REPORT BY DR MUDITA POPLI
2022 के मुकाबले स्थिति में सुधार परंतु अभी भी कई क्षेत्रों में टॉप 100 संस्थानों में जगह बनाने में भी नाकामयाब
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा सोमवार को एनआईआरएफ रैंकिंग जारी की गई।भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय द्वारा हर साल राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क यानी NIRF रैंकिंग जारी की जाती है।इस रैंकिंग में देश के टॉप विश्वविद्यालय, कॉलेज समेत कई कैटेगरी में टॉप संस्थानों की घोषणा की जाती है।वर्ष 2015 में NIRF को प्रारंभ किया गया था तथा वर्ष 2016 में पहली बार इंडिया रैंकिंग जारी की गई थी, तब से हर साल इसे जारी किया जाता है।
इस बार एनआईआरएफ रैंकिंग के अनुसार आईआईएससी, बैंगलोर को सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालय का स्थान मिला है। इसके बाद जेएनयू और जामिया मिलिया इस्लामिया शामिल हैं। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), मद्रास ने लगातार पांचवें वर्ष राष्ट्रीय संस्थान रैंकिंग फ्रेमवर्क, 2023 में शीर्ष स्थान हासिल किया है, जबकि भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी), बेंगलुरु को सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालय के रूप में स्थान दिया गया है। IISc बेंगलुरु ने “समग्र” श्रेणी में IIT दिल्ली के बाद दूसरा स्थान हासिल किया है।
इंजीनियरिंग संस्थानों में आईआईटी मद्रास ने लगातार आठवें साल शीर्ष स्थान बरकरार रखा है। IIT दिल्ली और IIT बॉम्बे को श्रेणी में क्रमशः दूसरा और तीसरा स्थान दिया गया है।
दिल्ली विश्वविद्यालय के मिरांडा हाउस और हिंदू कॉलेज ने कॉलेजों में पहला और दूसरा स्थान हासिल किया है, इसके बाद प्रेसीडेंसी कॉलेज, चेन्नई का स्थान है। आईआईएससी बेंगलुरु को अनुसंधान के लिए सर्वश्रेष्ठ संस्थान के रूप में स्थान दिया गया है, जबकि आईआईटी कानपुर को नवाचार के लिए सर्वश्रेष्ठ स्थान दिया गया है।
अब अगर राजस्थान के हालात पर नजर डालें तो
राजस्थान की 28 में से 7 यूनिवर्सिटी ही इस रैंकिंग के लिए अप्लाई करती हैं।वर्ष 2022 में
बेस्ट 100 कॉलेजों में राजस्थान के एक भी कॉलेज का नाम नहीं था। हालांकि, ओवरऑल कैटेगरी में बिट्स पिलानी और वनस्थली विद्यापीठ ने टॉप 100 में अपनी जगह बनाते हुए राजस्थान की लाज बचाई थी। इस बार भी देश के सबसे बड़े राज्य राजस्थान के संस्थानों की कमोबेश यही स्थिति देखने को मिलती है। अगर इस पूरी रैंकिंग को ध्यान से देखें तो ओवरऑल रैंकिंग में राजस्थान के चार संस्थान जिसमें बिरला इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी पिलानी 25 वें स्थान पर, मालवीय इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी 62 वें स्थान पर, इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी जोधपुर 66वें स्थान पर तथा वनस्थली विद्यापीठ 97 वे स्थान पर सम्मिलित है। यदि पूरे भारत की टॉप 100 यूनिवर्सिटीज का आकलन किया जाए तो राजस्थान की मात्र दो यूनिवर्सिटी बिरला तथा बनस्थली क्रमशः 20 और 58 वें स्थान पर ही जगह बना पाई है। रिसर्च के क्षेत्र में भी यही हाल है केवल 26 में और 47 वें स्थान पर बिरला इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी तथा मालवीय इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी शामिल है। इसी प्रकार मैनेजमेंट के क्षेत्र में 4 संस्थान उदयपुर इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट 16 वें स्थान पर, मालवीय नेशनल इंस्टिट्यूट 69 वें, मणिपाल यूनिवर्सिटी जयपुर 89 वें स्थान पर तथा जयपुरिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट 80 वें स्थान पर जगह बना सका है। इसी तर्ज पर फार्मेसी के क्षेत्र में बिरला इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी 27 वें स्थान पर सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ राजस्थान किशनगढ़ 59 वें स्थान पर सुरेश ज्ञान यूनिवर्सिटी तथा 73वें स्थान पर मोहनलाल सुखाड़िया यूनिवर्सिटी शामिल है। मेडिकल के क्षेत्र में तो स्थिति इतनी दयनीय है कि मात्र दो संस्थान जोधपुर एम्स 13 वें तथा सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज 46 वें स्थान पर ही सूची में स्थान बना पाया है। इसी तरह डेंटल क्षेत्र में मात्र एक संस्थान मणिपाल यूनिवर्सिटी जयपुर 29 वें नंबर पर अपना स्थान बनाने में कामयाब हुई है।आर्किटेक्चर तथा प्लानिंग में मालवीय नेशनल इंस्टीट्यूट जयपुर तथा लॉ के क्षेत्र में एकमात्र संस्थान मणिपाल यूनिवर्सिटी जयपुर 29 वें स्थान पर है। इसी प्रकार इंजीनियरिंग के क्षेत्र में बिरला इंस्टिट्यूट 25 वें स्थान पर इंडियन इंस्टीट्यूट टेक्नोलॉजी जोधपुर 30 वें स्थान पर मालवीय नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी सातवें स्थान पर वनस्थली 68 वें स्थान पर और मणिपाल यूनिवर्सिटी जयपुर 76 वें स्थान पर दिखाई दे रही है।कृषि के क्षेत्र में एक भी संस्थान अपना स्थान नहीं बना पाया है। इसी प्रकार कोई भी कॉलेज टॉप फाइव में जगह नहीं बना पाया जबकि राजस्थान न केवल देश का सबसे बड़ा राज्य हैं बल्कि यहां पर कोटा जैसे एजुकेशनल हब भी हैं जहां दूर-दूर से बच्चे पढ़ने के लिए आते हैं।
उल्लेखनीय है कि शिक्षा समवर्ती सूची का विषय है जिसमें केंद्र और राज्य दोनों का ही इसमें सीधा सीधा हस्तक्षेप है बावजूद इसके राजस्थान जो कि देश का सबसे बड़ा राज्य है उसकी संस्थानों का इस रैंकिंग में स्थान न बना पाना शैक्षिक संस्थानों की स्थिति का सीधा-सीधा आकलन करवाता है। यह राजस्थान के नेताओं के लिए भी सोच का प्रश्न है कि सफलता के बड़े-बड़े कसीदे गढ़ने वाले नेता गण राज्य को एक भी ऐसा संस्थान नहीं दे सके जो देश के टॉप 5 संस्थानों में सम्मिलित हो सके। आज भी अच्छे संस्थानों की तलाश में राजस्थान के विद्यार्थी राज्य से बाहर जाने को विवश है। जल्द ही राजस्थान में विधानसभा चुनाव का बिगुल बजने को है ऐसी स्थिति में राजस्थान का युवा राजस्थान में अच्छे से अच्छे शैक्षिक संसाधनों और संस्थानों के लिए सरकार से कुछ रचनात्मक कार्यान्विति चाहता है।
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