विकिलीक्स फाउंडर जूलियन असांजे को ब्रिटिश हाईकोर्ट से राहत:सुप्रीम कोर्ट में अपील का अधिकार मिला, इराक युद्ध से जुड़ी खुफिया जानकारी लीक करने का आरोप
लंदन
तस्वीर 2011 की है जब जूलियन असांजे को स्वीडन की कोर्ट में सुनवाई के लिए ले जाया जा रहा था।
अमेरिका की जासूसी के आरोपों में जेल में बंद विकिलीक्स के संस्थापक जूलियन असांजे को अमेरिका भेजे जाने के मामले में बड़ी राहत मिली है। उन्हें ब्रिटिश हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करने का अधिकार मिल गया है। हाईकोर्ट के दो जज विक्टोरिया शार्ट और जेरेमी जॉनसन असांजे के प्रत्यर्पण मामले में फैसला सुनाने वाले हैं।
असांजे के प्रत्यर्पण के लिए अमेरिका ने ब्रिटिश कोर्ट में अर्जी लगाई थी। इसमें अमेरिका ने आश्वासन दिया था कि 52 साल के जूलियन असांजे को मौत की सजा नहीं दी जाएगी। साथ ही कहा था कि उनके खिलाफ जासूसी के आरोपों में मुकदमा चलने पर उन्हें ‘US फर्स्ट अमेंडमेंट राइट’ के तहत फ्री स्पीच का अधिकार दिया जाएगा।
अमेरिका ने जासूसी के लगाए थे आरोप
साल 2010-11 में विकिलीक्स के खुलासे के बाद अमेरिका ने आरोप लगाया था कि जूलियन असांजे ने उनके देश की जासूसी की है। उसने सीक्रेट फाइल को पब्लिश कर दिया, जिससे कई लोगों का जीवन खतरे में आ गया था। हालांकि, जूलियन असांजे ने हमेशा जासूसी के आरोपों से इनकार किया है। वे पिछले 13 साल से कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं।
जूलियन असांजे की लीगल टीम ने रॉयटर्स से बात करते हुए कहा कि फैसला अगर उनके पक्ष में हुआ तो वे 24 घंटे के भीतर स्वदेश रवाना हो जाएंगे, लेकिन अगर ये मामला उनके पक्ष में नहीं आता है तो एक बार फिर से वे कई महीनों की कानूनी लड़ाई में घिर जाएंगे।
असांजे की पत्नी स्टेला ने कहा कि अब कुछ भी हो सकता है। या तो असांजे प्रत्यर्पित कर दिए जाएंगे या फिर उन्हें आजादी मिल जाएगी। स्टेला ने उम्मीद जताई कि इस अहम सुनवाई के दौरान उनके पति अदालत में मौजूद रहेंगे।
‘मायावती भ्रष्ट, प्लेन भेजकर मंगवाती हैं सैंडल’
ऑस्ट्रेलियाई नागरिक असांजे ने 2010-11 में हजारों क्लासिफाइड डॉक्यूमेंट्स को सार्वजनिक कर दिया था। इसमें इराक युद्ध से जुड़े दस्तावेज भी थे। इसके जरिए उन्होंने अमेरिका, इंग्लैंड और नाटो की सेनाओं पर युद्ध अपराध का आरोप लगाया था। असांजे पर यह भी आरोप है कि अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के दौरान रूसी खुफिया एजेंसियों ने हिलेरी क्लिंटन के कैम्पेन से जुड़े ई-मेल हैक कर उन्हें विकीलीक्स को दिए थे।
2011 में विकीलीक्स ने मायावती को तानाशाह और भ्रष्ट बताया था। एक खुलासे में कहा गया था कि उत्तर प्रदेश की पूर्व CM ने अपनी पसंद की सैंडल मंगवाने के लिए अपने निजी प्लेन को मुंबई भेजा था। उनमें असुरक्षा की भावना इतनी है उनके भोजन करने से पहले उसे एक कर्मचारी चखता है। उनकी रसोई में खाना बनाने वाले नौ रसोइयों की निगरानी होती है।
रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया था कि घर से ऑफिस निकलने से पहले वे सड़क को धुलवाती हैं। इसके अलावा पिछले साल मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ पर भी आरोप लगा था कि उन्होंने 1976 में न्यूक्लियर डील से जुड़ी महत्वपूर्ण और गोपनीय जानकारी अमेरिका को दी थी।
तस्वीर 2019 की है, जब असांजे को इक्वाडोर के दूतावास के बाहर से गिरफ्तार किया गया था।
2010 में पहली बार गिरफ्तार हुए असांजे, अमेरिका में 18 केस दर्ज
असांजे को 2010 में स्वीडन की अपील पर लंदन में गिरफ्तार किया गया था। उन पर स्वीडन की दो महिलाओं ने रेप का आरोप लगाया था। स्वीडन भेजे जाने से बचने के लिए असांजे ने 2012 में लंदन में इक्वाडोर के दूतावास में शरण ली थी। इस तरह वे गिरफ्तारी से बच गए।
वे यहां 2012 से 2019 के बीच इक्वाडोर में ही रहे। 11 अप्रैल 2019 को वे कोर्ट में पेश होने से चूक गए थे, जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। बाद में इक्वाडोर की सरकार ने उन्हें शरण देने से इनकार कर दिया। इसकी वजह अंतरराष्ट्रीय समझौतों के लगातार उल्लंघन करना बताया गया था। 2019 में इक्वाडोर की दूतावास से बाहर आने पर ब्रिटेन की पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था।
इसके बाद से वह लंदन की बेल्मार्श जेल में बंद हैं। हालांकि, स्वीडन ने नवंबर 2019 में असांजे पर से रेप के आरोप वापस ले लिए थे, लेकिन इसके बावजूद वह जेल में ही रहे। अप्रैल 2019 में अमेरिका ने उन पर हैकिंग की साजिश रचने का आरोप लगाया था। 23 मई 2019 को अमेरिका की ग्रैंड ज्यूरी ने असांजे के खिलाफ जासूसी के 18 केस दर्ज किए।
जूलियन असांजे विकीलीक्स की स्थापना से पहले कंप्यूटर प्रोग्रामर और हैकर थे। उनके काम की वजह से 2008 में उन्हें इकोनॉमिस्ट फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन और 2010 में सैम एडम्स अवॉर्ड दिया गया था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अगर असांजे पर लगे सभी आरोपों में उन्हें दोषी पाया जाता है, तो 175 साल तक की सजा हो सकती है। इसी के चलते असांजे अमेरिका प्रत्यर्पण के लिए राजी नहीं हुए हैं।
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