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केवल 25 यात्रियों के लिए रेलवे क्यों दौड़ा रहा ट्रेन?:18 करोड़ का अब तक घाटा; गाड़ी रोककर क्रॉसिंग फाटक बंद करता है स्टाफ

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केवल 25 यात्रियों के लिए रेलवे क्यों दौड़ा रहा ट्रेन?:18 करोड़ का अब तक घाटा; गाड़ी रोककर क्रॉसिंग फाटक बंद करता है स्टाफ

राजस्थान में एक ऐसी ट्रेन है जिसका 31 किलोमीटर का सफर ट्रेन में मौजूद 4 लोगों का स्टाफ पूरा करवाता है। करीब 12 साल से घाटे में चल रही इस ट्रेन को लेकर दावा है कि भविष्य की संभावनाओं को देखते हुए इस चलाया जा रहा है।

हालात यह हैं कि ट्रेन में मौजूद स्टाफ ही गाड़ी रोककर फाटक बंद करता है और फिर खोलता भी है। ट्रेन को सिग्नल मिला है या नहीं इसके लिए भी स्टाफ काे उतरकर देखना पड़ता है।

ये ट्रेन चल रही है अजमेर से पुष्कर के बीच। जब भास्कर टीम को इस ट्रेन के बारे में पता चला तो अजमेर मंडल के सीनियर डीसीएम से स्पेशल परमिशन ली।

दिन तय किया गया बुधवार और और समय बताया गया सुबह साढ़े आठ बजे। डेढ़ घंटे के इस सफर के दौरान भास्कर रिपोर्टर ने जाना कैसे ट्रेन में मौजूद स्टाफ मिलकर इस ट्रेन को पुष्कर तक पहुंचाते हैं।

पढ़िए ये स्पेशल रिपोर्ट…।

अजमेर स्टेशन से निकलने के बाद जब ट्रेन पहले स्टेशन पर पहुंची तो पॉइंट मैन हरपाल नीचे उतरे और बंद फाटक को दोबारा खोला।

अजमेर स्टेशन से निकलने के बाद जब ट्रेन पहले स्टेशन पर पहुंची तो पॉइंट मैन हरपाल नीचे उतरे और बंद फाटक को दोबारा खोला।

दरअसल, अजमेर से पुष्कर के बीच चलने वाली ये ट्रेन पाली जिले के मारवाड़ जंक्शन से चलती है। जिसे मारवाड़ से अजमेर के बीच चलाया जाता है और यहां से ये ट्रेन आगे पुष्कर के लिए जाती है। इस ट्रेन में भी पुष्कर की यात्रा सप्ताह में पांच दिन होती है। मंगलवार और शुक्रवार को नहीं चलाया जाता है।

भास्कर रिपोर्टर सुबह साढ़े आठ बजे अजमेर स्टेशन पर पहुंचा। यहां पता चला ट्रेन दो नंबर प्लेटफार्म पर 35 मिनट की देरी से यानी 9 बजकर 5 मिनट पर आएगी।

जब रिपोर्टर ने स्टेशन पर मौजूद एक कर्मी से पुष्कर के लिए टिकट मांगा तो वह हंसने लगा और मुस्कराते हुए बोला- पुष्कर के लिए इस ट्रेन में ?

ट्रेन में था 4 का स्टाफ, 20 से 25 यात्री

सुबह 9 बजकर 5 मिनट पर ये ट्रेन प्लेटफॉर्म पर मिली। यहां लोको पायलट मनोज कुमार और असिस्टेंट लोको पायलट राखी राठौर से मुलाकात हुई। हमने जब उन्हें बताया कि हम पुष्कर की यात्रा का कवरेज करेंगे कि कैसे ट्रेन में मौजूद चार लोगों का स्टाफ मिलकर इसे चलाता है तो उन्होंने बैठने को कहा।

हमें बताया कि इस ट्रेन में यात्री भार की क्षमता करीब 650 की है। हम जब इस 9 कोच वाले डिब्बों में गए तो मुश्किल से 20 से 25 यात्री मिले। लोको पायलट मनोज कुमार ने बताया कि उनके साथ इस ट्रेन में पॉइंट मैन हरपाल सिंह और ट्रेन मैनेजर भी साथ चलते हैं।

40 मिनट अजमेर जंक्शन पर रुकने के बाद ट्रेन 9 बजकर 45 मिनट पर रवाना हुई। टीम पॉइंट मैन हरपाल सिंह के साथ जाकर उनके डिब्बे में बैठ गई।

अजमेर से पुष्कर के बीच तीन फाटक ऐसी रहती है। जहां कोई भी स्टाफ नहीं है।

अजमेर से पुष्कर के बीच तीन फाटक ऐसी रहती है। जहां कोई भी स्टाफ नहीं है।

माकड़वाली स्टेशन से पहले ट्रेन को रोका

पॉइंट मैन हरपाल सिंह ने बताया कि 31 किलोमीटर के सफर के दौरान तीन फाटक आती है। इन तीनों फाटक पर कोई स्थायी कर्मचारी नहीं है। हरपाल सिंह ने बताया कि पहले तो इन फाटक को बंद और खोलने का काम ट्रेन के लोको और असिस्टेंट लोको पायलट ही कर देते थे।

जब उन्होंने ये काम करने के लिए बंद किया ताे मुझे इसमें लगाया गया। फाटक आने से पहले मुझे ही नीचे उतर कर फाटक को बंद और खोलना पड़ता है।

10 बजे ट्रेन माकड़वाली स्टेशन पर पहुंचने ही वाली थी कि 500 मीटर पर पहले ट्रेन रुकी। हरपाल सिंह ने बताया कि फाटक बंद करनी पड़ेगा। वे नीचे उतरे और स्टेशन से पहले आने वाली फाटक को बंद किया। इसके बाद उन्होंने ट्रेन को हरी झंडी दिखाकर स्टेशन से रवाना किया। यहां से निकलने के बाद ट्रेन हरपाल सिंह को लेने के लिए फिर से रुकी।

ट्रेन 31 किलोमीटर का सफर तय करने में डेढ़ घंटे का समय तय करती है। अजमेर से पुष्कर के बीच तीन फाटक में आती है और हर फाटक से पहले ट्रेन को रोकना पड़ता है।

ट्रेन 31 किलोमीटर का सफर तय करने में डेढ़ घंटे का समय तय करती है। अजमेर से पुष्कर के बीच तीन फाटक में आती है और हर फाटक से पहले ट्रेन को रोकना पड़ता है।

इतने में टीम ट्रेन मैनेजर दिलीप साहू के पास पहुंची। उन्होंने बताया कि हरपाल सिंह ही चाबी से फाटक खोलता और बंद करता है। इसके बाद ट्रेन में आकर बैठ जाता है। इतने में जैसे ही हरपाल सिंह ट्रेन मैनेजर के पास पहुंचे तो उन्होंने वॉकी-टॉकी से लोको पायलट को मैसेज पहुंचाया कि हरपाल सिंह आ गए हैं। इसके बाद ट्रेन पुष्कर की तरफ बढ़ी।

तीनों फाटक पर एक जैसी हालत, यहां कोई स्टेशन नहीं

अगला स्टेशन था बूढ़ा पुष्कर। यहां भी वैसा ही हुआ जैसा मकड़वाली स्टेशन पर। ट्रेन मैनेजर ने बताया कि नियमों के अनुसार हर फाटक पर पॉइंट मैनेजर अलग-अगल होते हैं, लेकिन ये ऐसी ट्रेन है, जिसमें पॉइंट स्टेशन हमारे साथ चलता है।

यहां तक कि स्टेशन पर ट्रेन को हरी और लाल झंडी दिखाने वाला तक स्टाफ भी नहीं है। ये काम भी हरपाल सिंह करते हैं।

जैसे ही कोई स्टेशन आने वाला होता है, हरपाल नीचे उतरते हैं और फाटक को बंद करते हैं। ट्रेन निकलने के बाद वे दोबारा उसे खोलते हैं और ट्रेन में चढ़ जाते हैं। दिलीप साहू ने बताया कि हरपाल को ये पूरी प्रक्रिया करने के बाद मेरे पास आना होता है ताकि मैं लोको पायलट को ये मैसेज दे सकूं कि ट्रेन आगे बढ़ने के लिए तैयार है।

पुष्कर स्टेशन पर पहुंचने से पहले भी ट्रेन का सिग्नल देखना पड़ता है। ये उसी सिग्नल पॉइंट का है, जहां ट्रैक चैक करने के बाद ट्रेन को हरी झंडी दिखा रवाना करते हैं।

पुष्कर स्टेशन पर पहुंचने से पहले भी ट्रेन का सिग्नल देखना पड़ता है। ये उसी सिग्नल पॉइंट का है, जहां ट्रैक चैक करने के बाद ट्रेन को हरी झंडी दिखा रवाना करते हैं।

पुष्कर स्टेशन से पहले रुकी ट्रेन, पता चला सिग्नल भी नहीं है

माकड़वाली से बूढ़ा पुष्कर और बूढ़ा पुष्कर से पुष्कर का पूरा सफर रोचक था। 10 बजकर 55 मिनट पर ट्रेन के पुष्कर स्टेशन पहुंचने का टाइम था। लेकिन जैसे ही ट्रेन पुष्कर के मुख्य स्टेशन पहुंचने वाली थी कि करीब 500 मीटर पहले अचानक से रुक गई।

टीम ने ट्रेन मैनेजर और पॉइंट मैन से पूछा कि अब क्या हुआ है ? तो बताया कि स्टेशन तक पहुंचने के लिए इस ट्रैक पर ​कोई सिग्नल भी नहीं है।

इसके लिए भी पॉइंट मैनेजर ट्रेन से नीचे उतर ट्रैक पर जाता है। यहां देखकर पता लगाता है कि क्या ट्रैक सिग्नल वाली लाइन और प्लेटफॉर्म पर अटैच है या नहीं। पॉइंट मैन जैसे ही लोको पायलट को हरी झंडी दिखाता है तो वह समझ जाते हैं कि सिग्नल मिल गया है और फिर ट्रेन मेन स्टेशन के लिए रवाना होती है।

ट्रेन में टीटीई नहीं, इसलिए यात्री कहीं भी उतर जाते हैं और चढ़ जाते हैं

इस पूरी ट्रेन का सफर हैरान कर देने वाला है। सफर के दौरान जब यात्री बीच के स्टेशन पर अपनी मर्जी से चढ़ और उतर रहे थे तो मौजूद स्टाफ को पूछा। उन्होंने बताया कि इस ट्रेन में टीटीई भी नहीं है।

ट्रेन मैनेजर को जिम्मेदारी दे रखी है कि यदि किसी यात्री को टिकट देना है तो वह देंगे। उन्होंने बताया कि कई यात्री तो ​बिना टिकट के ही यात्रा कर लेते हैं। यही कारण था कि फाटक बंद और खोलने के लिए ट्रेन जहां-जहां रुकी वहां से यात्री नीचे उतर गए।

यहां तक कि जिन यात्रियों को बिना टिकट पुष्कर तक जाना था, वे भी इसमें चढ़ चुके थे। जैसे ही पुष्कर स्टेशन से पहले ट्रेन सिग्नल के लिए रुकी तो ट्रेन में बैठे यात्री वहीं उतर गए, जो बिना टिकट थे। ट्रेन के स्टाफ ने बताया कि कई सालों से इस ट्रेन को लेकर ऐसा ही सिस्टम चल रहा है।

2012 में शुरू हुई पुष्कर से अजमेर की ट्रेन, 18 करोड़ का घाटा

तीर्थ नगरी पुष्कर को देखते हुए पुष्कर से अजमेर के बीच ट्रेन चलाई गई है। 23 जनवरी 2012 को तत्कालीन रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी, तत्कालीन अजमेर सांसद सचिन पायलट की ओर से स्पेशल ट्रेन को हरी झंडी दिखाई गई थी। 25 जनवरी 2012 से इस ट्रेन को रेगुलर शुरू किया गया। 12 सालों से यह ट्रेन घाटे में चल रही है।

648 यात्रियों की क्षमता वाली ट्रेन में औसत रोज 20 से 25 यात्री सफर करते हैं। इनमें अधिकतर यात्री मारवाड़ से सीधे पुष्कर जाने वाले होते हैं। क्योंकि यह ट्रेन मारवाड़ से अजमेर आती है और यहां से अजमेर-पुष्कर के लिए चलती हैं। पुष्कर मेले में ही पूरे यात्री सफर करते हैं। ट्रेन के एक फेरे में करीब 40 हजार का खर्च आता है, जबकि टिकट औसतन 1 हजार के ही बिकते हैं। बीते करीब 12 साल में इस ट्रेन के कारण रेलवे को करीब 18 करोड़ का नुकसान हुआ है।

भविष्य में जरूर फायदेमंद होगी ये ट्रेन

वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक सुनील कुमार महला ने बताया कि अजमेर से पुष्कर के बीच एक ट्रेन चलती है, जो सप्ताह में 5 दिन चलाई जा रही है। इस सफर के बीच दो से तीन गेट आते हैं। जिन्हें बंद करने के लिए मदार से एडिशनल स्टाफ बोर्ड करता है।

पीपाड़ सिटी से बिलाड़ा के बीच में भी ट्रेन चलती है, वहां भी ऐसे ही पॉइंट है, जहां ट्रेन स्टाफ ही काम करता है। मेड़ता से पुष्कर लाइन कनेक्ट होने के बाद अजमेर की कनेक्टिविटी न केवल पुष्कर से हनुमानगढ़, गंगानगर, बीकानेर, नागौर,जम्मू कश्मीर, पंजाब सहित कई एरिया में बढ़ेगी। उदयपुर तक लोगों के लिए पहुंचना बहुत आसान हो जाएगा।

ना केवल धार्मिक और टूरिज्म की दृष्टि से भी भारत के कई हिस्सों से डायरेक्ट कनेक्ट किया जाएगा। इससे माल की ढुलाई में भी काफी फायदा होगा और यात्रियों की संख्या में भी बढ़ावा होगा। इसके बाद स्टाफ को भी बढ़ाया जाएगा। एक अलग से ही गेट क्रॉसिंग पर स्टाफ को तैनात किया जाएगा।

मेड़ता-पुष्कर लाइन जुड़ने पर बढ़ेगा यात्री भार

एक्सपर्ट के अनुसार पुष्कर से मेड़ता तक 59 किमी लाइन जुड़ जाने के बाद इस रूट पर ट्रेन और यात्री भार दोनों बढ़ेगा। 2013-14 में मेड़ता पुष्कर लाइन स्वीकृत की गई थी। उस समय 323 करोड़ रुपए लागत बताई गई थी। पिछले साल नवंबर में अजमेर-पुष्कर दौरे पर आए रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इसे जोड़ने का आश्वासन दिया था।

वर्तमान में केंद्र सरकार ने 2024-25 के बजट में मेड़ता-पुष्कर लाइन के लिए 50 करोड़ रुपए का बजट स्वीकृत किया है। हालांकि अभी तक इस लाइन को जोड़ने का काम शुरू नहीं हुआ है।

इस ट्रेन को चलाने का खर्च 40 हजार रुपए है। जबकि अजमेर से पुष्कर महज 20 से 25 यात्री ही इसमें सफर करते हैं।

इस ट्रेन को चलाने का खर्च 40 हजार रुपए है। जबकि अजमेर से पुष्कर महज 20 से 25 यात्री ही इसमें सफर करते हैं।

वर्तमान में अजमेर से बूढ़ा पुष्कर तक रेल लाइन मौजूद है। मेड़ता-पुष्कर लाइन बनने के बाद इस लाइन से अजमेर से नागौर, जोधपुर, बीकानेर और जैसलमेर सहित अन्य स्टेशनों की रेल मार्ग दूरी 50 से 80 किमी तक हो जाएगी। इसके साथ ही पंजाब, हरियाणा और जम्मू सहित कई राज्यों में सीधा सफर कर सकेंगे।

टूरिज्म की बात करें तो मेड़ता-पुष्कर नई लाइन बनने से बीकानेर, श्रीनगर, गंगानगर, हनुमानगढ़, जैसलमेर के यात्रियों को अजमेर और झीलों की नगरी उदयपुर जाने के लिए मारवाड़ के लंबे रास्ते से नहीं जाना पड़ेगा।

बीकानेर से मेड़ता पुष्कर होते हुए अजमेर में उदयपुर के लिए सीधी रेल सेवा मिलेगी। जिससे लाखों श्रद्धालु और पर्यटक इन स्थानों तक कम समय में पहुंच सकेंगे। वहीं अजमेर, उदयपुर, रतलाम, मुंबई के लिए भी दूरी कम होगी।

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