ई लाइब्रेरी और ऑडिटोरियम की जमीन पर विवाद:कानून मंत्री ने जिस जमीन पर किया अंबेडकर ई-लाइब्रेरी का शिलान्यास, उसी पर कोर्ट स्टे
बीकानेर
नगर निगम ने डॉ. भीमराव अंबेडकर ई लाइब्रेरी और ऑडिटोरियम के लिए जो भूमि उपलब्ध कराई थी अब उसमें विवाद खड़ा हो गया है। एक व्यक्ति उस जमीन को खुद की बताते हुए न्यायालय से स्टे लेकर आ गया। उसकी कॉपी भी निगम को उपलब्ध करा दी।
दरअसल 15 नवंबर को केन्द्रीय कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने डॉ.भीमराव अंबेडकर ई लाइब्रेरी और ऑडिटोरियम का शिलान्यास किया था। यहां 25 से 30 करोड़ रुपए खर्च करने की योजना थी। केन्द्रीय कानून मंत्री के अलावा पूर्व मेयर, मंत्री समेत तमाम नेता मौजूद थे। इस प्रोजेक्ट के लिए निगम ने अपनी ओर से जमीन मुहैया कराई थी मगर निगम का दावा है कि दो दिसंबर को एक व्यक्ति ने इस पर तारबंदी कर दी। निगम को जब तारबंदी की सूचना मिली तो उसे निगम ने तुरंत हटा भी दिया। जब निगम ने तारबंदी जबरन हटाई तो उसने स्टे की कॉपी निगम को भी मुहैया करा दी।
अब जब तक स्टे है तब तक निर्माण कार्य नहीं हो सकता। कानून मंत्री का ये ड्रीम प्रोजेक्ट है। यहां सीएसआर फंड से 30 करोड़ रुपए खर्च होने थे। अशोक चक्र के आकार में इसका काम दो साल में पूरा होना था। 1000 स्टूडेंट को डिजिटल लाइब्रेरी और ऑडिटोरियम की सुविधा मिलनी थी। इसके साथ ही आर्ट गैलरी व भीमराव आंबेडकर की प्रतिमा लगनी भी प्रस्तावित है। दो साल में प्रोजेक्ट पूरा होना था लेकिन उसकी शुरूआत में ही जमीन विवाद गहरा गया।
ई लाइब्रेरी और ऑडिटोरियम की जमीन पर विवाद, निगम ने जबरन हटाई तारबंदी
जिस जमीन पर निगम ने ई लाइब्रेरी बनाने के लिए जमीन आरक्षित की उस पर किसी प्रकार का निर्माण ना हो इसके लिए 15 जून 2024 को ही अतिरिक्त सिविल न्यायाधीश एवं न्यायिक मजिस्ट्रेट संख्या एक बीकानेर के लिए यहां वाद प्रस्तुत किया जा चुका था। 23 अक्टूबर को इसे पंजीबद्ध किया गया। इसमें बताया गया कि भूखंड संख्या सी-671 पर मालिकाना हक चौतीना कुआं निवासी राधेश्याम चौहान का है।
15 नवंबर को यहां शिलान्यास किया गया और 25 नवंबर को न्यायालय का निर्णय आया कि मूल वाद के निस्तारण तक प्रार्थी के मालिकाना कब्जे वाली पट्टेशुदा जायदाद है जिसे बिना विधिक प्रक्रिया के अपनाए बेदखल ना करें। प्रार्थी की चारदीवारी में बाधा उत्पन्न ना करें लेकिन निगम ने 25 नवंबर के न्यायालय के आदेश के बाद भी दो दिसंबर को तारबंदी गिरा दी। उधर निगम का तर्क है कि जो पट्टा बताया जा रहा वो शिवबाड़ी पंचायत का है। शिवबाड़ी ने जो पट्टे जारी किए उसमें ये भूखंड संख्या नहीं है।
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