अधूरी भर्तियों और सड़कों का क्या होगा:क्या काम बंद और क्या चलते रहेंगे; आचार संहिता से जुड़े 14 जरूरी सवालों के जवाब
मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, मिजोरम और तेलंगाना में चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है। इसी के साथ इन राज्यों में आदर्श आचार संहिता भी लागू हो गई। 3 दिसंबर को मतगणना होगी। चुनाव आयोग ने कहा है कि 5 दिसंबर से पहले चुनावी प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। इस दौरान ज्यादातर सरकारी कामों पर अस्थाई रोक लगी रहेगी। ये वो काम होते हैं, जिनसे सरकार को फायदा होने का अंदेशा होता है।
ऐसे में आम नागरिकों के मन में कई तरह के सवाल हैं। मसलन- मध्य प्रदेश में लाडली बहना स्कीम के तहत मिलने वाली रकम क्या बंद हो जाएगी, अगर कोई सड़क आधी बनी है तो क्या काम रुक जाएगा, क्या ड्राइविंग लाइसेंस और पासपोर्ट जैसे डॉक्यूमेंट बनने भी बंद हो जाएंगे?
इलेक्शन एजुकेशन सीरीज के इस एपिसोड में ऐसे ही 14 जरूरी सवालों के जवाब जानेंगे…
सवाल 1: आज से 5 चुनावी राज्यों में लागू हुई आदर्श आचार संहिता होती क्या है?
जवाबः स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग ने कुछ नियम बनाए हैं, जिसे आचार संहिता कहते हैं। चुनाव के समय राजनीतिक दलों और सभी प्रत्याशियों को इसका पालन करना होता है। आचार संहिता के तहत बताया जाता है कि राजनीतिक दलों और कैंडिडेट को चुनाव के दौरान क्या करना है और क्या नहीं करना है।
आचार संहिता की सबसे खास बात ये है कि ये नियम किसी कानून के जरिए नहीं बल्कि राजनीतिक पार्टियों की आपसी सहमति से बनाए गए हैं। आदर्श आचार संहिता की वजह से चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों, प्रत्याशियों और सत्ताधारी दलों के कामकाज और उनके व्यवहार पर नजर रखना संभव होता है।
सवाल 2: 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव में आचार संहिता कब से कब तक लागू रहेगी?
जवाबः चुनाव के कार्यक्रमों की घोषणा के साथ ही आचार संहिता लागू हो जाती है। ये आचार संहिता इलेक्शन की पूरी प्रक्रिया खत्म होने तक जारी रहती है। पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान 9 अक्टूबर को किया गया। इस दिन से आचार संहिता लागू हो गई।
3 दिसंबर को सभी 5 राज्यों में मतगणना होगी। इलेक्शन कमीशन ने कहा कि 5 दिसंबर से पहले चुनाव प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। चुनाव प्रक्रिया पूरी होते ही आचार संहिता खत्म हो जाती है।
सवाल 3: आचार संहिता के दौरान कौन से काम रुक जाते हैं और कौन से चालू रहते हैं?
जवाबः आदर्श आचार संहिता की वजह से इन कामों पर रोक लग जाती है…
- चुनाव कार्यों से जुड़े किसी भी अधिकारी को किसी भी नेता या मंत्री से उसकी निजी यात्रा या आवास में मिलने की मनाही होती है। ऐसा करने पर उसके खिलाफ कार्रवाई हो सकती है।
- सरकारी खर्चे पर किसी नेता के आवास पर इफ्तार पार्टी या अन्य पार्टियों का आयोजन नहीं कराया जा सकता है। हालांकि अपने खर्च पर वो ये कार्यक्रम कर सकते हैं।
- सत्ताधारी पार्टी के लिए सरकारी पैसे से सरकार के काम का प्रचार-प्रसार करने के लिए विज्ञापन चलाने पर भी रोक होती है।
- जिस योजना को हरी झंडी मिली है, लेकिन जमीनी स्तर पर काम शुरू नहीं हुआ हो तो आचार संहिता लागू होने के बाद उस योजना पर काम स्टार्ट नहीं किया जा सकता है।
- विधायक, सांसद या विधान परिषद के सदस्य आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद लोकल एरिया डेवलपमेंट फंड से नई राशि जारी नहीं कर सकते हैं।
- आदर्श आचार संहिता लगने के बाद पेंशन फॉर्म जमा नहीं हो सकते और नए राशन कार्ड भी नहीं बनाए जा सकते। हथियार रखने के लिए नया आर्म्स लाइसेंस नहीं बनेगा। BPL के पीले कार्ड नहीं बनाए जाएंगे।
- कोई भी नया सरकारी काम शुरू नहीं होगा। किसी नए काम के लिए टेंडर भी जारी नहीं होंगे। किसी नए काम की घोषणा नहीं होगी।
- इस दौरान बड़ी बिल्डिंगों को क्लियरेंस नहीं दी जाती है।
सवाल 4: राजस्थान में एक लाख पदों पर होने वाली भर्तियों, अन्य स्कीम और कामों का क्या होगा, जिसकी घोषणा सरकार ने बजट में की थी?
जवाबः बजट 2023 के दौरान राजस्थान सरकार ने 1 लाख नई नौकरी देने की घोषणा की थी। इनमें से 34 हजार नौकरियों के लिए तो सरकार ने विज्ञापन निकाल दिए हैं, लेकिन 66 हजार पदों को लेकर सरकार ने अब तक कोई घोषणा नहीं की है।
इसके अलावा चिकित्सा विभाग में 20 हजार पदों पर भर्ती प्रक्रिया चालू है। 6,000 स्कूली व्याख्याताओं और 5,500 पदों पर ग्रेड सेकेंड टीचर्स की भर्ती सहित करीब एक लाख पदों पर भर्ती प्रक्रिया जारी है। इनमें से किसी में भी नियुक्तियां नहीं हुई हैं।
ऐसे में साफ है कि आचार संहिता लागू होने से पहले नियुक्तियां नहीं हुईं, तो फिर गेंद सरकार के पाले से निकलकर चुनाव आयोग के पाले में चली जाएगी। उसके बाद निर्णय चुनाव आयोग ही करेगा।
सवाल 5: मध्य प्रदेश में 50 हजार से ज्यादा सरकारी पदों पर जारी भर्तियों और अन्य स्कीम और कामों का क्या होगा, जिसकी घोषणा सरकार ने बजट में की थी?
जवाबः मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने दिसंबर 2022 में कुल 1 लाख 14 हजार भर्तियों का वादा किया था। इनमें से 67 हजार पदों पर भर्ती हो गई है। बाकी 47 हजार पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया जारी है। इसके अलावा सीएम शिवराज ने यह भी कहा था कि इन 1 लाख 14 हजार भर्तियों के बाद 50 हजार पदों पर और भर्ती निकाली जाएगी। हालांकि, अभी पहले के वादे ही पूरे नहीं हुए हैं। ऐसे में नई भर्तियों के लिए न तो विज्ञापन निकले हैं और न ही कोई और प्रक्रिया आगे बढ़ी है।
जो भर्ती प्रक्रिया चल रही है, उस पर कोई रोक नहीं लगेगी, लेकिन मुख्यमंत्री या कोई मंत्री नियुक्ति पत्र अपने हाथों से नहीं दे पाएंगे।
पूर्व चुनाव आयुक्त ओपी रावत का कहना है कि आचार संहिता लागू होने के बाद नई भर्तियों निकलती है तो यह चुनाव आयोग को देखना पड़ेगा कि भर्ती अभी क्यों निकाली जा रही है। इस भर्ती के देरी से निकलने की क्या वजहें हैं। अगर इसका उचित जवाब नहीं मिलता है तो यह माना जाएगा कि जान बूझकर देरी की गई है।
सवाल 6: आचार संहिता लागू होने के बाद ड्राइविंग लाइसेंस, आवासीय और कास्ट सर्टिफिकेट बनाना संभव है या नहीं?
जवाबः हरियाणा के मुख्य चुनाव अधिकारी रहे श्रीकांत वाल्गद ने एक इंटरव्यू में बताया कि चुनाव आचार संहिता के नाम पर जरूरी काम नहीं रोके जा सकते हैं। पहले चल रहे विकास कार्यों को भी बंद नहीं किया जा सकता है। राशनकार्ड में संशोधन, ड्राइविंग लाइसेंस आदि बनाए जाते रहेंगे। जाति प्रमाण पत्र, निवास प्रमाण पत्र बनाने और जमीनों की रजिस्ट्री जैसे काम करने पर कोई रोक नहीं लगती है।
सवाल 7: आचार संहिता लागू होने के बाद सड़क बनाने या ठीक करवाने की इजाजत होती है या नहीं?
जवाबः चुनाव आयोग के मुताबिक विधायक, मंत्री या कैंडिडेट आचार संहिता लागू होने के बाद कोई आर्थिक सहायता या उससे संबंधित कोई वादा नहीं कर सकते हैं। इसके अलावा आचार संहिता लागू होने के बाद किसी परियोजना अथवा योजना का शिलान्यास नहीं किया जा सकता है। सड़क बनवाने, पीने के पानी को लेकर काम शुरू करवाना तो दूर, वादा तक नहीं कर सकते हैं। जो काम पहले से चल रहा है वो आचार संहिता की वजह से बाधित नहीं होगा।
सवाल 8: आचार संहिता लागू होने के बाद अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग कैसे होती है?
जवाबः आचार संहिता लागू होने के बाद किसी भी सरकारी अधिकारी, कर्मचारी की ट्रांसफर पोस्टिंग सरकार नहीं कर सकती है। ट्रांसफर कराना बेहद जरूरी हो गया हो तब भी सरकार बिना चुनाव आयोग की सहमति के ये फैसला नहीं ले सकती है। इस दौरान राज्य के मुख्य चुनाव आयुक्त जरूरत के हिसाब से अधिकारियों की ट्रांसफर पोस्टिंग कर सकते हैं।
सवाल 9: क्या आचार संहिता लागू होने पर कोई मंत्री सरकारी खर्चे पर इलेक्शन रैली कर सकते हैं?
जवाबः आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद सरकारी खर्च पर मंत्री इलेक्शन रैली नहीं कर सकते हैं। इस दौरान मंत्री सरकारी वाहनों का इस्तेमाल भी सिर्फ अपने निवास से ऑफिस तक जाने के लिए कर सकते हैं। चुनावी रैलियों और यात्राओं के लिए इनका इस्तेमाल नहीं हो सकता।
सवाल 10: क्या आचार संहिता के दौरान मंत्री अपने आधिकारिक दौरे के समय चुनाव प्रचार कर सकते हैं?
जवाबः नहीं। आचार संहिता लागू होने के बाद मंत्री अपने आधिकारिक दौरे के समय चुनाव प्रचार नहीं कर सकते हैं। यहां तक की चुनाव प्रचार के लिए सरकारी गाड़ियों, विमानों या किसी दूसरे सुविधाओं का भी इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है।
सवाल 11: क्या महिला आयोग या दूसरे राष्ट्रीय/राज्य आयोग के सदस्य आचार संहिता लागू होने वाले क्षेत्र का दौरा कर सकते हैं?
जवाबः चुनाव आयोग का साफ आदेश है कि जब तक बहुत जरूरी न हो राष्ट्रीय और राज्य आयोग के सदस्यों को आधिकारिक दौरे से बचना चाहिए। चुनाव खत्म होने तक सभी कामकाज पर रोक लगना जरूरी है, ताकि इनके दौरे की वजह से होने वाले भ्रम से बचा जा सके।
सवाल 12: क्या शराब के ठेकों, तेंदू की पत्तियों के टेंडर की नीलामी की जा सकती है?
जवाबः नहीं। इस तरह के किसी टेंडर की नीलामी नहीं की जा सकती है। सरकार जरूरी होने पर आचार संहिता से पहले ही कोई तत्कालिक व्यवस्था कर सकती है। इसके अलावा नगर निगम, नगर पंचायत, नगर क्षेत्र समिति राजस्व संग्रहण का काम जारी रख सकती है।
सवाल 13: क्या चुनाव आयोग आचार संहिता लागू होने से पहले भी कार्रवाई कर सकती है?
जवाबः हां, इसे 2010 के एक उदाहरण से समझा जा सकता है। तब राज्य के चुनाव आयोग के सामने यह शिकायत आई थी कि बहुजन समाज पार्टी ने सरकारी पैसे से अपने चुनाव चिह्न ‘हाथी’ की प्रतिमाएं बनवाकर आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन किया है।
इस शिकायत पर चुनाव आयोग ने कहा कि आचार संहिता की समय-सीमा से बाहर किसी भी राजनीतिक दल द्वारा सरकारी शक्ति और तंत्र के कथित दुरुपयोग पर एक्शन नहीं ले सकते हैं।
चुनाव आयोग के इस रुख को दिल्ली उच्च न्यायालय में कॉमन कॉज बनाम बहुजन समाज पार्टी के रूप में चुनौती दी गई। इस मामले से जुड़े नियमों को जांच करने के बाद उच्च न्यायालय ने ये फैसला सुनाया कि चुनाव आयोग BSP के चुनाव चिह्न को अमान्य घोषित कर सकता है।
हालांकि, हाई कोर्ट ने यह भी कहा था कि सत्ताधारी पार्टी को अचार संहिता नहीं लागू होने के दौरान भी अपने निर्वाचन चिह्नों अथवा अपने नेताओं की स्थिति मजबूत करने के लिए सरकारी धन का प्रयोग नहीं करना चाहिए। ऐसे में कोर्ट ने चुनाव आयोग से अनुरोध किया कि इस तरह के मामले से निपटने के लिए कुछ नियम और दिशा-निर्देश बनाएं।
सवाल 14: क्या आदर्श आचार संहिता के दौरान जनसभा आयोजित करने या जुलूस निकालने पर कोई प्रतिबंध होता है?
जवाबः सार्वजनिक या निजी स्थान पर सभा आयोजित करने, जुलूस निकालने और लाउडस्पीकर इस्तेमाल करने से पहले स्थानीय पुलिस अधिकारियों से लिखित अनुमति लेना जरूरी है। रात 10.00 बजे से प्रात: 6.00 बजे के बीच लाउडस्पीकर का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है।
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