PM मोदी की छोटी-छोटी गायों की कहानी:दुर्लभ पुंगनूर नस्ल, कीमत 20 लाख तक; 5 साल पहले कैसे मिला नया जीवन
राजधानी दिल्ली में प्रधानमंत्री आवास का लॉन। मकर संक्रांति पर खिली धूप में PM मोदी कुछ गायों से घिरे हुए हैं। उनके हाथ में तिल-गुड़ और हरा चारा है। वो गायों को खिला रहे हैं और उन्हें दुलार रहे हैं। जिसने भी ये वीडियो देखा उसका ध्यान छोटी-छोटी गायों की तरफ जरूर गया।
ये आंध्र प्रदेश की पुंगनूर गायें हैं। संकटग्रस्त नस्ल की कैटेगरी में आने वाली इन गायों की कीमत 3 से 20 लाख रुपए के बीच है। इनके दूध में कई औषधीय गुण होते हैं। इन गायों का जिक्र पुराणों में भी मिलता है। लगभग खत्म हो चुकी इन गायों को 2019 में नया जीवन मिला।
पुंगनूर वही गाय जो समुद्र मंथन से निकली
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अमृत प्राप्ति के लिए जब देव और दावनों ने मिलकर समुद्र मंथन किया था तो अमृत निकलने से पहले कई दुर्लभ चीजें भी उसमें से निकली थी। उसमें से एक सुरभि गाय भी निकली थी। इसे कामधेनु भी कहा जाता है।
आंध्र के लोगों का मानना है कि पुंगनूर वही सुरभि गाय है। उस समय इसकी ऊंचाई दस फीट थी जो समय काल के प्रभाव से छोटी हो गई है। वैदिक काल में जब विश्वामित्र राजा थे तो उन्होंने ऋषि वशिष्ठ से कामधेनु को हड़पने के लिए युद्ध किया था।
युद्ध में ऋषि वशिष्ठ की कामधेनु ने मदद की थी। इसके कारण राजा विश्वामित्र हार गए थे। इसी के दूध से तिरुपति बालाजी काे अभिषेक किया जाता है। इसे क्षीराभिषेकम कहा जाता है।
शास्त्रों के अनुसार समुद्र मंथन से कामधेनु गाय निकली थी। इसे सुरभि भी कहा जाता है। आंध्र के लोग मानते हैं कि पुंगनूर वहीं नस्ल है जो इस दिव्य मंथन से निकली थी। इस गाय के दूध से दक्षिण के कई मंदिरों में भगवान के लिए भोग बनाए जाते हैं। तिरुपति बालाजी को रोज इसका भोग लगता है।
खत्म होने लगी थीं पुंगनूर गायें, फिर ऐसे बढ़ा कुनबा
पुंगनूर गाय अधिकतम 3 लीटर दूध दे सकती हैं। जबकि जर्सी और नई नस्ल की गायें ज्यादा दूध देती हैं। इसलिए धीरे-धीरे लोगों ने इनका पालन कम कर दिया और इनकी नस्ल खतरे में आ गई।
आंध्र प्रदेश के पशुधन और डेयरी विभाग के अनुसार राज्य में पुंगनूर गायों की संख्या केवल 2,772 बच गई थी। इसके संरक्षण के लिए सरकार ने सोचना शुरू किया था, लेकिन कोई प्लान धरातल पर नहीं आ रहा था।
इससे पहले काकीनाडा के डॉ. कृष्णम राजू ने काम शुरू कर दिया था। उन्होंने 2019 में मिनिएचर पुंगनूर गाय की नस्ल की खोज की है। उनके प्रयास के बाद सरकार ने 2020 में ‘मिशन पुंगनूर’ शुरू किया।
इस पहल के तहत आंध्र सरकार ने IVF तकनीक से पुंगनूर गायों की आबादी बढ़ाने के लिए 69.36 करोड़ रुपए मंजूर किए। सरकारी प्रोजेक्ट और डॉ राजू के व्यक्तिगत प्रयासों से आंध्र में पुंगनूर गायों की संख्या बढ़कर अब 13,275 हो गई है।
द हिंदू की एक खबर के अनुसार ‘मिशन पुंगनूर’ के तहत पांच साल में सरकार एक गाय से औसतन 8 बच्चे चाहती है। अभी तक एक गाय दो से तीन बच्चे ही जन्म दे रही थीं। ऐसा करने से आने वाले कुछ सालों में 200 गायों से सरकार ने 1690 गायें पैदा करने का लक्ष्य रखा है।
डॉक्टर कृष्णम राजू चाहते हैं कि लोग घरों में कुत्तों की जगह गाय पालें। इस कारण उन्होंने मिनिएचर पुंगनूर गाय नस्ल बनाई है।
आयुर्वेदिक डॉक्टर ने गायों की हाइट पर एक्सपेरिमेंट किया
आंध्र प्रदेश के काकीनाडा में आयुर्वेद के डॉक्टर कृष्णम राजू ने बताया कि उन दिनों उन्होंने एक लाख रुपए देकर पुंगनूर गाय खरीदी थी। उस दौरान उन्हें एक्यूपंचर तकनीक से मिनिएचर गाय बनाने का ख्याल आया।
उन्होंने देखा कि कुत्ता पालने का शौक बढ़ता जा रहा है और कुत्ते बेडरूम तक चले गए हैं। इसके बाद डॉ. कृष्णम राजू ने गाय के कद को कम करने पर काम किया। पुंगनूर गाय का बछड़ा जब पैदा होता है तो उसकी हाइट ढाई फीट तक होती है।
बछड़े के पैदा होने के बाद उसे एक्यूपंचर ट्रीटमेंट दिया जाता है, जिससे उसकी हाइट कुछ सेंटीमीटर और बढ़ती है। इस तरह 14 साल बाद उन्होंने कई प्रयोग के बाद सफलतापूर्वक 2019 में ‘मिनिएचर पुंगनूर’ को दुनिया के सामने लाए। इसी गाय के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मकर संक्रांति पर देखे गए थे।
डॉक्टर कृष्णम राजू की नादीपथी में अभी 1200 गाय हैं। गोशाला का मंथली खर्च लाखों में है। इस कारण इस गाय की कीमत भी लाखों में है।
100 में से 10 गाय छोटे कद की गायों को जन्म देती हैं
डॉ. कृष्णम आंध्र प्रदेश के काकीनाडा में नादीपथी नाम की गोशाला चलाते हैं। यही उनकी कर्मस्थली भी है। छोटी पुंगनूर गाय बनाने के लिए उन्होंने एक पुंगनूर बैल खरीदा उसे सामान्य सौ गायों से ब्रीड कराया। ये गायें देश के अलग-अलग हिस्सों में रखी गईं, ताकि परिस्थितियों का भी पता लगाया जा सके।
100 में से 10 गायों ने छोटे कद की गायों का जन्म दिया। इस तरह से 10-10 करके ये संख्या आज हजारों में पहुंच गई है। अब डॉ कृष्णम मिनिएचर मेल पुंगनूर से फीमेल पुंगनूर को ब्रीड कराकर सीधे मिनिएचर पुंगनूर गाय लेते हैं।
पुंगनूर गायों के दूध की कीमत 1,000 रुपए लीटर
गवर्नमेंट वेटरनरी हॉस्पिटल उज्जैन के रिटायर्ड डॉक्टर आरआर चौहान बताते हैं कि पुंगनूर गाय A2 कैटेगरी का दूध देती है। इसके दूध में कई औषधीय गुण होते हैं जो हाइपर टेंशन, स्किन, आर्थराइटिस, ब्लड प्रेशर सहित कई बीमारियों को ठीक कर सकते हैं और उनसे बचाते हैं। इसमें प्रोटीन और कैल्शियम मात्रा ज्यादा होती है।
पुंगनूर गाय के A2 दूध में कैसिइन प्रोटीन पाया जाता है। इसमें विटामिन A, विटामिन D, विटामिन B12, कैल्शियम,थायमिन, राइबोफ्लेविन और पोटेशियम होता है। इसमें ओमेगा-3 फैटी एसिड भी होता है जो बॉडी के मैकेनिज्म को स्मूदली चलाने में मददगार है।
पुंगनूर गाय के दूध में 8% तक फैट पाया जाता है। अन्य गाय के दूध में फैट 3 से 5% ही होता है। इसके दूध कीमत 300 से 1000 रुपए लीटर है। वहीं घी 10,000 से 50,000 रुपए किलो में बिक रहा है।
इसकी यूरीन में एंटी बैक्टीरियल गुण होते हैं। आंध्र के किसान इसका उपयोग फसलों पर छिड़काव के लिए करते हैं। यह कीटनाशक की तरह काम करता है। इसका यूरीन 10 रुपए किलो और गोबर 5 रुपए किलो में बेचा जाता है।
PM हाउस और देश के कई CM हाउस में पुंगनूर गाय
डॉ कृष्णम ने बताया कि प्रधानमंत्री जिन गायों को प्रेम कर रहे हैं वो गाय उन्हीं की गोशाला से गई हैं। दिल्ली के किसी व्यक्ति ने उन्हें यहां से खरीदा था और बाद में उन्हें प्रधानमंत्री आवास को उपहार में दिया। PM हाउस के अलावा आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश CM हाउस में भी उन्हीं से ये गायें खरीदी गई हैं।
डॉ कृष्णम ने बताया कि उनकी गोशाला में 1200 गाय हैं। इनकी देखरेख के लिए चारा, जगह, वेटरनरी डॉक्टर और अन्य सहित 50 लोगों का स्टाफ है। इस पर हर माह 60 लाख रुपए खर्च होता है। इस खर्च को निकालने के लिए पुंगनूर गाय की कीमत लाखों में हो जाती है। डॉ. कृष्णम कहते हैं कि वे अपनी गोशाला में गायों की कीमत दस हजार तक लाना चाहते हैं, ताकि हर इंसान घर में कुत्ते की जगह गाय पाले। इसके लिए कुछ साल और लगेंगे।
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