SPORTS / HEALTH / YOGA / MEDITATION / SPIRITUAL / RELIGIOUS / HOROSCOPE / ASTROLOGY / NUMEROLOGY

सेहतनामा- भारत बायोटेक की रोटावायरस वैक्सीन पर सवाल:क्या है रोटावायरस, कैसे फैलता संक्रमण, हर साल 2.5 करोड़ बच्चे होते शिकार

TIN NETWORK
TIN NETWORK
FacebookWhatsAppTelegramLinkedInXPrintCopy LinkGoogle TranslateGmailThreadsShare

सेहतनामा- भारत बायोटेक की रोटावायरस वैक्सीन पर सवाल:क्या है रोटावायरस, कैसे फैलता संक्रमण, हर साल 2.5 करोड़ बच्चे होते शिकार

हाल ही में इंटरनेशनल जर्नल ऑफ रिस्क एंड सेफ्टी इन मेडिसिन में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक, भारत बायोटेक की रोटावायरस वैक्सीन रोटावैक से बाउल सिंड्रोम का खतरा हो सकता है।

स्टडी के मुताबिक इससे इंटुअससेप्शन (Intussusception) जैसी गंभीर मेडिकल कंडीशन बन सकती है। इसका मतलब है कि आंत का एक हिस्सा दूसरे हिस्से में चला जाता है। इससे आंतों में ब्लड की कमी हो जाती है, जो इंटेस्टाइनल गैंग्रीन का कारण बन सकता है। अगर समय पर इलाज न किया जाए तो इससे मौत भी हो सकती है।

हालांकि भारत बायोटेक ने इस स्टडी को खारिज कर दिया है। उनका कहना है कि इस वैक्सीन की स्टडीज का बेहद सावधानीपूर्वक मूल्यांकन किया गया था। कंपनी ने साल 2020 में न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में पब्लिश एक विश्लेषण का जिक्र भी किया है, जिसमें बताया गया है कि इस वैक्सीन से बच्चों को कोई नुकसान नहीं है।

इस सबके बीच हमें यह जानना जरूरी है कि रोटावायरस क्या है?

इसलिए आज ‘सेहतनामा’ में बात रोटावायरस की। साथ ही जानेंगे कि-

  • बच्चों को इसकी वैक्सीन लगवाना क्यों जरूरी है?
  • रोटावायरस के क्या लक्षण होते हैं?
  • यह कितना खतरनाक साबित हो सकता है?

हर साल 5 साल से कम उम्र के 2.5 करोड़ बच्चे होते रोटावायरस का शिकार
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, पूरी दुनिया में प्रतिवर्ष 5 साल से कम उम्र के करीब 2.5 करोड़ बच्चे रोटावायरस का शिकार होते हैं। आमतौर पर रोटावायरस से छोटे बच्चे ही संक्रमित होते हैं। हालांकि यह बड़ी उम्र में भी हमें संक्रमित कर सकता है।

क्या होता है रोटावायरस?

रोटावायरस एक बहुत संक्रामक वायरस है, जो डिहाइड्रेशन और डायरिया का कारण बनता है। रोटावायरस की वैक्सीन बनने से पहले 5 साल से कम उम्र के अधिकांश बच्चे कम-से-कम एक बार इस वायरस से संक्रमित हो ही जाते थे।

क्या हैं रोटावायरस के लक्षण और संकेत?

रोटावायरस के लक्षण बच्चों में जल्दी नजर आते हैं और तेजी से बिगड़ते हैं। रोटावायरस के संपर्क में आने के 2 दिनों के भीतर ये लक्षण दिखने शुरू हो जाते हैं।

आइए ग्राफिक में देखते हैं:

छोटे बच्चों में डिहाइड्रेशन सबसे अधिक चिंता का विषय है। छोटी उम्र में उल्टी और दस्त के कारण शरीर में पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स की तेजी से कमी हो जाती है। इससे बच्चों का वजन भी कम हो सकता है। इसलिए बच्चों को लेकर अधिक सावधानी बरतने की जरूरत होती है।

रोटावायरस कैसे फैलता है?
संक्रमित व्यक्ति या बच्चों के मल (Stool) में रोटावायरस जर्म्स मौजूद होते हैं और डायपर बदलने पर बाथरूम में या उसके बाद गंदे हाथों से अन्य सतहों पर फैल सकते हैं। अगर ये जर्म्स किसी के मुंह के संपर्क में आते हैं तो इसे फेकल-ओरल स्प्रेड कहा जाता है।

कई लोगों में रोटावायरस संक्रमण के बाद भी इसके लक्षण नजर नहीं आते हैं। इनके खांसने, छींकने या स्लाइवा के जरिए संक्रमण फैल सकता है। अगर कोई व्यक्ति संक्रमित वस्तु या सरफेस को छूने के बाद बिना हाथ धुले अपने मुंह को छू लेता है तो वह भी संक्रमित हो सकता है।

रोटावायरस का इलाज क्या है?
ऐसी कोई दवा या उपचार नहीं है, जो रोटावायरस को खत्म कर दे। हालांकि, इसके इलाज में एंटीवायरल दवाएं, ओवर-द-काउंटर एंटीडायरियल दवाएं और एंटीबायोटिक्स इस्तेमाल होती हैं। इन दवाओं से इसके लक्षणों पर काबू पाकर पेशेंट को बचाया जा सकता है।

  • रोटावायरस के इलाज के समय पूरा फोकस इस बात पर रखना है कि हाइड्रेटेड रहा जाए और ज्यादा-से-ज्यादा आराम किया जाए।
  • इस दैरान हमें अपना लिक्विड इनटेक बढ़ाना चाहिए।
  • सब्जियों से तैयार सूप पीना फायदेमंद साबित होता है।
  • इलेक्ट्रोलाइट्स के साथ पेडियालाइट और दूसरे लिक्विड्स ले सकते हैं।
  • बहुत मीठे या चिकनई वाले भोजन से और मीठे जूस पीने से बचना चाहिए क्योंकि इनसे दस्त बढ़ सकती है।
  • BRAT आहार यानी केले, चावल, सेब की चटनी, टोस्ट नहीं खाने चाहिए।
  • बीमारी और इलाज के दौरान सादे और संतुलित भोजन की सलाह दी जाती है।

डॉ. बॉबी दीवान कहते हैं कि बेहतर है कि रोटावायरस के इंफेक्शन और डिहाइड्रेशन, डायरिया जैसी नौबत ही न आए। इसके लिए हम बच्चों को वैक्सीन लगवा सकते हैं।

उपलब्ध हैं रोटावायरस वैक्सीन

  • साल 2006 में पहली बार रोटावायरस वैक्सीन बाजार में आई थी। इससे पहले छोटे बच्चों को कम-से-कम एक बार रोटावायरस संक्रमण होना आम बात थी।
  • जब से वैक्सीन लगना शुरू हुई है, रोटावायरस से संक्रमित बच्चों के अस्पताल में भर्ती होने और मौत के मामलों में गिरावट आई है।
  • इसलिए जरूरी है कि रोटावायरस के संक्रमण को रोकने के लिए बच्चे को वैक्सीन लगाई जाए।

भारत में 3 वैक्सीन्स को लाइसेंस मिला हुआ है:

रोटारिक्स: 2 और 4 महीने के बच्चों में 2-खुराक

रोटाटेक: 2, 4, और 6 महीने की उम्र में 3-खुराक

रोटावैक: 6, 10 और 14 सप्ताह की उम्र में 3-खुराक

ये तीनों वैक्सीन ओरल हैं, यानी इन्हें इंजेक्शन से नहीं बल्कि मुंह में ड्रॉप के जरिए दिया जाता है। ठीक वैसे ही जैसे पोलियो की बूंदें पिलाई जाती हैं।

रोटावायरस वैक्सीन्स के साथ ये सबसे बड़ी कमी है कि बड़े बच्चों और वयस्कों के लिए कोई वैक्सीन उपलब्ध नहीं है। यही वजह है कि डॉ. बॉबी दीवान सलाह देते हैं कि अपने बच्चे को कम उम्र में ही रोटावायरस वैक्सीन लगवा दें।

कमजोर इम्यूनिटी वाले बच्चों को न लगवाएं वैक्सीन
डॉ. बॉबी दीवान कहते हैं कि अगर कोई बच्चा पहले से ही इम्युनोडेफिशिएंसी यानी कमोजर प्रतिरक्षा प्रणाली का सामना कर रहा है या इंटुअससेप्शन से पीड़ित है, जो बाउल सिंड्रोम की वजह बन सकता है तो उन शिशुओं को वैक्सीन न लगवाना ही बेहतर है या फिर इससे पहले किसी बाल रोग विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए।

भारत बायोटेक की वैक्सीन पर सवाल के बाद क्या होगा?
भारत बायोटेक की रोटावायरस वैक्सीन रोटावैक पर सवाल हैं कि इसके गंभीर साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। इंटरनेशनल जर्नल ऑफ रिस्क एंड सेफ्टी इन मेडिसिन में पब्लिश स्टडी के मुताबिक,

रोटावैक से बाउल सिंड्रोम का खतरा बढ़ सकता है। इससे इंटुअससेप्शन (Intussusception) जैसी गंभीर मेडिकल कंडीशन बन सकती है, जो आगे चलकर बाउल सिंड्रोम में बदल जाती है।

हालांकि भारत बायोटेक ने इसे स्टडी को खारिज कर दिया है। उन्होंने न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में पब्लिश विश्लेषण का हवाला दिया है। जिसमें इसे बच्चों के लिए सेफ बताया गया है।

डॉ. बॉबी दीवान के मुताबिक इस स्टडी का लोगों पर बहुत असर नहीं होगा। अगर भविष्य में ऐसा कुछ होता भी है तो इसके अलावा भी भारत में दो और वैक्सीन को लाइसेंस मिला हुआ है। बच्चों की जिंदगी को कोई खतरा नहीं होगा।

FacebookWhatsAppTelegramLinkedInXPrintCopy LinkGoogle TranslateGmailThreadsShare

About the author

THE INTERNAL NEWS

Add Comment

Click here to post a comment

error: Content is protected !!