अल अक्सा मस्जिद के लिए फिर जंग:इस्लाम में तीसरी सबसे पवित्र जगह, क्यों कब्जाए रखना चाहता है इजराइल
9 मई 2021 की बात है। इजराइल की पुलिस यरुशलम के अल-अक्सा मस्जिद में घुसती है और वहां ग्रेनेड से हमला करती है। इसके बाद फिलिस्तीन के हथियारबंद इस्लामिक चरमपंथी संगठन हमास की ओर से इजराइल के लिए अल्टीमेटम जारी होता है। शाम होते-होते इजराइल के शहरों में सैकड़ों रॉकेट दागे जाते हैं। इजराइल जंग का ऐलान करता है और 11 दिनों तक ये जंग चलती है।
अल-अक्सा मस्जिद को लेकर मुस्लिम देशों से इजराइल की लड़ाई 100 साल से भी ज्यादा पुरानी है। इसे लेकर शनिवार यानी 7 अक्टूबर 2023 को एकबार फिर जंग छिड़ गई है। हमास ने इजराइल के शहरों में करीब 5 हजार रॉकेट दागे हैं। हमास ने कहा कि ये येरूशलम में अल-अक्सा मस्जिद को इजराइल की तरफ से अपवित्र करने का बदला है। हमलों के बाद इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने जंग का ऐलान कर दिया है।
जानेंगे अल-अक्सा मस्जिद की कहानी, इजराइल क्यों कब्जा करना चाहता है और ये लड़ाई कितनी पुरानी है?
सबसे पहले जानिए ताजा विवाद क्या है?
शनिवार सुबह 6.30 बजे हमास ने इजराइल की राजधानी तेल अवीव समेत स्देरोट, अश्कलोन जैसे कई शहरों में रॉकेट दागे। ये रॉकेट इजरायल की रिहायशी इमारतों पर भी गिरे। हमास ने इजराइल पर 5 हजार रॉकेट्स से हमला करने का दावा किया है। हमास के सैन्य कमांडर मोहम्मद अल-दीफ ने इस हमले की 3 वजह बताई है…
1. इजराइली पुलिस ने अप्रैल 2023 में अल-अक्सा मस्जिद में ग्रेनेड फेंक इसे अपवित्र किया है।
2. इजराइली सेना लगातार हमास के ठिकानों पर हमले कर रही है और अतिक्रमण कर रही है।
3. इजराइली सेना हमारी महिलाओं पर हमले कर रही है।
हमास के प्रवक्ता गाजी हमाद ने कहा कि यह हमला अरब के उन देशों के लिए एक मैसेज है, जो इजराइल के साथ अपने संबंधों को नॉर्मल करने की कोशिश कर रहे हैं। अरब देशों से अपील है कि इजराइल के साथ अपने सभी रिश्तों को तोड़ दें क्योंकि इजराइल एक अच्छा पड़ोसी और शांत देश कभी नहीं हो सकता है।
इजराइल की सेना ने हमास के खिलाफ ‘ऑपरेशन ‘स्वॉर्ड ऑफ आयरन ‘ शुरू कर दिया है। कैबिनेट के साथ इमरजेंसी मीटिंग के बाद पीएम नेतन्याहू ने कहा कि ‘ये जंग है और हम इसे जरूर जीतेंगे। दुश्मनों को इसकी कीमत चुकानी होगी।’ इसके बाद इजराइली सेना ने हमास के ठिकानों पर फाइटर जेट्स से हमले किए हैं।
इजराइल के एस्केलॉन शहर में गाजा पट्टी की तरफ से सैकड़ों रॉकेट गिराए गए। इसके बाद एक इजराइली महिला अपने फोन से किसी को कॉल करती हुई। उसके चेहरे के भाव बहुत कुछ बयां कर रहे हैं। (Photo: AFP)
तीन धर्मों का एक ही जगह पर दावा विवाद की जड़
यरूशलम दुनिया की एकमात्र ऐसी जगह है जहां दुनिया के तीन बड़े धर्म इस्लाम, ईसाई और यहूदी अपना पवित्र स्थल होने का दावा करते हैं। इन तीनों धर्मों को इब्राहमिक धर्म कहा जाता है क्योंकि ये तीनों ही धर्म ‘इब्राहिम’ को ईश्वर का पैगंबर मानते हैं। अगर हम अपने आस-पास भी ध्यान दें तो इब्राहिम नाम के लोग इस्लाम, ईसाई और यहूदी तीनों ही धर्मों में देखने को मिल जाते हैं। ये तीनों सिर्फ एक ईश्वर को मानते हैं यहीं वजह है कि इन्हें एकेश्वरवादी धर्म भी कहा जाता है।
यरूशलम में अल अक्सा मस्जिद को इस्लाम में मक्का और मदीना के बाद तीसरा सबसे पवित्र स्थल बताया गया है। वहींं, बाइबल के मुताबिक यहूदियों के लिए इसी जगह पर करीब 1000 ईसापूर्व में सोलोमन राजा ने दो मंदिर बनवाए थे। इस मंदिर को ‘टेंपल माउंट’ नाम से जाना जाता है। लेकिन अब सिर्फ इसकी एक दीवार बची है जिसे ‘वेस्ट वॉल’ कहा जाता है और यह यहूदियों के लिए सबसे पवित्र जगह है। इन मंदिरों को बेबीलोन से लेकर रोमन एंपायर ने अतीत में कई बार ध्वस्त भी किया।
इसके अलावा ईसाई धर्मग्रंथ न्यू टेस्टामेंट के मुताबिक इसी शहर में ईसा मसीह ने अपना उपदेश दिया था। यहीं उन्हें सूली पर चढ़ाया गया था और फिर यहीं वो अवतरित भी हुए थे। यरूशलम शहर के बीच में प्राचीन शहर है जिसे ‘ओल्ड सिटी’ के नाम से जानते हैं। यहीं पर अल अक्सा मस्जिद परिसर के अलावा ईसाइयों के इलाके में ‘द चर्च ऑफ द होली सेपल्कर’ है। ऐसे में, ये तीनों ही धर्म यरूशलम पर अपना-अपना दावा करते हैं।
अल-अक्सा मस्जिद में ही बार-बार विवाद क्यों होता है?
अल-अक्सा मस्जिद में इजराइल और फिलिस्तीन के बीच विवाद की 3 मुख्य वजह है…
1. यहूदियों के लिए सबसे पवित्र स्थल ‘टेंपल माउंट’ और मुसलमानों के लिए ‘अल-अक्सा मस्जिद’ और ‘डोम ऑफ द रॉक’ एक ही परिसर में स्थित है। हालांकि टेंपल माउंट के अवशेष के रूप में वहां सिर्फ एक दीवार बची है जिसे ‘वेस्ट वॉल’ कहा जाता है। इसीलिए इस जगह को लेकर यहूदियों और फिलिस्तीनियों के बीच विवाद रहता है।
2. 1967 में इजराइल जंग के बाद ये विवाद और ज्यादा बढ़ गया। इसकी वजह ये है कि इस जंग में गाजा पट्टी और वेस्ट बैंक पर इजराइल ने कब्जा कर लिया। इससे पहले ये इलाका जॉर्डन के कब्जे में था। हालांकि बाद में जॉर्डन और इजराइल के बीच एक समझौता हुआ। इसमें तय हुआ कि अल-अक्सा मस्जिद के भीतर के मामलों पर जॉर्डन के इस्लामिक ट्रस्ट वक्फ का नियंत्रण रहेगा और बाहरी सुरक्षा इजराइल संभालेगा। ऐसे में कई बार सुरक्षा को लेकर इजराइल की पुलिस मस्जिद में घुस जाती है। इससे जंग जैसे हालात हो जाते हैं।
3. जॉर्डन और इजराइल के बीच समझौते में इस बात की सहमति बनी थी कि गैर-मुस्लिमों को मस्जिद के अंदर आने की इजाजत होगी, लेकिन उनको वहां प्रार्थना करने की इजाजत नहीं होगी। इसके बावजूद यहूदी बीच-बीच में मस्जिद में घुसकर प्रार्थना करने की कोशिश करते हैं, जिससे तनाव की स्थिति बन जाती है।
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