काव्या फाउण्डेशन के राजस्थान चेप्टर और हिन्दी ग्रंथ अकादमी के संयुक्त तत्वावधान में युवा कवयित्री डॉ. नीरू जैन के संग्रह “इक धागा प्रेम” का लोकार्पण
जयपुर। डॉ नीरू जैन की काव्य कृति ‘’इक धागा प्रेम का’’ पुस्तकों का विमोचन डॉ. बी.डी.कल्ला, माननीय मंत्री, साहित्य, कला संस्कृति, राजस्थान एवम माननीय विनोद शंकर दवे, न्यायाधीश राजस्थान हाई कोर्ट एवम वरिष्ठ साहित्यकारों के कर-कमलों द्वारा राजस्थान हिंदी ग्रन्थ अकादमी सभागार, झालाना डूंगरी, जयपुर में संपन्न हुआ ।साथ ही डॉ परीक्षित सिंह का ‘’स्वयं से परिचय’’ कविता संग्रह एवम इकराम राजस्थानी द्वारा रवीन्द्रनाथ टैगोर की काव्यकृति ‘’अंजलि गीतां री’’ पुस्तकों का भी विमोचन संपन्न हुआ।
विमोचन समारोह महासचिव फारूक आफरीदी, के नेतृत्व में संपन्न हुआ एवम उन्होंने सभी पुस्तकों पर अपने विचार व्यक्त किए ।
मुख्य अतिथि के रूप में डॉ सत्यनारायण सिंह मुख्य समन्वयक , डॉ बी एल सैनी एवम लोकेश कुमार साहिल कार्यकारी अध्यक्ष काव्या राजस्थान चेप्टर भी उपस्थित थे।डॉ. नीरू जैन ने अपनी चुनिन्दा कविताओं का पाठ भी किया।
इक धागा प्रेम का जितना खूबसूरत काव्य संकलन है उतना ही खूबसूरत शीर्षक हैं, पुस्तक का आवरण भी खूबसूरत और उस पर अंकित खुशनुमा चित्र जो इसके शीर्षक को सार्थक करता है।
उल्लेखनीय है कि तेरा चेहरा जब नज़र आए की सफलता के बाद इक धागा प्रेम का डॉ नीरु जैन का दूसरा काव्य संग्रह है , अपने कविताओं के माध्यम से प्रेम, प्रार्थना , और अपनी भावनाओं को व्यक्त किया है, आशा है कि आप सभी इसे पसंद करेंगे । डॉ नीरु ने कहना हैं कि “इक धागा प्रेम का” काव्य संग्रह में मैंने मन के भावों को शब्द देने की कोशिश भर है , वो भाव जो कभी मेरे मन के होते हैं कभी आप के मन के , तो कभी सिर्फ कल्पना … लिखना हमारे जीवन के कुछ ऐसे पल होते हैं जिन्हें हमने जीया है या जीना चाहा है , बस उसी चाह को अल्फाज दिए है मैंने . ..
नीरु जी की कविताओं का एक – एक शब्द भावपूर्ण प्रेम से उकेरा गया है । प्रेम जीवन को पूर्ण बनाता है . प्रेम एक शाश्वत संबंध या बंधन है , जिसके लिए किसी अनुष्ठान की आवश्यकता नहीं होती है । जब आप वास्तव में निस्वार्थ प्रेम करते हैं , तो स्वर्गदूत भी अपना आशीर्वाद देते है , वे आपकी आत्मा के साथ जुड़ आपसे सृजन करवाते है । इक धागा प्रेम का काव्य में कुछ कविताएं भले ही दुख को चित्रित करती प्रतीत हो , पर परिस्थितियों कितनी भी कठिन या दर्दनाक हो , इंसान को विपरीत परिस्थितियों में भी साहसपूर्वक आगे बढ़ना चाहिए , यही जीवन की सुंदरता का आधार है । शिव से हो जाओ तुम कविता रिश्तों की सुंदरता को दर्शाती है तो , तो मेरे मंगला दर्शन से तुम एवम तू पीपल में तेरी अमरबेल कविताएं अनन्य प्रेम को तो मन से डर के अंधेरों को निकाल दो आदि कई कविताएं जिंदगी की प्रेरणा भी देती है।
डॉ . नीरू जैन थाईलैंड से ज्वेलरी डिजाइनिंग सीखने के बाद IIS यूनिवर्सिटी , ( ICG ) जयपुर में एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं । इन्हें सन् 2013 IIS यूनिवर्सिटी , ( ICG ) जयपुर के दूारा पीएचडी की उपाधि से सम्मानित किया गया । डॉ . नीरू जैन उच्च गुणवत्ता वाले शैक्षिक और अनुसंधान कार्यक्रमों में सहयोग करती है । इनका जुनून छात्रों को शिक्षित करना और गहने की दुनिया के लिए शानदार करीयर को बढ़ावा देना है । इनकी रूचि शोध आलेख और कविता लेखन में बहुत पहले से रही है । विभिन्न देश एवम् विदेश की पत्रिकाओं में इनके 40-50 शोध आलेख भी प्रकाशित हैं । तेरा चेहरा जब नज़र आए इनकी प्रथम पुस्तक थी, जिसमे अपनी कविताओं के माध्यम से प्यार , ज्जबात और भावपूर्ण विचारों को बड़ी ही खूबसूरती से इन्होंने पेश किया था।
सबसे बड़ी बात यह कि इनमे सीखने कि ज़बरदस्त ललक है।
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