DEFENCE / PARAMILITARY / NATIONAL & INTERNATIONAL SECURITY AGENCY / FOREIGN AFFAIRS / MILITARY AFFAIRS

जम्मू-कश्मीर के LG की शक्तियां बढ़ीं:दिल्ली की तरह ट्रांसफर-पोस्टिंग में मंजूरी जरूरी; उमर अब्दुल्ला बोले- हर चीज के लिए भीख मांगनी पड़ेगी

FacebookWhatsAppTelegramLinkedInXPrintCopy LinkGoogle TranslateGmailThreadsShare

जम्मू-कश्मीर के LG की शक्तियां बढ़ीं:दिल्ली की तरह ट्रांसफर-पोस्टिंग में मंजूरी जरूरी; उमर अब्दुल्ला बोले- हर चीज के लिए भीख मांगनी पड़ेगी

दिल्ली/श्रीनगर

पूर्व केंद्रीय मंत्री और BJP नेता मनोज सिन्हा को 5 अगस्त, 2020 को जम्मू-कश्मीर का उपराज्यपाल नियुक्त किया गया था। (फाइल फोटो) - Dainik Bhaskar

पूर्व केंद्रीय मंत्री और BJP नेता मनोज सिन्हा को 5 अगस्त, 2020 को जम्मू-कश्मीर का उपराज्यपाल नियुक्त किया गया था। (फाइल फोटो)

केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल (LG) की प्रशासनिक शक्तियां बढ़ा दी हैं। दिल्ली की तरह अब जम्मू-कश्मीर में राज्य सरकार LG की मंजूरी के बिना अफसरों की पोस्टिंग और ट्रांसफर नहीं कर सकेगी।

गृह मंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 की धारा 55 के तहत बदले हुए नियमों को नोटिफाई किया है, जिसमें LG को ज्यादा ताकत देने वाली धाराएं जोड़ी गई हैं। उपराज्यपाल के पास अब पुलिस, कानून व्यवस्था और ऑल इंडिया सर्विस (AIS) से जुड़े मामलों में ज्यादा अधिकार होंगे।

न्यूज एजेंसी T.I.N ने बाद में सूत्रों के हवाले से जानकारी दी कि केंद्र ने सिर्फ व्यापार नियमों के लेनदेन में संशोधन किया गया है। जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 में बाकी चीजों का जिक्र पहले से ही था। हालांकि, एजेंसी ने गृह मंत्रालय का जो नोटिफिकेशन जारी किया है, उसमें पहले के प्रावधान और 12 जुलाई को किए गए बदलावों के बीच स्पष्ट अंतर की जानकारी नहीं दी गई है।

राज्य में सरकार कोई रहे, ताकत LG के पास
जम्मू-कश्मीर में इसी साल सितंबर तक विधानसभा चुनाव होने हैं। ताजा फैसले के बाद राज्य में किसी की भी सरकार बने, लेकिन अहम फैसले लेने की शक्तियां LG के पास ही रहेंगी।

गृह मंत्रालय ने 12 जुलाई को जम्मू-कश्मीर के LG के अधिकारों में बदलाव का नोटिफिकेशन जारी किया है।

गृह मंत्रालय ने 12 जुलाई को जम्मू-कश्मीर के LG के अधिकारों में बदलाव का नोटिफिकेशन जारी किया है।

संशोधित नियमों में दो अहम पॉइंट जोड़े गए…

  1. 42A: पुलिस, सार्वजनिक व्यवस्था, अखिल भारतीय सेवा और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) से जुड़े किसी भी प्रस्ताव को तब तक मंजूर या नामंजूर नहीं किया जा सकता, जब तक मुख्य सचिव के जरिए उसे उपराज्यपाल के सामने नहीं रखा जाए। अभी इनसे जुड़े मामलों में वित्त विभाग की सहमति लेना जरूरी है।
  2. 42B: किसी प्रकरण में केस चलाने की मंजूरी देने या ना देने और अपील अपील दायर करने के संबंध में कोई भी प्रस्ताव विधि विभाग मुख्य सचिव के जरिए उपराज्यपाल के सामने रखा जाना जरूरी होगा।

उमर अब्दुल्ला बोले- हर चीज के लिए LG से भीख मांगनी पड़ेगी
केंद्र के इस फैसले पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा- एक और संकेत है कि जम्मू-कश्मीर में चुनाव नजदीक हैं। यही कारण है कि जम्मू-कश्मीर के लिए पूर्ण, अविभाजित राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए समय सीमा निर्धारित करने की दृढ़ प्रतिबद्धता इन चुनावों के लिए एक शर्त है। जम्मू-कश्मीर के लोग शक्तिहीन, रबर स्टाम्प CM से बेहतर के हकदार हैं, जिन्हें अपने चपरासी की नियुक्ति के लिए भी LG से भीख मांगनी पड़ेगी।

5 अगस्त, 2019 को पारित हुआ जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम
5 अगस्त, 2019 को जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम (2019) संसद में पारित किया गया था। इसमें जम्मू और कश्मीर को दो भागों में बांटकर केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया। पहला- जम्मू-कश्मीर और दूसरा- लद्दाख। इस अधिनियम ने अनुच्छेद 370 को भी निरस्त कर दिया, जिसने जम्मू और कश्मीर को विशिष्ट दर्जा दिया था।

जम्मू-कश्मीर जून 2018 से केंद्र सरकार के शासन के अधीन है। 28 अगस्त, 2019 को गृह मंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर में प्रशासन के नियमों को नोटिफाई किया था, जिसमें उपराज्यपाल और मंत्रिपरिषद के कामकाज की स्पष्ट व्याख्या की गई।

जम्मू-कश्मीर में आखिरी बार 2014 में चुनाव हुए थे
जम्मू-कश्मीर में विशेष दर्जा रद्द करने और 2019 में लद्दाख को अलग करने से पहले दिसंबर 2014 में आखिरी विधानसभा चुनाव हुए थे। तब महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) और भाजपा की गठबंधन सरकार थी। कुल 87 सीटों में से PDP ने 28, भाजपा ने 25, नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 15, कांग्रेस ने 12 और अन्य के खाते में 4 सीटें आई थीं।

हालांकि, 2018 में BJP और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की गठबंधन वाली सरकार गिर गई थी, क्योंकि BJP ने PDP से अलायंस तोड़ लिया था। जून 2018 से जम्मू-कश्मीर केंद्र सरकार के अधीन है। जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने नवंबर 2018 में राज्य विधानसभा को भंग कर दिया था। 20 दिसंबर 2018 को राष्ट्रपति शासन लगाया गया था।

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को सितंबर 2024 तक चुनाव कराने का आदेश दिया
पिछले साल दिसंबर में सुप्रीम कोर्ट ने आर्टिकल 370 हटाने का केंद्र सरकार का फैसला बरकरार रखा था। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने राज्य में 30 सितंबर 2024 तक विधानसभा चुनाव कराने के आदेश दिए।

FacebookWhatsAppTelegramLinkedInXPrintCopy LinkGoogle TranslateGmailThreadsShare
error: Content is protected !!