिक है यानी अगर एक बार यह अमीबा शरीर में घुस जाए तो 97% आशंका है कि व्यक्ति बच नहीं पाएगा। इसलिए इसे एक लाइलाज बीमारी भी माना जा रहा है। ये बीमारी मरीज के दिमाग की सेल्स को ही नष्ट कर देती है।।
इसलिए आज जरूरत की खबर में बात करेंगे ब्रेन ईटिंग अमीबा की।
साथ ही जानेंगे कि-
- अमीबा के लक्षण क्या हैं?
- इससे बचाव कैसे कर सकते हैं?
एक्सपर्ट: डॉ. उत्कर्ष भगत, डायरेक्टर एंड एचओडी, न्यूरो सर्जरी, नारायणा हॉस्पिटल, गुरुग्राम
सवाल- ब्रेन ईटिंग अमीबा नेगलेरिया फाउलेरी क्या होता है?
जवाब- नेगलेरिया फाउलेरी एक अमीबा है। यह एक कोशिकीय जीव और फ्री लिविंग ऑर्गनिज्म है। इसका अर्थ है ऐसा जीव, जिसे सर्वाइव करने के लिए सपोर्ट या इकोसिस्टम की जरूरत नहीं होती। यह स्वतंत्र रूप से रहता है। यह पूरी दुनिया में कहीं भी हो सकता है। यह आमतौर पर झीलों, नदियों, तालाबों, पानी के उथले सोतों और गर्म पानी के झरनों में रहता है। कई बार यह मिट्टी में भी हो सकता है।
सवाल- इस अमीबा का संक्रमण कैसे होता है?
जवाब- इस अमीबा से संक्रमण का खतरा तब पैदा होता है, जब इससे संक्रमित पानी आपकी नाक में चला जाए। वहां से यह अमीबा मस्तिष्क में प्रवेश कर जाता है और ब्रेन सेल्स को पूरी तरह डेड कर देता है। यह आमतौर पर तब होता है, जब हम किसी ऐसे पानी में तैर रहे हों, गोता लगा रहे हों या वॉटर स्कीइंग कर रहे हों, जहां यह अमीबा पहले से मौजूद है।
ऐसा बहुत ही दुर्लभ केसेज में होता है कि नल के पानी या स्विमिंग पूल के पानी में यह अमीबा मौजूद हो। यह तभी मुमकिन है, जब उस पानी में पर्याप्त क्लोरीन न मिलाया गया हो या उसे ढंग से साफ न किया गया हो।
सवाल- नेगलेरिया फाउलेरी से संक्रमित होने पर क्या होता है?
जवाब- यह अमीबा नाक के जरिए घुसता है और सीधे ब्रेन पर हमला करता है। यह वैसे तो बैक्टीरिया खाकर जिंदा रहता है, लेकिन अगर एक बार मनुष्य के शरीर में प्रवेश कर जाए तो यह ब्रेन को अपना फूड बनाकर उसे ही खाने लगता है।
इससे संक्रमित होने पर शरीर में जो कंडीशन पैदा होती है, उसे मेडिसिन की भाषा में प्राइमरी अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस (primary amoebic meningoencephalitis यानी PAM कहते हैं। यह शरीर के सेंट्रल नर्वस सिस्टम को पैरालाइज कर देती है। यह संक्रमण तकरीबन हरेक मामले में जानलेवा ही साबित होता है।
सवाल- PAM के शुरुआती लक्षण क्या होते हैं?
जवाब- PAM के शुरुआती लक्षण बहुत सीधे और स्पष्ट नहीं होते। शुरू-शुरू में तो यह वायरल मेनेन्जाइटिस (Viral Meningitis) की तरह ही दिखाई देते हैं।
सवाल- एक बार इससे इंफेक्टेड होने के बाद लक्षणों को उभरने में कितना वक्त लगता है?
जवाब- PAM के लक्षण प्रकट होने में 2 दिन से 15 दिन तक का समय लग सकता है। संक्रमित व्यक्ति उसके बाद औसतन 5 से 8 दिनों तक ही सर्वाइव कर पाता है। फिर उसकी मौत हो जाती है। पूरी दुनिया में औसतन 10 में से सिर्फ 1 केस ऐसा ही ऐसा होता है, जब संक्रमित व्यक्ति सर्वाइव कर पाता है।
सवाल- यह बीमारी कितनी कॉमन है? दुनिया में कितने लोग इससे प्रभावित होते हैं?
जवाब- केरल में एक बच्ची की मौत के बाद यह अमीबा एक बार फिर चर्चा में है, लेकिन इससे होने वाला इंफेक्शन बिल्कुल कॉमन नहीं है।
विज्ञान जगत के लिए यह अभी भी अध्ययन का विषय है। अमेरिका में कुछ लोगों के शरीर में इस अमीबा की एंटीबॉडीज भी पाई गई हैं, जिससे वैज्ञानिकों की यह समझ बनी है कि संभवत: उनके पूर्वज कभी इससे इंफेक्टेड हुए होंगे और उनके शरीर में इसका रेजिस्टेंस पैदा हो गया।
सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन की 2009 की एक स्टडी कहती है कि अमेरिका में जितने बड़े पैमाने पर लोगों के शरीर में इस अमीबा की एंटीबॉडीज मिली हैं, उससे लगता है कि नेगलेरिया फाउलेरी काफी बड़े पैमाने पर मौजूद है, लेकिन उतने ही बड़े पैमाने पर लोगों के शरीर में इसका रेजिस्टेंस भी पैदा हो गया है।
वैज्ञानिकों के लिए एक सवाल यह भी है कि उसी पानी में जाने वाले सभी लोग इस अमीबा से इंफेक्टेड क्यों नहीं होते। यह सिर्फ चंद लोगों पर ही यह असर क्यों करता है। फिलहाल ऐसे बहुत से सवालों का जवाब विज्ञान अभी ढूंढ ही रहा है।
सवाल- नेगलेरिया फाउलेरी से बचाव के लिए क्या करें?
जवाब- सबसे पहले तो ये पढ़कर बिल्कुल पैनिक न हों। लेकिन हां, जैसाकि विज्ञान हमेशा कहता है कि जानकारी ही बचाव है तो इस बात की जानकारी जरूर रखें और उसके मुताबिक जरूरी सावधानियां भी बरतें।
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