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सेहतनामा- सुपरबग्स पर बेअसर हर दवा:जुकाम, खांसी से भी जा सकती है जान, एक्सपर्ट का मानना, ये है कोरोना से भी खतरनाक

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सेहतनामा- सुपरबग्स पर बेअसर हर दवा:जुकाम, खांसी से भी जा सकती है जान, एक्सपर्ट का मानना, ये है कोरोना से भी खतरनाक

सुपरबग। पहली बार में यह नाम सुनकर लगता है कि कीड़ों की दुनिया का कोई खतरनाक विलेन है, जो कम-से-कम 8 टांगों से चलता हुआ आएगा और इसके काटते ही मौत हो जाएगी।

सुपरबग होता तो इतना ही खतरनाक है, लेकिन इसका वास्ता कीड़ों की दुनिया से नहीं बल्कि जर्म्स की दुनिया से है। जब कोई बैक्टीरिया, पैथोजेन या वायरस एंटीबायोटिक्स और दूसरे एंटीमाइक्रोबियल ड्रग्स के खिलाफ प्रतिरोधी क्षमता बना लेता है तो सुपरबग बन जाता है। उस पर दवाइयां असर नहीं करती हैं, इलाज करना मुश्किल हो जाता है।

आपने बीते कुछ सालों में मच्छरों को लेकर एक बात गौर की होगी। पहले ये मच्छर मॉर्टीन के धुएं से मर जाते थे। कुछ दिन बाद यह बेअसर हो गई। फिर जहरीली अगरबत्ती और फास्ट कार्ड आए, कुछ दिन ये खूब असरदार साबित हुए। बाद में इनका धुआं भी बेअसर हो गया। असल में इस बीच मच्छरों की प्रतिरोधी क्षमता कई गुना बढ़ गई है और ये ताकतवर हो गए हैं। इन्होंने इस जहरीले धुएं में रहना सीख लिया है। ऐसे ही कई बैक्टीरिया, पैथोजेन्स और वायरस भी दवाइयों से लड़ना सीख गए हैं, बहुत ताकतवर हो गए हैं। कई सुपरबग्स ऐसे हैं, जिन पर कोई दवा असर नहीं करती है। फिक्र की बात ये है कि ये बढ़ते ही जा रहे हैं।

इसलिए आज ‘सेहतनामा’ में सुपरबग्स की बात करेंगे। साथ ही जानेंगे कि-

  • इन्हें कोविड 19 जैसे पैनडेमिक से खतरनाक क्यों कहा जा रहा है?
  • क्या सुपरबग्स से जान को खतरा है?
  • सुपरबग्स से बचने के क्या उपाय हैं?

सुपरबग्स क्या होते हैं?

सुपरबग माइक्रोबियल स्ट्रेन हैं। पहले जो दवाएं इनके द्वारा फैलाए गए इन्फेक्शन के इलाज में इस्तेमाल होती थीं, अब ये उन दवाओं के प्रति प्रतिरोधी( Resistant) हो गए हैं।

डॉ. नेहा करनानी कहती हैं कि इससे होता ये है कि इनके कारण होने वाली बेहद सामान्य बीमारियों का भी इलाज कर पाना मुश्किल हो जाता है क्योंकि इन पर दवाओं का असर ही नहीं होता है। सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक ये सुपरबग्स अमेरिका में हर साल 28 लाख से अधिक लोगों को संक्रमित करते हैं और इनमें से 35,000 से अधिक लोगों की मौत हो जाती है। अगर इसका कोई स्ट्रेन महामारी की तरह फैला तो ये तबाही ला सकता है।

कोविड 19 जैसे पैनडेमिक से ज्यादा खतरनाक हैं सुपरबग्स

विशेषज्ञ सुपरबग्स को कोविड 19 से भी ज्यादा खतरनाक मान रहे हैं। इसके पीछे पर्याप्त कारण भी हैं। आइए तीन अलग पैमानों पर तुलना करके देखते हैं।

1. क्या ज्यादा गंभीर है, कितना फैल सकता है

कोविड 19: कोविड 19 महामारी ने लाखों लोगों की जान ली है। इसने बड़े स्तर पर आर्थिक और सामाजिक उथल-पुथल मचाई है। हालांकि अपेक्षाकृत कम समय में ही प्रभावी वैक्सीन बन गईं और दुनिया इससे उबर गई।

सुपरबग: कोविड 19 के विपरीत सुपरबग व्यापक है और जितना समय बीतेगा, यह उतना ही खतरनाक होता जाएगा। अगर एक बार कोई बैक्टीरिया रेजिस्टेंट हो गया तो जिन संक्रमणों का पहले इलाज संभव था, वे जानलेवा हो सकते हैं। मेडिसिन कम्युनिटी इन पैथोजेन्स के रैपिड इवॉल्यूशन के साथ तालमेल बनाने के लिए संघर्ष कर रही है। एंटीबायोटिक दवाओं का बेजा इस्तेमाल और भी चिंता का विषय है।

2. हेल्थ केयर इंपैक्ट

कोविड-19: कोविड-19 की तबाही के आगे ICU जैसी व्यवस्थाएं चरमरा गई थीं। इसका असर दूसरी हेल्थ कंडीशंस पर भी पड़ा। हालांकि, जैसे ही कोविड पर थोड़ा काबू पाया गया, दूसरी स्वास्थ्य समस्याओं का इलाज पटरी पर आ गया।

सुपरबग: सुपरबग्स के कारण दवा प्रतिरोधी संक्रमण रेगुलर सर्जरी, कैंसर के इलाज और क्रॉनिक डिजीज को ज्यादा मुश्किल बना सकते हैं। इससे मामूली संक्रमण भी जानलेवा बन जाते हैं और ये पूरे हेल्थकेयर सिस्टम को बर्बाद कर सकते हैं।

3. आर्थिक नजरिए से

कोविड 19: कोविड 19 के कारण ज्यादातर देशों को बड़े आर्थिक झटके लगे। हालांकि ज्यादातर अल्पकालिक थे और उनमें सुधार हो गया है।

सुपरबग: सुपर बग लंबे समय तक चलने वाली समस्या है। आने वाले समय में इलाज की लागत और बढ़ जाएगी, बीमार लोग बढ़ेंगे तो प्रोडक्टिविटी घटेगी। यह सब मिलकर दीर्घकालिक आर्थिक असर डाल सकता है। विश्व बैंक (World Bank) का अनुमान है कि 2050 तक एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंट (AMR) से वैश्विक अर्थव्यवस्था को 100 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान हो सकता है।

इससे यह अंदाजा लगता है कि लगभग सभी पैमानों में सुपरबग्स कोविड 19 से कहीं ज्यादा खतरनाक हैं।

सुपरबग इन्फेक्शन के लक्षण क्या हैं?

  • कुछ लोगों में सुपरबग इन्फेक्शन का कोई लक्षण दिखाई नहीं देता है। अगर स्वस्थ लोग बिना किसी लक्षण के पैथोजेन्स को अपने साथ लेकर घूम रहे हैं तो ये कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों को संक्रमित कर सकते हैं।
  • अगर उदाहरण के तौर पर देखें तो एन. गोनोरिया ( N. Gonorrhoeae) एक सेक्शुअली ट्रांसमिटेड बैक्टीरिया है, जिसका अक्सर पता नहीं चल पाता है क्योंकि इसके लक्षण तुरंत दिखाई नहीं देते हैं।
  • अगर ध्यान न दिया जाए तो गोनोरिया नर्वस सिस्टम और हार्ट को बुरी तरह नुकसान पहुंचा सकता है। यह बांझपन और इक्टोपिक प्रेग्नेंसी का कारण बन सकता है। इक्टोपिक प्रेग्नेंसी में जान जाने का खतरा हो सकता है।
  • कुछ समय पहले तक एन. गोनोरिया के संक्रमण के लिए सेफलोस्पोरिन नाम की एंटीबायोटिक एकदम सटीक इलाज वाली दवा थी। अब इसके खिलाफ रेजिस्टेंस पैदा हो गया और यह किसी काम की नहीं रह गई है।
  • सुपरबग का इन्फेक्शन होने पर हमेशा एक जैसे लक्षण नहीं होते हैं। यह इस पर निर्भर करता है कि किस जर्म के कारण इन्फेक्शन हुआ है।

सुपरबग संक्रमण से कैसे बच सकते हैं?

डॉ. नेहा करनानी के मुताबिक, इन्फेक्शन के बाद सुपरबग्स जितने खतरनाक होते हैं, इनसे बचाव करना उतना ही आसान है। अगर बुनियादी सावधानियां बरती जाएं तो आप और आपका परिवार सुरक्षित बना रहेगा। आइए ग्राफिक में देखते हैं:

आइए ग्राफिक में दिए कुछ पॉइंट्स को विस्तार से समझते हैं:

अच्छी तरह हाथ साफ करें: अपने हाथ साबुन और पानी से कम-से-कम 20 सेकेंड तक धोएं। अगर साबुन और पानी नहीं है तो अल्कोहल वाले सैनिटाइजर का उपयोग करें।

भोजन के मामले में साफ-सफाई बरतें: फलों और सब्जियों को धोकर ही काटें। कटिंग बोर्ड, चाकू, किचेन के बर्तनों को साफ-सुथरा रखें।

सेक्शुअली ट्रांसमिटेड इन्फेक्शंस से बचें: अगर एक ही सेक्शुअल पार्टनर है और वह संक्रमित नहीं है तो इन्फेक्शन का खतरा सबसे कम होगा। इसके बावजूद जोखिम को और कम करने के लिए कंडोम का सही तरीके से उपयोग करें।

बीमार लोगों से उचित दूरी बनाएं: यदि संभव हो सके तो बीमार लोगों के बहुत पास जाने से बचें। अगर हॉस्पिटल जा रहे हैं या किसी बीमार रिश्तेदार से मिल रहे हैं तो मास्क का उपयोग करें। वहां से निकलकर हाथों को सेनिटाइज करें।

रिकमेंडेड वैक्सीन्स जरूर लगवाएं: रेगुलर वैक्सीन्स और उन वैक्सीन्स के बारे में अपडेट रहें, जो किसी यात्रा से पहले जरूरी होते हैं। अपने फैमिली मेंबर्स का भी इसे लेकर ख्याल रखें।

सही समय पर सही दवाइयां लें: थोड़े से जुकाम-बुखार पर एंटीबायोटिक दवाइयां लेने से बचें। यही दवाइयां बाद में इन जर्म्स को रेजिस्टेंट बना देती हैं। एंटीबायोटिक दवाइयां हमेशा डॉक्टर की सलाह के बाद ही खानी चाहिए।

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