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UP की महिला जज ने CJI से मांगी इच्छा मृत्यु:लिखा- कोर्ट में शोषण हुआ, न्याय देती हूं…खुद अन्याय का शिकार हुई

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UP की महिला जज ने CJI से मांगी इच्छा मृत्यु:लिखा- कोर्ट में शोषण हुआ, न्याय देती हूं…खुद अन्याय का शिकार हुई

लखनऊ

यूपी के बांदा जिले में तैनात एक महिला जज ने इच्छा मृत्यु मांगी है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (CJI) को लेटर लिखा है। इसमें कहा- भरी अदालत में मेरा शारीरिक शोषण हुआ। मैं दूसरों को न्याय देती हूं, लेकिन खुद अन्याय का शिकार हुई।

जब मैंने जज होते हुए इंसाफ की गुहार लगाई, तो 8 सेकेंड में सुनवाई करके पूरा मामला अनसुना कर दिया गया। मैं लोगों के साथ न्याय करूंगी, यह सोचकर सिविल सेवा जॉइन की थी, मगर मेरे साथ ही अन्याय हो रहा है। अब मेरे पास सुसाइड के अलावा कोई और ऑप्शन नहीं बचा है। इसलिए मुझे इच्छा मृत्यु की इजाजत दी जाए।

महिला जज का इच्छा मृत्यु की मांग वाला जो लेटर सामने आया है, उसमें 15 दिसंबर यानी कल की डेट लिखी है। जब लेटर की तारीख को लेकर  महिला जज से बात की, तो उन्होंने कहा कि दोस्तों को यह लेटर भेजा था। शायद उन लोगों ने वायरल किया है। हालांकि महिला जज ने यह लेटर लिखने की बात स्वीकार की है।

2022 में बारांबकी में हुआ शोषण
महिला जज ने बताया- 7 अक्टूबर 2022 को बाराबंकी जिला बार एसोसिएशन ने न्यायिक कार्य के बहिष्कार का प्रस्ताव पारित कर रखा था। उसी दिन सुबह साढ़े 10 बजे मैं अदालत में काम कर रही थी। इसी दौरान बार एसोसिएशन के महामंत्री और वरिष्ठ उपाध्यक्ष कई वकीलों के साथ कोर्ट कक्ष में घुस आए। मेरे साथ बदसलूकी शुरू कर दी। गाली-गलौज करते हुए कमरे की बिजली बंद कर दी गई।

वकीलों को जबरन बाहर निकाल दिया गया। इसके बाद उन्होंने मुझे धमकी दी। हमने इसकी शिकायत अगले दिन यानी 8 अक्टूबर को अपने सीनियर जज से की, लेकिन सुनवाई नहीं हुई। भरी कोर्ट में मुझे अपमानित किया गया। शारीरिक तौर पर प्रताड़ित किया गया। हालांकि बाद में हाईकोर्ट ने इस मामले में संज्ञान लिया, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।

अब पढ़िए लेटर में क्या लिखा है…

पीड़ित महिला जज से बात की। पढ़िए सवाल और उनके जवाब…

सवाल- मैडम पूरा मामला क्या है?
महिला जज– यह एक साल पहले का मामला है। मैंने अपनी शिकायत की पहली एप्लिकेशन सीनियर जज को दी थी। अभी जो लेटर आपने देखा है उसे देखकर आपको मामला समझ आ गया होगा। मैं बड़ी मुश्किल से अपने सीनियर के खिलाफ कार्रवाई शुरू करवा पाई। इसके लिए दर्जनों-हजारों मेल करने पड़े। फिर मैंने कोर्ट में याचिका डाली। हमारी याचिका भी 8-10 सेकेंड की सुनवाई करके बंद कर दी गई। उस याचिका को ऐसे सुना गया, जैसे सुना ही नहीं गया हो। मैंने खुद अपनी याचिका की रिकॉर्डिंग देखी है। हमारे सारे दरवाजे बंद हो गए तो मैं क्या करूं?

सवाल- आपको किस तरह से परेशान किया गया?
महिला जज- वो मुझे जानबूझकर टॉर्चर कर रहे थे। मुझे रात में खाने के बाद मिलने के लिए कहा गया था। जब मैंने मना कर दिया, तो मुझे टारगेट किया गया। अगर किसी ने भी कोई गलती की, तो वे मुझे ही सिर्फ टारगेट करते थे। ऐसा लगातार बार-बार हो रहा था।

आपने सुना होगा बाराबंकी में कोर्ट का बायकॉट किया गया था। वह मेरी ही कोर्ट का हुआ था। हमको टॉर्चर किया जा रहा था। वो मेरे सुपरवाइजर रहे हैं। सीनियर रहे हैं। उनके हाथों में मेरी एनुअल कॉन्फिडेंशियल रिपोर्ट यानी ACR रही है। उन्होंने मेरा ACR भी खराब कर दिया। हमें जस्टिस कैसे मिलेगा? जब सुनवाई ही आरोपियों के अंडर में होगी।

जो आरोपी हैं वे अभी भी बाराबंकी कोर्ट में ही हैं। सभी अधिकारी उनके अधीन हैं, तो निष्पक्ष जांच कैसे होगी? जब जज ही परेशान हैं, तो आम जनता को कैसे न्याय मिलेगा। जब मुझे ही न्याय नहीं मिल रहा है। अब मेरे पास कोई रास्ता नहीं बचा है।

सवाल- 3 महीने में सुनवाई का प्रावधान, आपके केस में 6 महीने से ज्यादा लगे?
महिला जज- यह मेरा ही लिखा हुआ लेटर है। मैंने अपने नाम के साथ जारी किया है। मेरे साथ जो अन्याय हुआ, वह बात मैंने लेटर में लिखी है। कार्यस्थल पर यौन प्रताड़ना से सुरक्षा (POSH) का जो कानून बना है, उसके तहत भी मुझे न्याय नहीं मिला। इस कानून में 3 महीने में सुनवाई पूरी करने का प्रावधान है, लेकिन मेरे केस में 6 महीने में सुनवाई ही शुरू हो पाई। मैं खुद एक जज हूं और अपने लिए न्याय नहीं करा पा रही हूं, तो आम आदमी के लिए क्या उम्मीद की जा सकती है।

लखनऊ की रहने वाली हैं महिला जज
31 साल की महिला जज लखनऊ की रहने वाली हैं। 2019 में वे जज बनी थीं। उनकी पहली पोस्टिंग बाराबंकी में हुई थी। इसके बाद मई 2023 में उनका ट्रांसफर बांदा हुआ था। इसके बाद से वे यहीं पर तैनात हैं।

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