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रिलेशनशिप- हर साल 10 हजार से ज्यादा स्टूडेंट्स करते सुसाइड:परीक्षा नहीं है जीवन का अंत, माता-पिता कैसे बनें बच्चों का सपोर्ट सिस्टम

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रिलेशनशिप- हर साल 10 हजार से ज्यादा स्टूडेंट्स करते सुसाइड:परीक्षा नहीं है जीवन का अंत, माता-पिता कैसे बनें बच्चों का सपोर्ट सिस्टम

मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम नीट-यूजी (NEET-UG) 2024 का रिजल्ट आने के बाद से देश में बवाल मचा है। कई राज्यों में ग्रेस मार्क्स को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। हरियाणा में एक ही सेंटर के 6 बच्चों के 720 अंक आने के बाद अनियमितताओं का संदेह जताया गया। मामला सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुंचा है।

अब ग्रेस मार्क्स पाने वाले 1563 छात्रों को फिर से परीक्षा देनी होगी। इससे छात्र काफी स्ट्रेस में हैं। वहीं कई स्टूडेंट्स ने रिजल्ट आने के बाद सुसाइड करने की कोशिश भी की। मध्य प्रदेश की रीवा की एक छात्रा, जो NEET की तैयारी को लेकर कोटा में रह रही थी, उसने रिजल्ट के दूसरे दिन ही पांचवी मंजिल से कूदकर जान दे दी।

कोचिंग का हब कहे जाने वाले कोटा में इस साल की यह 11वीं सुसाइड की घटना है। 2023 के आंकड़ों की बात करें तो 29 स्टूडेंट्स ने बीते साल अपनी जान ले ली थी। ऐसे ही न जाने कितने बच्चे होंगे, जो जिंदगी से हार मान लेते हैं। बच्चों के साथ सुसाइड की बढ़ती घटनाएं गंभीर चिंता का विषय हैं।

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में भारत में 13,000 से ज्यादा स्टूडेंट्स ने सुसाइड किया। इसमें 7.6% छात्र थे। वहीं 18 वर्ष से कम उम्र के 1,123 छात्रों की आत्महत्या का कारण परीक्षा में असफलता थी। इनमें से 578 लड़कियां और 575 लड़के थे।

माना कि एग्जाम और अच्छे कॉलेज में प्रवेश पाने का प्रेशर बहुत ज्यादा होता है। लेकिन क्या हमारे बच्चों की जिंदगी इतनी सस्ती है कि एक खराब रिजल्ट के आगे उसकी कोई कीमत नहीं।

इसलिए आज ‘रिलेशनशिप’ कॉलम में बात करेंगे कि स्टूडेंट्स एग्जाम और रिजल्ट के प्रेशर को कैसे हैंडल करें। और माता-पिता इसमें बच्चों की कैसे मदद कर सकते हैं। साथ ही जानेंगे कि-

  • स्टूडेंट्स अपनी मेंटल हेल्थ का ख्याल कैसे रखें
  • बच्चों के एग्जाम के दौरान पेरेंट्स का क्या रोल होना चाहिए

हजार बार फेल होने के बावजूद एडिसन ने बनाया था बल्ब

एग्जाम में कम स्कोर करना या फेल होना आपका भविष्य तय नहीं कर सकता है। अगर आज आप अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाएं हैं तो अगली बार कर लेंगे। एक बार फिर से मेहनत करेंगे। सभी अपनी गलतियों से ही सीखते हैं।

आपको बता दें कि महान अमेरिकी वैज्ञानिक थॉमस अल्वा एडिसन एक बल्ब को बनाने में हजार बार असफल हुए थे। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और आखिरकार उस बल्ब का आविष्कार कर दिखाया, जिससे आज दुनिया जगमगा रही है। उन्हें बचपन में कमजोर बुद्धि वाला कहकर स्कूल से निकाल दिया गया था, लेकिन अपनी प्रतिभा और मेहनत के दम पर उन्होंने बल्ब समेत हजारों जीवन बदलने वाले आविष्कार किए।

एक परीक्षा जिंदगी का अंत नहीं, आगे रास्ते और भी हैं

जिंदगी में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। वो कहते हैं न कि हार के जो जीतता है, उसे ही सिकंदर कहते हैं। ऐसे ही कोई भी कॉम्पिटीटिव एग्जाम आपकी काबिलियत नहीं बता सकता है। अगर आज आप अच्छा नहीं कर पाए हैं तो कल कर लेंगे और इससे भी बेहतर करेंगे। बस खुद पर भरोसा होना जरूरी है।

थॉमस अल्वा एडिसन और डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम जैसे महान लोग जब कर सकते हैं तो आप और हम क्यों नहीं। जिंदगी बहुत बड़ी है, आज नहीं तो कल हम अपने सपने पूरे कर सकते हैं। बस सपनों को पूरा करने के लिए इच्छाशक्ति, आत्मविश्वास और सीखने की चाह होनी चाहिए।

बच्चे एग्जाम और रिजल्ट प्रेशर से कैसे करें डील

सैकड़ों बच्चे हैं, जो एग्जाम प्रेशर की वजह से स्ट्रेस या डिप्रेशन से गुजर रहे होते हैं। कारण है, स्ट्रेस से डील करने की सही एडवाइज और तरीका न मिल पाना। अक्सर बच्चे गलत गोल सेट कर लेते हैं। जैसे एक साथ कई सब्जेक्ट या चैप्टर्स पढ़ना। जब वे इसे पूरा नहीं कर पाते तो उन्हें स्ट्रेस होने लगता है।

इसलिए सबसे पहले कुछ आसान तरीके अपनाने जाहिए, जिससे वे एग्जाम प्रेशर को डील कर सकें।

छोटे-छोटे गोल सेट करें

बच्चे अक्सर बड़े गोल सेट कर लेते हैं और उन्हें न कर पाने पर निराश हो जाते हैं। इसलिए छोटे से शुरुआत करें। छोटे-छोटे गोल पूरे करने पर आपको संतुष्टि मिलती है।

ज्यादा डिस्कशन न करें

एग्जाम देने के बाद और रिजल्ट आने के पहले बच्चों को किसी से भी ज्यादा डिस्कस नहीं करना चाहिए। जैसे दोस्तों से वे पूछते हैं कि तुझे क्या लग रहा है, कितने पर्सेंट आएंगे। इस तरीके की कोई भी बात स्ट्रेस बढ़ाती है। इससे बचें।

सोशल मीडिया से बनाएं दूरी

सोशल मीडिया और वॉट्सऐप ग्रुप में हमेशा एग्जाम और रिजल्ट से जुड़ी बातें होती रहती हैं। इसलिए सबसे पहले इससे दूरी बना लें। इसकी बजाए आप किसी और चीज से जुड़ सकते हैं। अपनी हॉबी से जुड़ सकते हैं। कोई मोटिवेशनल किताब पढ़ सकते हैं।

मेंटर या टीचर से बात कर मन हल्का करें

अगर आपको ज्यादा स्ट्रेस हो रहा हो या किसी भी बात को लेकर कन्फ्यूजन हो तो आप अपने टीचर से बात करें। जिस भी टीचर से आप खुलकर बात कर सकते हैं। उनसे मिलें या कॉल करके अपनी प्रॉब्लम शेयर करें। जरूर कोई समाधान मिलेगा। या फिर आप अपने माता-पिता से भी इस बारे में बात कर सकते हैं।

माता-पिता बने बच्चों के असली दोस्त, उन्हें दें इमोशनल सपोर्ट

जब बच्चे कॉम्पिटीटिव एग्जाम की तैयारी कर रहे हों तो ऐसे में माता-पिता का सपोर्ट बहुत जरूरी होता है। अपने बच्चे को पढ़ाई के तनाव से उबरने में वे बेहतर मदद कर सकते हैं क्योंकि बच्चों को पेरेंट्स से बेहतर कोई नहीं समझ सकता है।

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