सेहतनामा- कम उम्र में हार्ट अटैक के 8 बड़े कारण:स्मोकिंग, फास्टफूड और मोटापा प्रमुख वजह, लाइफ स्टाइल में ये 10 बदलाव जरूरी
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हमारे शरीर का केंद्र है दिल। जब तक यह धड़क रहा है तभी तक हमारा जीवन भी है। यह जितना महत्वपूर्ण है, उतना ही नाजुक अंग है। इसकी सेहत किसी भी उम्र में बिगड़ सकती है। दिल की धड़कन कभी भी रुक सकती है।
आमतौर पर दिल से जुड़ी शिकायतें बड़ी उम्र में आती हैं, क्योंकि उम्र बढ़ने के साथ बॉडी ऑर्गन्स कमजोर होते जाते हैं और उनकी फंक्शनिंग में समस्याएं आने लगती हैं। एक तो खुद दिल भी बूढ़ा पड़ता है और बाकी ऑर्गन्स का बोझ भी इसके ऊपर बढ़ जाता है। इसलिए थोड़ा सा भी ट्रिगर दिल को मुश्किल में डाल देता है।
अब सवाल है कि बीते कुछ सालों में युवाओं में हार्ट अटैक के जोखिम क्यों बढ़ रहे हैं? जवाब इसका भी वही है। फर्क बस इतना है कि इन लोगों का दिल उम्र से पहले ही बूढ़ा हो गया है। वजह लाइफ स्टाइल, हेल्थ कंडीशंस, कोविड या इनवायरमेंट कुछ भी हो सकती है। अगर हम चाहते हैं कि सबकुछ ठीक रहे तो इस सब के पीछे के कारण समझने होंगे और उनका समाधान भी खोजना होगा।
इसलिए आज ‘सेहतनामा’ में जानेंगे कि कम उम्र में हार्ट अटैक क्यों हो रहे हैं। साथ ही जानेंगे कि-
- कम उम्र में हार्ट अटैक के 8 बड़े कारण क्या हैं?
- कैसे चेक करवाएं अपनी हार्ट हेल्थ?
- इनसे कैसे पार पाया जा सकता है?
32% लोगों की मौत कार्डियोवस्कुलर डिजीज के कारण
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, हर साल करीब 6 करोड़ लोगों की मौत होती है। इनमें से लगभग 32% मौतों की वजह कार्डियोवस्कुलर डिजीज है। यह बीमारी दुनिया में सबसे अधिक मौतों की वजह बनती है। हर साल लगभग पौने दो करोड़ लोग किसी-न-किसी हार्ट डिजीज के कारण जान गंवा रहे हैं।
पहले हार्ट डिजीज के ज्यादातर पेशेंट्स 60 साल से अधिक उम्र के होते थे। अब नई समस्या ये है कि बीते कुछ सालों में 30 साल से कम उम्र के लोग भी इसका शिकार बन रहे हैं। कोविड के बाद से तो जैसे हार्ट अटैक के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं।
कम उम्र में हार्ट अटैक के क्या हैं रिस्क फैक्टर्स?
लंबे अरसे तक माना जाता रहा कि उम्र के साथ हमरा दिल भी बूढ़ा होता जाता है। इसलिए उम्र बढ़ने के साथ हार्ट डिजीज के मामले भी बढ़ जाते हैं। लेकिन बीते सालों में युवाओं को हो रहे हार्ट अटैक और स्ट्रोक्स ने सबको चौंकाया है।
आइए ग्राफिक में देखते हैं , बड़े रिस्क फैक्टर्स:
अनहेल्दी लाइफ स्टाइल
आजकल ज्यादातर बीमारियों की जड़ अनहेल्दी लाइफस्टाइल है। देर रात तक जगना, सुबह देर से उठना, एक्सरसाइज न करना, खाने में फास्ट फूड और तली-भुनी चीजें खाना। इसके कारण डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, ओबिसिटी जैसी लाइफस्टाइज डिजीज होती हैं, जो आगे चलकर हार्ट अटैक का कारण बनती हैं।
हाई ब्लड प्रेशर
हाई ब्लड प्रेशर हार्ट अटैक के सबसे बड़े रिस्क फैक्टर्स में से एक है। असल में ब्लड प्रेशर हाई होने का मतलब है कि ब्लड फ्लो में कोई समस्या है तो हार्ट को इसका फ्लो बरकरार रखने के लिए पंपिंग तेज करनी पड़ रही है। इससे ब्लड वेसल्स डैमेज होती हैं, दिल थक रहा होता है। जो कभी भी हार्ट अटैक या अरेस्ट की वजह बन सकता है।
हाई कोलेस्ट्रॉल लेवल
कोलेस्ट्रॉल हमारी ब्लड वेसल्स में जमा गाढ़े फैट की तरह है, जो खून की आवाजाही को बाधित करता है। इसके कारण ब्लड प्रेशर बढ़ता है। हार्ट को खून पंपिंग में ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। इसका लेवल जितना बढ़ता है, हार्ट अटैक के चांसेज भी उतने ही बढ़ते जाते हैं।
फैमिली हिस्ट्री
ब्रिटेन स्थित द हार्ट फाउंडेशन के मुताबिक, अगर किसी व्यक्ति के पेरेंट्स को या भाई-बहन को 60 साल से कम उम्र में हार्ट अटैक हुआ है तो उसे दूसरों के मुकाबले कम उम्र में हार्ट अटैक की आशंका अधिक होती है।
स्मोकिंग
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में पब्लिश साल 2016 की एक स्टडी के मुताबिक, बच्चों और युवाओं में हार्ट अटैक के बड़े रिस्क फैक्टर्स में एक स्मोकिंग भी है। भारत सरकार के नेशनल सैंपल सर्वे के मुताबिक भारत में 10 से 14 साल के 2 करोड़ बच्चे तंबाकू और सिगरेट के लती हैं। स्मोकिंग से हमारे फेफड़े और ब्लड वेसल्स कमजोर पड़ते हैं, जो हार्ट अटैक का बड़ा कारण हैं।
डायबिटीज
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के मुताबिक, जिन लोगों को डायबिटीज है, उनमें हाई ब्लड प्रेशर और हाई कोलेस्ट्रॉल का खतरा बढ़ जाता है। ये दोनों ही फैक्टर दिल की सेहत के लिए खतरनाक हैं। असल में डायबिटीज के कारण ब्लड वेसल्स कमजोर पड़ जाती हैं, हार्ट की मसल्स भी कमोजेर हो जाती हैं। ऐसे में दूसरे ट्रिगर पॉइंट्स मौत के मुंह तक ले जाते हैं।
ओबिसिटी
मोटापा ऐसी कॉम्प्लेक्स डिजीज है, जो कई लाइफ स्टाइल बीमारियों की वजह बनती है। डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, स्ट्रेस जैसी सभी लाइफ स्टाइल डिजीज दिल की सेहत के लिए बेहद नुकसानदायक हैं।
कोविड इंफेक्शन इफेक्ट्स
कोरोना वायरस ने हमारे फेफड़ों को सबसे अधिक नुकसान पहुंचाया है। इसने किडनी और ब्लड वेसल्स को भी कमजोर किया है। इसका सीधा असर हार्ट पर पड़ता है। यही कारण है कि कोविड इंफेक्शन के बाद बच्चों और युवाओं में कोरोना के मामले ज्यादा देखने को मिल रहे हैं।
कई स्टडीज ने तो यहां तक बताया है कि इन दिल के दौरों के पीछे जीवन दायिनी कोविड वैक्सीन भी बड़ी वजह है।
हार्ट अटैक या स्ट्रोक से बचने के लिए क्या कर सकते हैं
हार्ट अटैक से बचना है तो समय-समय पर हार्ट हेल्थ का चेकअप करवाना जरूरी है।
हार्ट हेल्थ सुधारने के लिए क्या कर सकते हैं?
कोरोना इंफेक्शन ने हमारे दिल समेत कई बॉडी ऑर्गन्स को बहुत नुकसान पहुंचाया है। ऐसे में अनहेल्दी लाइफ स्टाइल इन्हें और नाजुक बना सकती है। जरूरी है कि हेल्दी लाइफ स्टाइल फॉलो करके दिल की सेहत में सुधार किया जाए।
हार्ट अटैक से संबंधित अकसर पूछे जाने वाले कुछ सवाल यानी FAQs
सवाल: कैसे जानेंगे कि हमें हार्ट अटैक हुआ है?
जवाब: अगर सीने में दर्द के साथ दो या दो से अधिक लक्षण महसूस हो रहे हैं तो माइनर या मेजर हार्ट अटैक हो सकता है।
- सीने में दर्द और बेचैनी
- कंधे में दर्द जो फैल रहा है
- सांस लेने में दिक्कत
- तेजी से पसीना आना
- थकान
- मतली
- बेहोशी
सवाल: हार्ट अटैक के लक्षण दिख रहे हैं तो अस्पताल पहुंचने से पहले क्या करें?
जवाब: जर्नल ऑफ द अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन की एक स्टडी के मुताबिक अगर सीने में अचानक बहुत तेज दर्द हो रहा है और पसीना भी आ रहा है तो इसके चार घंटे के भीतर एस्पिरिन की दो-तीन गोलियां लेने से हार्ट अटैक के खतरे को कम किया जा सकता है। इससे ब्लड पतला हो जाता है और हार्ट को पंपिंग में बहुत मेहनत नहीं करनी पड़ती है। ब्लड क्लॉटिंग का जोखिम भी नहीं रहता है।
सवाल: हार्ट अटैक के बाद किसी को बेहोशी छा रही है तो क्या करें?
जवाब: अगर हार्ट अटैक के बाद बेहोशी छा रही है तो इसका मतलब है कि पेशेंट को पूरी सांस लेने में तकलीफ हो रही है। इससे उसकी जान भी जा सकती है। ऐसे में अस्पताल पहुंचने से पहले CPR दिया जा सकता है।
अगर CPR देना नहीं जानते हैं: अगर CPR देना नहीं जानते हैं तो बीमार व्यक्ति के सीने को एक मिनट में 100 से 120 बार प्रेस करें।
अगर CPR देना जानते हैं: अगर CPR देना जानते हैं तो 30 बार प्रेस करने के बाद दो बार अपने मुंह से जीवन सांस दें। हर मिनट में 100 से 120 बार सीने को प्रेस करते रहें।
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