Rajasthan Bjp Cm Face: वसुंधरा ने चुनाव प्रचार में नहीं छोड़ी कमी, 60 सभाएं कर ‘कुर्सी’ की दौड़ में सबसे आगे
राजस्थान में 3 दिसंबर को चुनाव के नतीजे आएंगे। सबकी निगाहें इस पर टिकी है कि अगर बीजेपी जीत हासिल कर लेती है तो मुख्यमंत्री किसे बनाएगी। फिलहाल राजस्थान में सबसे मजबूत चेहरा वसुंधरा राजे का है। राजे और केंद्र के बीच भले ही अनबन की खबरें सामने आई हो लेकिन वसुंधरा ने चुनाव प्रचार में कोई भी कमी नहीं छोड़ी और 60 सभाएं की।
जयपुर : राजस्थान में अब 2 दिन बाद 3 दिसंबर को सियासत का पर्दा उठने वाला है। इसके बाद साफ हो जाएगा कि राजस्थान में किसकी सरकार बनेगी। उधर, बीजेपी में मुख्यमंत्री पद को लेकर सस्पेंस अभी भी बरकरार है। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भले ही इस विधानसभा चुनाव में कई बार साइड लाइन दिखाई दी। लेकिन प्रचार प्रसार के दौरान वसुंधरा काफी सुर्खियों में आईं। वसुंधरा राजे ने चुनाव प्रचार के दौरान अपने समर्थकों के पक्ष में जमकर प्रचार प्रसार किया है। इसको लेकर सियासत में काफी चर्चा हो रही है। वसुंधरा की ओर से किए गए धुआंधार प्रचार प्रसार को लेकर सियासत इसके मतलब निकल रही है। चर्चा है कि वसुंधरा के चुनाव प्रचार में धुआंधार बैटिंग के पीछे बड़ा संकेत है। इसको लेकर राजनीतिक एक्सपर्ट्स चुनाव परिणाम के बाद उनकी भूमिका को इससे जोड़कर देख रहे हैं।
वसुंधरा के धुआंधार प्रचार के पीछे क्या मायने
वसुंधरा राजे भले ही सियासत में साइड लाइन नजर आईं हो। लेकिन चुनाव प्रचार के दौरान वसुंधरा राजे ने अपने समर्थक उम्मीदवारों के प्रचार प्रसार में कोई कमी नहीं छोड़ी। वसुंधरा ने अपने समर्थकों के पक्ष में करीब 60 चुनावी सभाएं की है, जो सर्वाधिक हैं। इसको लेकर भी वसुंधरा काफी सुर्खियों में रही। वसुंधरा राजे की ओर से बड़ी मात्रा में चुनावी सभाएं करने के पीछे कोई खास वजह मानी जा रही है। सियासत पर चर्चा है कि भले ही पार्टी हाई कमान ने वसुंधरा को मुख्यमंत्री चेहरे के रूप में घोषित नहीं किया। लेकिन इन चुनावी सभाओं के माध्यम से वसुंधरा राजे ने अपनी ताकत दिखाने की कोशिश की है। चर्चा यह भी है कि चुनावी सभाओं के माध्यम से वसुंधरा पहले ही अपने समर्थकों को साधना चाह रही है। जो बाद में मुख्यमंत्री के चुनाव में वसुंधरा के काम आ सके। अब देखने वाली बात होगी कि वसुंधरा का यह दांव आने वाले दिनों में क्या असर दिखाएगा?
वसुंधरा की शुरुआत साइड लाइन से हुई
राजस्थान में विधानसभा चुनाव को लेकर बीते कुछ महीनो में सियासत के कई रूप-रंग देखने को मिले हैं। कुछ महीने पहले वसुंधरा बीजेपी से अलग-अलग नजर आई। इसको लेकर उनके साइड लाइन होने को लेकर जमकर सियासी चर्चाएं हुई। बीजेपी की ओर से परिवर्तन संकल्प यात्रा निकाली गई। इसमें पीएम मोदी सहित बीजेपी के दिग्गज नेता शामिल हुए। लेकिन वसुंधरा ने कई मौकों पर इस यात्रा से दूरी बनाए रखी। जो काफी चर्चा का विषय है। दूसरी ओर पीएम मोदी ने इस बार राजस्थान में बिना मुख्यमंत्री के चेहरे पर चुनाव लड़ने की घोषणा की। इसके बाद यही माना जाने लगा कि इस बार राजस्थान में बीजेपी की तरफ से नेतृत्व में बदलाव देखने को मिल सकता है।
टिकट वितरण में भी वसुंधरा की हुई अनदेखी
विधानसभा चुनाव के दौरान वसुंधरा और पार्टी हाई कमान के बीच काफी दूरियां नजर आई। हालांकि बीजेपी इस बात का दांवा करती रही कि, उनके और वसुंधरा के बीच सब कुछ ठीक है। लेकिन कांग्रेस ने इस मुद्दे को लेकर जमकर हमले किए। उधर, बीजेपी के टिकट वितरण में भी वसुंधरा राजे की ज्यादा नहीं चल पाई। इस बार बीजेपी ने वसुंधरा के दबदबे को नकार दिया। हालांकि पहली लिस्ट के बाद बीजेपी में काफी विरोध हुआ। लेकिन अगली उम्मीदवारों की लिस्टों में बीजेपी ने इस पर डैमेज कंट्रोल कर लिया।
Add Comment