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PM के सुरक्षा दस्ते में होगा देसी नस्ल का कुत्ता:शिवाजी की सेना में भी था मुधोल हाउंड; 6 खूबियों की वजह से SPG में हुआ शामिल

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*PM के सुरक्षा दस्ते में होगा देसी नस्ल का कुत्ता:शिवाजी की सेना में भी था मुधोल हाउंड; 6 खूबियों की वजह से SPG में हुआ शामिल*
पहली बार एक देसी नस्ल के कुत्ते को SPG में शामिल किया जा रहा है। नाम है- मुधोल हाउंड। इससे पहले इसे भारतीय सेना के ट्रेनिंग सेंटर में फरवरी 2016 में शामिल किया गया था।एक्सप्लेनर में जानेंगे कि मुधोल हाउंड कहां से आया और इसकी किन खूबियों की वजह से इसे VVIP की सुरक्षा में लगाया जा रहा है?
*मुधोल रियासत के नाम पर रखा गया इस डॉग के नस्ल का नाम*
मुधोल हाउंड नस्ल के कुत्तों का नाम दक्षिण भारत की मुधोल रियासत के नाम पर रखा गया है। कर्नाटक के बागलकोट नाम की जगह पर मुधोल रियासत के शासकों ने इन कुत्तों को पाला था।
इस नस्ल के कुत्तों के नाम रखने पर एक दिलचस्प ऐतिहासिक किस्सा है। दरअसल, 1937 तक इस रियासत पर राज करने वाले अंतिम शासक का नाम मालोजीराव घोरपड़े था। एक बार घोरपड़े ने देसी नस्ल के इस कुत्ते की एक जोड़ी किंग जॉर्ज पंचम को भेंट की। तभी उन्होंने इस डॉग का नाम मुधोल हाउंड दिया था।

*शिवाजी की सेना में भी शामिल था बहादुर मुधोल हाउंड*
मुधोल हाउंड नस्ल के कुत्तों की बहादुरी का किस्सा कोई नया नहीं है। करीब 300 साल पहले मराठा शासक शिवाजी महाराज की सेना में भी मुधोल हाउंड नस्ल के कुत्तों की मौजूदगी का पता चलता है।
*2016 में सेना के दस्ते में मुधोल हाउंड हुआ था शामिल*
पहली बार स्वदेशी मुधोल हाउंड नस्ल के कुत्तों को भारतीय सेना के ट्रेनिंग सेंटर में फरवरी 2016 में शामिल किया गया था। मीडिया से बात करते हुए मुधोल हाउंड के ट्रेनर डीके साहू ने कहा था कि शुरुआत में इन्हें 3 हफ्ते की बेसिक ट्रेनिंग दी जाती है। इसके बाद इनकी 36 हफ्ते की ट्रेनिंग होती है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक अप्रैल 2022 में SPG अधिकारी कर्नाटक के कैनाइन रिसर्च एंड इन्फॉर्मेशन सेंटर थिम्मापुर गए थे। इस दौरान रिसर्च सेंटर के अधिकारियों ने उन्हें मुधोल हाउंड नस्ल के दो मेल डॉग सौंपे थे। अब SPG ने 4 महीने की ट्रेनिंग के बाद इन्हें अपने बेड़े में शामिल करने की बात कही है।

*मुधोल हाउंड की 6 खूबियां, जिनकी वजह से वो SPG में हुआ शामिल*
अपनी 6 खूबियों की वजह से मुधोल हाउंड बाकी कुत्तों से अलग है। इसी वजह से इसे SPG में शामिल किया गया है….

1. लंबे पैरों वाला मुधोल हाउंड अपनी बेहतरीन शारीरिक बनावट की वजह से सुरक्षा एजेंसियों को सबसे ज्यादा पसंद आने वाला स्वदेशी डॉग है।

2. मुधोल हाउंड 270 डिग्री तक देख सकता है। किसी दूसरे नस्ल की कुत्तों से बेहतर देखने की क्षमता की वजह से इसे SPG में शामिल किया गया।

3. देसी नस्ल के दूसरे कुत्तों से ज्यादा सूंघने की क्षमता की वजह से मुधोल हाउंड निगरानी और चौकसी के मामले में बेस्ट डॉग है।

4. मुधोल हाउंड दूसरे कुत्तों की तुलना में कम थकता है। यही नहीं यह बीमार भी कम पड़ता है। यही वजह है कि इसे सेना के दस्ते में शामिल किया गया है।

5. इस देसी नस्ल के कुत्ते को हर मौसम में काम करने की क्षमता होती है। इसका शरीर हर मौसम के मुताबिक खुद को एडजस्ट कर लेता है।

6. मुधोल हाउंड किसी दूसरे स्वदेशी नस्ल के कुत्ते की तुलना में ज्यादा बहादुर और ईमानदार होता है।

*आंखों से इशारा मिलते ही टारगेट पर हमला करता है मुधोल हाउंड*
सीनियर इंस्ट्रक्टर कर्नल जयविंदर सिंह ने मीडिया से बातचीत में कहा, ‘यह स्वदेशी डॉग इतना काबिल है कि ट्रेनर की आंखो को पढ़कर यह मिशन पर लग जाता है।’ एक बार कमांडिंग अधिकारी का इशारा मिलते ही तुरंत टारगेट पर हमला कर देता है।
एक्सपर्ट का कहना है कि हल्के दूरी पर आवाज देकर जबकि 300 मीटर से दूर होने पर गले में लगे रिसीवर के जरिए मुधोल को कमांड दिया जाता है। गैजेट के जरिए होने वाले अलग-अलग तरह के वाइब्रेशन का मतलब इसे बताया जाता है।

*इंडियन आर्मी और एयरफोर्स में बहादुरी दिखा चुका है मुधोल हाउंड*
फरवरी 2016 में रीमाउंट वेटरीनरी कॉर्प्स ट्रेनिंग सेंटर यानी RVC में पहली बार मुधोल हाउंड को ट्रेनिंग के लिए शामिल किया गया था। 2 साल बाद इसे सेना की टुकड़ी में भी शामिल किया गया। इस ट्रेनिंग सेंटर में पहले से ही विदेशी नस्ल के डॉग लैब्राडोर और जर्मन शेफर्ड को ट्रेनिंग दी जाती है।
शुरुआती सिलेक्शन के दौरान 8 में से 6 मुधोल हाउंड का चयन श्रीनगर के 15 कॉर्प्स और नागरोटा के 16 कॉर्प्स के लिए हुआ था। इस वक्त इंडियन आर्मी, एयरफोर्स, ITBP, SSB में मुधोल हाउंड की तैनाती की गई है। इसके अलावा बांदीपुर टाइगर रिजर्व में स्पेशल टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स के तौर पर बाघों की सुरक्षा के लिए मुधोल हाउंड की तैनाती की गई है।

*इस वक्त इन कुत्तों को मुख्यतौर पर तीन उद्धेश्यों के लिए इस्तेमाल किया जाता है…*

पहला: विस्फोटक की तलाश के लिए सर्च अभियान के दौरान

दूसरा: काउंटर इंसरजेंसी ऑपरेशन के दौरान

तीसरा: एयरफोर्स इन तेज दौड़ने वाले कुत्तों को पक्षियों और विस्फोटक से रनवे की सुरक्षा के लिए भी करते हैं।

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