कौन हैं बोधिधर्मन? और क्यों रखा गया भारत जापान संयुक्त युद्ध अभ्यास का नाम धर्म गार्जियन
बीकानेर। भारत और जापान के बीच संयुक्त युद्ध अभ्यास आज संपन्न हुआ। इस युद्ध अभ्यास के अंतिम दिन आज बोधिधर्मन की प्रतिकृति की दूसरी आंख को भी रोशनी देकर विश्व शांति का संदेश दिया गया। जापान से आए सैन्य अधिकारियों ने बताया कि बौद्ध धर्म एक भारतीय बौद्ध संत थे जो चीन के रास्ते होते हुए जापान पहुंचे।
उनका उद्देश्य बुद्ध के संदेशों को विश्व में प्रचारित करना तथा विश्व शांति और स्वार्थ का संदेश देना था। बोधिधर्मन को इंगित करते हुए ही इसे युद्ध अभ्यास का नाम धर्म गार्जियन रखा गया जहां धर्म एक संरक्षक के रूप में उपस्थित था। योद्धा अभ्यास के अंतिम दिन बौद्ध धर्म की प्रतिकृति डॉल की दूसरी आंख में भी रोशनी भरी गई इससे पहला युद्ध अभ्यास प्रारंभ होने वाले दिन डॉल की एक आंख को जापानी और भारतीय अधिकारियों ने रंग भरकर रोशन किया था,
आज योद्धा अभ्यास के आखिरी दिन पुणे उनकी एक और आंख में रंग भरकर उनकी रोशनी से पूरी विश्व के लिए भारत और जापान के इस संयुक्त युद्ध अभ्यास के माध्यम से विश्व शांति का संदेश देते हुए अहिंसा और सौहार्द की रोशनी को चिन्हित किया गया। जापानी सैन्य अधिकारियों ने बताया कि जापान में बोधिधर्मन को गुड लक यानी अच्छे भाग्य का सूचक माना जाता है तथा इससे पहले अमेरिका के साथ युद्ध अभ्यास के दौरान भी बोधिधर्मन की आंखों की प्रतिकृति डॉल में इस प्रकार है रंग भर गया था, इस बार पुनःयह करके विश्व शांति के संदेश को पहुंचने का प्रयास किया गया।
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