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कपिल सरोवर से निकली कलशयात्रा, रघुनाथजी बड़ा मंदिर में हुआ श्रीमद्भागवत कथा का आगाज़

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मृत्यु से पहले मृत्यु के भय को समाप्त करना ही श्रीमद्भागवत की सीख : श्रीसुखदेवजी महाराज
श्रीकोलायत। गौसेवार्थ के उद्देश्य से श्रीकोलायत में श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन गुरुवार को कलशयात्रा के साथ हुआ। आयोजन से जुड़े घनश्याम रामावत ने बताया कि अंधी, अपंग व दुर्घटनाग्रस्त गौमाताओं की सेवार्थ के उद्देश्य से श्रीसुखदेवजी महाराज द्वारा श्रीमद्भागवत कथा का वाचन किया जा रहा है। गुरुवार सुबह कपिल मुनिजी मंदिर से कलशयात्रा निकाली गई जो मुख्य मार्ग होते हुए कथा स्थल श्री रघुनाथजी बड़ा मंदिर पहुंची। कथा के यजमान गोपालदास नाल, मांगीदास मड़ ने श्रीमद्भागवतजी का पूजन किया। श्रीमद्भागवत कथा को सम्बोधित करते हुए प्रथम दिवस श्री सुखदेवजी महाराज ने कहा कि कथा केवल सुनना ही नहीं उसे अपने जीवन में अपनाना भी होगा। यदि अहंकार होगा तो कुछ प्राप्त नहीं होगा, इसलिए अहंकार का त्याग कर सच्चे हृदय से कथा को सुनें और जीवन में आत्मसात् भी करें। श्रीसुखदेवजी महाराज ने कहा कि जीवन में समर्पण आवश्यक है। साधु बनें या गृहस्थ कुछ भी बनें लेकिन समर्पण होना जरूरी है। मृत्यु को प्राप्त होने से पहले मृत्यु के भय को कैसे समाप्त करना है यह बात भागवत सिखाती है। कथा में प्रयागदास जयमलसर, सावरमल जयमलसर, भंवरदास मड़, भगवानदास मड़, हनुमानदास कोलायत, बाबूदास नाल, गणेश पंचारिया, मांगीलाल बिस्सा, प्रेमसिंह राजपुरोहित, बाबूलाल रामावत कोलायत, मनोज रामावत, शिव रामावत, प्रकाश रामावत, राजेंद्र रामावत, घनश्याम रामावत, जेठादास ने श्रीमद्भागवतजी की आरती की। कथा का समय दोपहर 1:00 से सायं 4:00 बजे तक है। कथा स्थल पहुंचने हेतु स्वरूपदसर, भोजुसर, भोलासर, बच्छासर, कोलासर, मेघासर, अक्कासर, जयमलसर, कोडमदेसर, गजनेर, नाल, बीकानेर व मड कोटड़ी से बसों की नि:शुल्क व्यवस्था की गई है।

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