SPORTS / HEALTH / YOGA / MEDITATION / SPIRITUAL / RELIGIOUS / HOROSCOPE / ASTROLOGY / NUMEROLOGY

रिलेशनशिप- जिनके दोस्त नहीं होते, वो ज्यादा बीमार पड़ते हैं:हेल्दी रहना चाहते हैं तो बनें सोशल एनिमल, दोस्तियों-रिश्तों में करें इंवेस्ट

TIN NETWORK
TIN NETWORK

रिलेशनशिप- जिनके दोस्त नहीं होते, वो ज्यादा बीमार पड़ते हैं:हेल्दी रहना चाहते हैं तो बनें सोशल एनिमल, दोस्तियों-रिश्तों में करें इंवेस्ट

आपकी सेहत किन बातों पर निर्भर करती है? कुछ लोगों के लिए इसका सही जवाब हेल्दी लाइफस्टाइल तो कुछ के लिए दवा और डॉक्टर का भरोसा हो सकता है।

अब इस फेहरिस्त में एक और बात जोड़ लीजिए, क्योंकि नई रिसर्च बताती है कि अकेलापन बीमारियों के खतरे को बढ़ा देता है। अकेले रहने वाले लोग खासतौर से दिल संबंधी बीमारियों के शिकार हो सकते हैं।

अमेरिकन साइकिएट्रिक एसोसिएशन की नई रिपोर्ट बताती है कि परिचितों-दोस्तों की कमी या सोशल इंटरेक्शन का घटता दायरा कई तरह की बीमारियों की वजह बन सकता है।

कम हुए दोस्त तो बीमारियों का खतरा 16% बढ़ा
अमेरिकन साइकिएट्रिक एसोसिएशन की हालिया रिसर्च पूर्व में हुई 6 अलग-अलग रिसर्चों का विश्लेषण है। लगभग 1 लाख लोगों पर हुई इस स्टडी में पाया गया कि जैसे ही किसी शख्स के सोशल इंटरेक्शन में पर्याप्त कमी आती है, उसके दिल की बीमारियों से पीड़ित होने की आशंका 16% तक बढ़ जाती है।

इसके अलावा ऐसे लोगों में डिमेंशिया, चलने में परेशानी, स्लीपिंग डिसऑर्डर, अनहेल्दी लाइफस्टाइल जैसी हेल्थ रिलेटेड प्रॉब्लम्स भी ज्यादा देखी गईं।

बात सिर्फ इतनी नहीं है। मायो क्लिनिक की एक रिसर्च यह भी बताती है कि अकेलेपन का असर मेंटल-फिजिकल के साथ-साथ बायलॉजिकल भी हो सकता है। अकेलेपन की स्थिति में लोगों की बॉडी उनकी उम्र के मुकाबले कुछ ज्यादा ही तेजी से बूढ़ी हो सकती है।

उदाहरण के लिए 60 साल उम्र वाले दो दोस्तों को लीजिए। जिनमें एक सोशली एक्टिव रहता है तो दूसरा अकेलेपन का शिकार है। ऐसी स्थिति में संभव है कि सोशली एक्टिव रहने वाला शख्स अपने दोस्त के मुकाबले थोड़ा यंग दिखे।

यहां इस बात का ध्यान रखना भी जरूरी है कि सिर्फ सोशल रिलेशनशिप ही उम्र और सेहत को प्रभावित नहीं करते। इसके दूसरे अहम फैक्टर्स भी हैं। ऐसे में अगर कोई अनहेल्दी लाइफस्टाइल अपनाते हुए सिर्फ दोस्तों के सहारे यंग और हेल्दी दिखने की सोचे तो उसे निश्चित ही निराशा हाथ लगेगा। यानी दोस्तों के साथ जंक फूड के अड्डों पर घूमना सेहत को फायदे के बदले नुकसान पहुंचा सकता है।

जिंदगी में दवा और दुआ का काम करते हैं रिश्ते
रिसर्च में जिन रिश्तों को मेंटल और फिजिकल हेल्थ के लिए जरूरी बताया गया है, इनमें सिर्फ क्लोज, इंटिमेट या फैमिली बॉन्डिंग वाले रिश्ते नहीं हैं। इनमें से कुछ रिश्ते ऐसे हैं, जिन्हें हम आमतौर पर ‘पहचान भर का रिश्ता’ बताते हैं। रिसर्च के मुताबिक सामान्य सोशल इंटरैक्शन भी हमारी खुशियों पर पर्याप्त प्रभाव डाल सकते हैं। इस तरह देखें तो पार्क में मिलने वाला शख्स, सड़क पर देखकर हालचाल पूछने वाला शख्स भी सामाजिक दायरे के साथ-साथ सेहत को बेहतर करते जाते हैं।

यहां इस बात का ध्यान रखें कि रिश्ता चाहे जैसा भी हो, जिन लोगों के साथ महीने में कम-से-कम दो बार मुलाकात या बात होती हो, उन्हें ही सोशल इंटरैक्शन के दायरे में रखा जा सकता है।

सेहत को कैसे संवारता है रिश्ता
सेहत और रिश्ते के कनेक्शन को समझने में C-रिएक्टिव प्रोटीन की भूमिका अहम हो जाती है। दरअसल, C-रिएक्टिव प्रोटीन शरीर में इन्फेक्शन का लेवल बताता है। यह जितना ज्यादा होगा, इन्फेक्शन और गंभीर बीमारियों का खतरा भी उतना ज्यादा होगा।

रिसर्चर्स का कहना है कि दोस्त-यार, पार्टनर, रिश्तेदार, कलीग या किसी भी परिचित शख्स के साथ ज्यादा वक्त गुजारने वाले लोगों में C-रिएक्टिव प्रोटीन का लेवल घटता है। जिसकी वजह से उनके बीमार पड़ने की आशंका कुछ कम हो जाती है। लो C-रिएक्टिव प्रोटीन की वजह से उनका शरीर बीमारियों से लड़ने के लिए तैयार होता है।

‘SNI’ बताएगा रिश्तों की स्थिति और सेहत का हाल
रिसर्च बताती है कि रिश्तों की संख्या सेहत को प्रभावित करती है, लेकिन इन रिश्तों और इनकी गहराई को मापना उतना भी आसान नहीं है। क्योंकि रिश्ते को गणित के फॉर्मूले में बांधना संभव नहीं। ऐसी स्थिति में सोशल नेटवर्क इंडेक्स(SNI) काम आ सकता है।

सोशल नेटवर्क इंडेक्स को रिश्तों की संख्या मापने का एक पैमाना कह सकते हैं। यह बताता है कि कोई शख्स सोसायटी, परिवार और रिश्ते में कितनी अलग-अलग भूमिकाएं निभा रहा है।

उदाहरण के लिए अगर कोई शख्स एक दोस्त, भाई, रोमांटिक पार्टनर, टीचर और कलीग के रूप में 1-1 शख्स के साथ संबंध रखता है तो इस स्थिति में उसका सोशल नेटवर्क इंडेक्स (SNI) 5 होगा। आदमी जितना ज्यादा सोशली एक्टिव होगा, उसका SNI उतना ही ज्यादा होगा और उसके बीमार पड़ने की आशंका उसी के अनुसार कम होती जाएगी।

रिश्ते बनाना और निभाना नहीं है मुश्किल काम, अपनाएं ये टिप्स
अभी तक की कहानी पढ़ने के बाद संभव है आप सोचें कि इतने सारे रिश्ते बनाना और उसे निभाना भला कैसे संभव हो पाएगा। दिल-दिमाग पर एक्ट्रा बोझ तो नहीं पड़ जाएगा!

लेकिन ऐसा नहीं है। अमेरिकन साइकिएट्रिक एसोसिएशन की मानें तो बिना तन-मन को थकाए अच्छे सामाजिक रिश्ते बनाए जा सकते हैं। इसके लिए ये कदम उठाए जा सकते हैं-

पुराने रिश्तों को संभालें- नए संबंध बनाने से बेहतर है कि पुराने दोस्त, कलीग और रिश्तेदारों के साथ थोड़ा इंटरेक्शन बढ़ाएं। समय-समय पर उनकी सुध लेते रहें और मिलने-जुलने के मौके ढूंढें।

खुद को सोशल एक्टिविटी में इन्वॉल्व करें- सोशली एक्टिव होने और लोगों से मिलने-जुलने का सबसे बेहतर माध्यम सोशल वर्क हो सकता है। कम्युनिटी वर्क के सहारे खुद को नए लोगों से जोड़ सकते हैं। ऐसा करने से एक्टिव रहने के साथ-साथ लाइफ को एक अच्छा पर्पज भी दे सकते हैं।

सोशल मीडिया से करें इंटरैक्ट- बात जब लोगों से घुलने-मिलने की आती है तो सोशल मीडिया को एंटी सोशल एलिमेंट के बतौर देखा जाता है, जो लोगों को समाज और रिश्तों से दूर आभासी दुनिया में अकेला कर देता है। लेकिन अगर माइंडफुल होकर इसका इस्तेमाल किया जाए तो सोशल मीडिया अकेलेपन को दूर कर सकता है। मसलन, डूमस्क्रॉलिंग की जगह इसका इस्तेमाल नए-पुराने दोस्तों, परिचितों और रिश्तेदारों के इंटरैक्ट करने के लिए किया जाए तो यह अकेलेपन को दूर कर सकता है।

About the author

THE INTERNAL NEWS

Add Comment

Click here to post a comment

error: Content is protected !!