बीकानेर । भाकृअनुप-राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसन्धान केन्द्र (एनआरसीसी) द्वारा आज गांव पंडुरी, आबू रोड़ (सिरोही) में जन जातीय उपयोजना के अंतर्गत आयोजित पशु स्वास्थ्य शिविर में 13 ऊँट, 59 गाय, 124 भैंस, 82 बकरी व भेड़ सहित कुल 278 पशुओं का उपचार किया गया वहीं कृषक-वैज्ञानिक संवाद कार्यक्रम में 114 किसान परिवारों ने सक्रिय सहभागिता निभाई । किसानों को उनके पशुओं की जरूरत अनुसार दवाइयॉं व उचित सलाह देकर लाभान्वित किया गया।
कृषक-वैज्ञानिक संवाद कार्यक्रम में पशुपालकों से बातचीत करते हुए केन्द्र निदेशक डॉ.आर्तबन्धु साहू ने कहा कि पशुओं के प्रबंधन में स्वच्छता का विशेष महत्व है तथा इसके अभाव में पशु का स्वास्थ्य व उत्पादन दोनों प्रभावित होते हैं, इसके तहत स्वच्छ दूध उत्पादन से वे अपनी आय में आशातीत बढ़ोत्तरी ला सकते हैं । डॉ.साहू ने पशुपालकों के समक्ष ऊँटनी के दूध में विद्यमान औषधीय गुणधर्मों एवं देश में इस दूध की बढ़ती मांग का उल्लेख करते हुए उन्हें उष्ट्र पालन व्यवसाय के प्रति रूझान बढ़ाने हेतु प्रोत्साहित किया। साथ ही उन्होंने किसानों को केन्द्र सरकार की योजनाओं का भरपूर लाभ उठाने की बात कही ।
एनआरसीसी के वैज्ञानिकों में डॉ. शान्तनु रक्षित एवं डॉ.श्याम सुंदर चौधरी ने जानकारी देते हुए कहा कि केन्द्र द्वारा पशुपालकों के लाभार्थ समय-2 पर टीएसपी आदि योजनाओं के माध्यम से केन्द्र तथा फील्ड स्तर पर विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रम एवं गतिविधियां संचालित की जाती है ताकि पशुपालकों को पशुधन के रखरखाव, उनका स्वास्थ्य, श्रेष्ठ उत्पादन, आहार व्यवस्था, पोषण, जनन आदि पहलुओं से जुड़ी वैज्ञानिक जानकारी प्रदान की जा सके। केन्द्र के डॉ. काशी नाथ, पशु चिकित्सा अधिकारी ने कहा कि शिविर में ऊँटों में तिबरसा (सर्रा) रोग के बचाव हेतु टीकाकरण किया गया, पशुओं को कृमिनाशक दवा पिलाई गई और बाह्य व अंत: परजीवी रोगों से बचाव हेतु कृमिनाशक व कीटनाशक दवा तथा केन्द्र निर्मित ‘करभ’ पशु आहार व खनिज मिश्रण वितरित किए गए ।
प्रगतिशील किसान श्री सेवाराम, सदस्य, पशुधन विकास कमेटी, सिरोही ने पशुधन को लेकर आ रही चुनौतियों के बारे में अपनी बात रखीं। केंद्र के मनजीत सिंह, सहायक मुख्य तकनीकी अधिकारी ने शिविर में पंजीयन, दाना-आहार वितरण के अलावा पशुओं से स्वच्छ दूध उत्पादन प्रदर्शन गतिविधि में वैज्ञानिकों को सहयोग दिया।
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