कोटपूतली में शीतलहर का दौर जारी:घने कोहरे के कारण विजिबिलिटी रही कम, नेशनल हाइवे पर ट्रैफिक की रफ्तार धीमी
कोटपूतली
कोटपूतली क्षेत्र में सर्दी का सितम लगातार जारी है। सुबह से ही घने कोहरे ने अपने आगोश में पूरे क्षेत्र को ले लिया। 40 मीटर से भी कम विजिबिलिटी होने के कारण राष्ट्रीय राजमार्ग सहित विभिन्न संपर्क सड़कों पर ट्रैफिक की रफ्तार भी थम गई। मुख्य बस स्टैंड पर भी वाहनों की आवा जाई सीमित होने के कारण यात्रियों की भारी भीड़ रही। तेज सर्दी के कारण आमजन की दिनचर्या भी प्रभावित रही। तेज हवा और ठिठुरन के कारण लोगों ने मफलर,जैकेट एल,चादर के सहारे सुबह के दिनचर्या प्रारंभ हुई।
राजकीय एवं निजी संस्थाओं के कर्मचारी सुबह से ही मुख्य बस स्टैंड पर बसों की इंतजार करते हुए नजर आए। कोटपूतली सहित विभिन्न क्षेत्रों में घने कोहरे के कारण विजिबिलिटी इतनी कम थी कि चार मंजिल की इमारत भी कोहरे के कारण नहीं दिख पा रही थी। आज सुबह 12:00 बजे तक कोहरा कम होने की वजह और घना होता नजर आया।
कोटपूतली सहायक कृषि अधिकारी रमेश भारद्वाज ने फसलों को शीतलहर से बचने के उपाय बताएं। उन्होने बताया कि
नर्सरी के पौधों और सब्जी वाली फसलों को लो कास्ट पॉली टनल में उगाना अच्छा रहता है या पॉलिथीन अथवा पुवाल से ढक देना चाहिए। वायुरोधी बोर की टाटियां को हवा आने वाली दिशा की तरफ से बांधकर क्यारियों के किनारों पर लगाने से पाले और शीतलहर से फसलों को बचाया जा सकता है।
पाला पड़ने की संभावना को देखते हुए जरूरत के हिसाब से खेत में हल्की सिंचाई करते रहना चाहिए। इससे मिट्टी का तापमान कम नहीं होता है। सरसों, गेहूं,आलू, मटर जैसी फसलों को पाले से बचाने के लिए सल्फर (गंधक) का छिडक़ाव करने से रासायनिक सक्रियता बढ़ जाती है और पाले से बचाव के अलावा पौधे को सल्फर तत्व भी मिल जाता है।
सल्फर का पौधों में रोगरोधिता बढ़ाने में और फसल को जल्दी पकाने में भी सहायक होता है। दीर्घकालीन उपाय के रूप में फसलों को बचाने के लिए खेत की मेड़ों पर वायु अवरोधक पेड़ जैसे शीशम, बबूल और जामुन आदि लगा देने चाहिए जिससे पाले और शीतलहर से फसल का बचाव होता है।
थोयोयूरिया 1 ग्राम प्रति 2 लीटर पानी में घोलकर छिडक़ाव कर सकते हैं, और 15 दिनों के बाद छिडक़ाव को दोहराना चाहिए, क्योंकि सल्फर (गंधक) से पौधे में गर्मी बनती है इसलिए घुलनशील सल्फर 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर फसल पर छिड़काव करने से पाले के असर को कम किया जा सकता है। पाला पड़ने की संभावना वाले दिनों में मिट्टी की गुड़ाई या जुताई नहीं करनी चाहिए, क्योंकि ऐसा करने से मिट्टी का तापमान कम हो जाता है। खेत की मेड के आसपास घास फूस जलाकर धूवा करनी चाहिए।
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