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NSA Ajit Doval: क्या आपस में मर्ज होंगे केंद्रीय अर्धसैनिक बल? अजीत डोभाल ने दिया CPO को जोड़ने का विचार

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NSA Ajit Doval: क्या आपस में मर्ज होंगे केंद्रीय अर्धसैनिक बल? अजीत डोभाल ने दिया CPO को जोड़ने का विचार

बीएसएफ, दशकों से पाकिस्तान और बांग्लादेश बॉर्डर पर तैनात है। नेपाल बॉर्डर पर एसएसबी है, तो सीआईएसएफ को देश के भीतर विभिन्न प्रतिष्ठानों की सुरक्षा का दायित्व सौंपा गया है। चीन सीमा पर आईटीबीपी तैनात है। पूर्व अफसरों ने कहा, इन्हें एक साथ जोड़ने से बॉर्डर की सुरक्षा किस तरह बेहतर हो सकती है, ये विचार समझ से परे है।

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राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए), अजीत डोभाल ने शुक्रवार को एक अहम बयान दिया है। विज्ञान भवन में आयोजित ‘सीमा सुरक्षा बल’ के 21वें अलंकरण समारोह एवं रुस्तमजी स्मृति व्याख्यान में बतौर मुख्य अतिथि बोलते हुए डोभाल ने कहा, भारत की आंतरिक सुरक्षा को मजबूती प्रदान के लिए एक सुरक्षित बॉर्डर का होना बहुत जरुरी है। बॉर्डर पूरी तरह से सुरक्षित हों, इसके लिए उन्होंने सभी केंद्रीय पुलिस संगठनों (सीपीओ) को एक साथ जोड़ने का विचार रखा। इससे केंद्रीय बलों का बेहतर संचालन, सुनिश्चित हो सकेगा। अखंडता को अधिक मजबूती मिलेगी। राज्यों की पुलिस को भी बॉर्डर गार्ड फोर्स के साथ लगाया जा सकता है। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने इनके विलय का भी विचार दिया। इसके बाद विज्ञान भवन में मौजूद बीएसएफ के सर्विंग और रिटायर्ड अफसरों में ऐसी चर्चा होने लगी कि भविष्य में केंद्रीय बलों को एक साथ जोड़ा जा सकता है। उन पर भी इंटरचेंज प्रक्रिया लागू हो सकती है। अजीत डोभाल ने यह विचार, विज्ञान भवन में उपस्थित केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला, आईबी चीफ तपन डेका और विभिन्न बलों के प्रमुखों की मौजूदगी में दिया है।

अलंकरण समारोह में उपस्थित बीएसएफ के कई पूर्व आईजी और डीआईजी, एनएसए के इस विचार पर सहमत दिखाई नहीं दिए। बीएसएफ की इंटेलिजेंस इकाई ‘जी’ के आईजी और कई फ्रंटियर की कमान संभालने वाले पूर्व अफसरों का कहना था, ये कैसे संभव है। हर फोर्स की अपनी एक पहचान होती है। सभी बलों की ‘नेचर ऑफ ड्यूटी’ अलग रहती है। वे उसके खांचे में ढल जाते हैं। कानून व्यवस्था की स्थिति बनाए रखने में सभी बलों को लगाया जा सकता है, क्योंकि उन्हें लोकल पुलिस प्रशासन के साथ काम करना होता है। वहां पर उनकी ‘नेचर ऑफ ड्यूटी’ बाधा नहीं बनती। अगर बॉर्डर पर फोर्स की अदला-बदली होगी तो उसके नतीजे अच्छे नहीं होंगे। हर बल की अपनी एक पहचान होती है।

पूर्व अफसरों ने कहा, तीन केंद्रीय बलों की दर्जनों बटालियनों को एक साथ और एक ही मकसद पर लगा दें, तो वे कैसे काम करेंगे। उनमें समन्वय नहीं बन सकेगा। एक भीड़ में सभी लोग अपनी पहचान को तलाशेंगे। आईटीबीपी जवान की ट्रेनिंग हाई एल्टीट्यूड पर ड्यूटी देने के लिए होती है। सीआरपीएफ को नक्सल और कश्मीर में आतंकियों से लड़ने के लिए खास ट्रेनिंग दी गई है। कानून व्यवस्था बनाए रखने और दंगा फसाद रोकने में भी इस बल ने खुद को साबित कर दिखाया है।

बीएसएफ, दशकों से पाकिस्तान और बांग्लादेश बॉर्डर पर तैनात है। नेपाल बॉर्डर पर एसएसबी है, तो सीआईएसएफ को देश के भीतर विभिन्न प्रतिष्ठानों की सुरक्षा का दायित्व सौंपा गया है। चीन सीमा पर आईटीबीपी तैनात है। पूर्व अफसरों ने कहा, इन्हें एक साथ जोड़ने से बॉर्डर की सुरक्षा किस तरह बेहतर हो सकती है, ये विचार समझ से परे है। सभी बलों को उनकी ड्यूटी के हिसाब से ट्रेनिंग दी गई है। उनकी अपनी एक विशिष्ट योग्यता है।

डोभाल ने कहा, सीमा पर तैनान सुरक्षा बलों को सीमावर्ती लोगों से मित्रता करनी चाहिए। उनके सुख दुख में भागीदार बनें। सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले लोगों के बिना सीमा की रक्षा नहीं की जा सकती। एनएसए डोभाल ने सीमा की पुख्ता सुरक्षा के लिए नवीनतम तकनीक अपनाने का भी आह्वान किया। उन्होंने हमास द्वारा इस्राइल पर किए गए रॉकेट और मिसाइल हमले का उदाहरण देते हुए कहा, वहां प्रौद्योगिकी की शक्ति देखने को मिली। हमास ने इस्राइल पर सिलसिलेवार तरीके से मिसाइल दागीं। लगभग 1500 मिसाइलें दागीं गईं, लेकिन 99 फीसदी मिसाइलों को रोक दिया गया था। केवल 2-3 मिसाइलें ही मार करने में सक्षम थीं। नवीनतम तकनीक के अनुकूलन ने इस्राइल को इतने विनाशकारी आतंकी हमले से बचा लिया।

डोभाल ने कहा, भारत बहुत तेजी से बदल रहा है। अगले 10 वर्षों में हम 10 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था और दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होंगे। यह एक बड़ी उपलब्धि होगी। मौजूदा सरकार ने पिछले 10 वर्षों के दौरान सीमा सुरक्षा पर बहुत अधिक ध्यान दिया है। भविष्य में हमारा देश, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, क्वांटम कंप्यूटिंग, रक्षा और सुरक्षा विनिर्माण सहित विभिन्न क्षेत्रों का केंद्र होगा। भारत एक समय तक हथियारों का आयातक देश था। अब उसी भारत ने गत 31 मार्च तक 2.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य के हथियारों का निर्यात किया है। यह केंद्र सरकार की ‘आत्मनिर्भर भारत’ की नीति के कारण संभव हो सका है।

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