बीकानेर।अजित फाउण्डेशन द्वारा आयोजित पुस्तक समीक्षा कार्यक्रम में अध्यक्ष्यता करते हुए कवि कथाकार राजेन्द्र जोशी ने कहा कि राजस्थानी कवि डॉ. शंकर लाल स्वामी अपनी पुस्तक ‘‘उदेई’’ से यह संदेश देना चाहते है कि जिसे प्रकार बंद मकानो, बंद दरवाजो या बंद पड़ी पुस्तकों में ‘‘उदेई’’ लग जाती है उसी प्रकार साहित्यकारों में उदेई न लगे इस हेतु साहित्यकारों को खुल कर मंच पर आना चाहिए। जोशी ने कहा कि ‘‘उदेई’’ पुस्तक में बालाको हेतु कविताएं, हाईको, व्यंग्य एवं सामान्य कविताएं सभी का समावेश आपको पढ़ने के लिए मिल जाएगा। उन्होंने कहा कि डॉ. शंकरलाल स्वामी की पुस्तकों में मुहावरों का उपयोग बहुत उम्दा तरीके से किया गया है जोकि पढ़ने में बहुत आनन्ददायक है।
कृतिकार डॉ. शंकरलाल स्वामी ने अपनी बात रखते हुए कहा कि ‘‘अभिव्यक्ति का नाद ही कविता है’’। डॉ. स्वामी ने कहा कि कविता मन का भाव, चित्त की संवेदना, अहंकार की तृष्टि तथा अनुभव का रचाव होती है। इस अवसर पर डॉ. स्वामी ने अपने काव्य संग्रह मेंसे ‘‘ओ मिनख’’ कविता का वाचन करते हुए मनुष्य के स्वभाव एवं व्यवहार का बखूबी चित्रण किया।
मुख्य समीक्षक के रूप में अपनी टिप्पणी करते हुए सुप्रसिद्ध साहित्यकार कृष्णलाल विश्नोई ने कहा कि इस राजस्थानी काव्य संग्रह में 54 कविताएं है, जिसमें हाईकु एवं छोटी-बड़ी कविताएं शामिल है। विष्नोई ने कहा कि पुस्तक में सामाजिक चिंता एवं मनुष्य व्यवहार पर बखूब रचाव किया गया है। काव्य संग्रह में बीकानेर पर कविता में लिखा गया है कि ‘‘गहरा पाणी गहरे लोग’’ को बखूबी बीकानेरियत को दर्शाया गया है।
कार्यक्रम संयोजक संपादक व्यंग्यकार डॉ. प्रो. अजय जोशी ने कहा कि पुस्तक चर्चा जैसे कार्यों के द्वारा हम प्रकाशित पुस्तक की सही प्रकार से समीक्षा कर सकते है तथा पुस्तक में क्या लिखा गया है और क्या कमियां रह गई है उसके बारे में खुलकर चर्चा कर सकते है।
संस्था समन्वयक संजय श्रीमाली ने कार्यक्रम की शुरूआत में संस्था की गतिवधियों के बारे में बताते हुए पुस्तक चर्चा कार्यक्रम के उद्देश्य पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम में नरसिंह बिन्नाणी, जुगल किशोर पुरोहित, राजाराम स्वर्णकार, गिरीराज पारीक, गौरीशंकर प्रजापत, योगन्द्र पुरोहित आदि ने अपने विचार रखे।
पुस्तक चर्चा कार्यक्रम में सरोज भाटी, डॉ. बसंती हर्ष, डॉ. फारूक चौहान, बाबूलाल छंगाणी, मुक्ता तेलंग, योगेन्द्र पुरोहित, कासिम बीकानेरी, शिव दाधिच, डॉ. गौरीशंकर प्रजापत, अब्दुल शकूर, गिरिराज, सुभाष विश्नोई, राजाराम स्वर्णकार, गोविन्द जोशी, नृसिंह बिन्नाणी, रवि माथुर, चंद्रशेखर आचार्य, रमेश कुमार प्रजापत आदि उपस्थित रहे।
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