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एनआरसीसी द्वारा सूक्ष्मजीवीय पारिस्थतिकी पर गहन विचार गोष्ठी आयोजित

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बीकानेर 12 मार्च 2024 । भाकृअनुप-राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र, बीकानेर में रूमेन में सूक्ष्मजीवीय पारिस्थतिकी पर आज दिनांक को एक दिवसीय गहन विचार-विमर्श गोष्ठी (ब्रेन स्टोर्मिंग मीट) का आयोजन किया गया। ‘‘जुगाली करने वाले पशुओं के सतत उत्पादन हेतु उनके रूमेन सूक्ष्मजीवों का विश्‍लेषण: अतीत, वर्तमान और भविष्य‘‘ विषयक इस महत्वपूर्ण गोष्ठी में करीब 50 से ज्यादा अधिकारियों, वैज्ञानिकों, विषय-विशेषज्ञों एवं स्नातकोत्तर विद्यार्थियों ने षिरकत कीं। साथ ही कई विषय विशेषज्ञ जिनमें डॉ. ए.के.पुनिया, प्रधान वैज्ञानिक, एन.डी.आर.आई., करनाल, डॉ. नीता अग्रवाल, डॉ. सचिन, डॉ. रविन्द्र श्रीवास्तव, विभागाध्यक्ष, सी.आई.आर.जी., मथुरा आदि ने वर्चुअल रूप से भी इस बैठक से जुड़े।
गोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. एन.वी.पाटिल, कुलपति, महाराष्ट्र पशु और मत्स्य विज्ञान विश्‍व विद्यालय, नागपुर ने अपने निष्कर्षीय उद्बोधन में कहा कि पालतू जानवरों के पेट में पाए जाने वाले जीवाणुओं के बारे में गहन अध्ययन की आवश्‍यकता है। ये जीवाणु हमारे लिए बहुपयोगी सिद्ध हो सकते हैं और इस दिशा में सहयोगात्मक अनुसंधान के माध्यम से हम सफलता पा सकते हैं।
केन्द्र के निदेशक एवं गोष्ठी कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ. आर्तबन्धु साहू ने सभी विशेषज्ञों का अभिवादन करते हुए गहन विचार गोष्ठी के उद्देश्‍यों को स्पष्ट करते हुए कहा कि सूक्ष्मजीवीय पारिस्थितिकी जैसे महत्वपूर्ण विषय पशु पोषण एवं स्वास्थ्य में सुधार हेतु भविष्य में रूमेन सूक्ष्मजीवीय पारिस्थितिकी पर अंतर विषयक अनुसंधान की आवश्‍यकता है ताकि इन पशुओं में बेहतर पोषक तत्व उपयोग, पर्यावरणीय दुष्प्रभाव में कमी, तथा रूमिनेंट पशुपालन को समग्र रूप से लाभदायक बनाया जा सकें। उन्होंने रूमिनेंट उत्पादन संबंधी व्याख्यान भी प्रस्तुत किया।
इस अवसर पर एक कम्पेंडियम का विमोचन किया गया साथ ही एनआरसीसी की ओर से केन्द्र निदेशक डॉ. आर्तबन्धु साहू एवं महाराष्ट्र पशु और मत्स्य विज्ञान विश्‍वविद्यालय, नागपुर की ओर से डॉ. एन.पाटिल ने एमओयू पर हस्ताक्षर किए वहीं एनआरसीसीएवं गुजरात जैव प्रौद्योगिकी अनुसन्धान केन्द्र के मध्य भी भी एक एमओयू किया गया।
विशिष्‍ट अतिथि के रूप में डॉ. सी.जी.जोशी, निदेशक, गुजरात जैव प्रौद्योगिकी अनुसन्धान केन्द्र ने कहा कि रूमेन सूक्ष्मजीवों के विश्‍लेषण हेतु नियोजित तथा समन्वयात्मक रूप से आगे बढ़ना चाहिए क्योंकि भारत मं जैव विविधता बहुत अधिक देखी जा सकती है। साथ ही पशुओं के पेट में पाए जाने वाले विषाणुओं (वायरस) एवं कवक (फंगस) के बारे में भी अध्ययन की आवश्‍यकता है। उपस्थित विशेषज्ञों में डॉ. संजय बरूआ, प्रभारी, एन.सी.वी.टी.सी.,हिसार, डॉ. आर.के. वैद्य, डॉ. राजेन्द्रन, प्रभारी, रूमेन माइक्रोरिपोजिटरी, बैंगलूरू द्वारा अपने व्याख्यान प्रस्तुत किए गए।
केन्द्र द्वारा आयोजित इस महत्वपूर्ण गोष्ठी में विशेषज्ञों के रूप में डॉ. निर्मला सैनी, डॉ. स्रोबना सरकार, अविकानगर सहित केन्द्र के विषय-विशेषज्ञ वैज्ञानिक गण शामिल थे। गोष्ठी के आयोजन सचिव डॉ. राकेश रंजन, प्रधान वैज्ञानिक ने कार्यक्रम की रूपरेखा को प्रस्तुत किया । कार्यक्रम समन्वयक डॉ. आर.के.सावल, प्रधान वैज्ञानिक ने धन्यवाद प्रस्ताव ज्ञापित किया तथा संचालन डॉ. एस.एस.चैधरी, वैज्ञानिक द्वारा किया गया।

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