DEFENCE / PARAMILITARY / NATIONAL & INTERNATIONAL SECURITY AGENCY / FOREIGN AFFAIRS / MILITARY AFFAIRS WORLD NEWS

क्वॉड मीटिंग के दौरान हरकत:चीन और रूस के फाइटर जेट्स ने जापान के पास उड़ान भरी; मोदी-बाइडेन टोक्यो में ही मौजूद थे

FacebookWhatsAppTelegramLinkedInXPrintCopy LinkGoogle TranslateGmailThreadsShare

*क्वॉड मीटिंग के दौरान हरकत:चीन और रूस के फाइटर जेट्स ने जापान के पास उड़ान भरी; मोदी-बाइडेन टोक्यो में ही मौजूद थे*
जापान की राजधानी टोक्यो में क्वॉड देशों के राष्ट्राध्यक्षों की मीटिंग चल रही है। इसी दौरान चीन और रूस ने एक बेहद गंभीर हरकत की है। चीन और रूस के फाइटर जेट्स ने जापान की सीमा के करीब वॉर ड्रिल के तहत उड़ान भरी। खुद जापान सरकार ने इसकी पुष्टि की है।
दोनों देशों की इस हरकत पर अब तक क्वॉड के बाकी तीन देशों का रिएक्शन नहीं आया है।क्वॉड में भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान शामिल हैं। चीन का आरोप है कि क्वॉड मेंबर्स उसके समुद्री रास्ते बंद करने की साजिश रच रहे हैं और वो उस पर ताकत के जरिए दबाव बनाना चाहते हैं। क्वॉड मेंबर्स ने चीन के आरोपों को कई बार खारिज किया है।


*जापान की डिफेंस मिनिस्ट्री का बयान*
मंगलवार दोपहर जापान की डिफेंस मिनिस्ट्री ने एक बयान में कहा- चीन और रूस के फाइटर जेट्स ने हमारी सीमा के करीब उड़ान भरी है। हमने इन देशों को साफ तौर पर बता दिया है कि यह बेहद गंभीर हरकत है। भारत, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के राष्ट्राध्यक्ष इस वक्त हमारे देश में मौजूद हैं। फाइटर जेट्स हमारे एयरस्पेस में नहीं आए। नवंबर से अब तक चार बार इस तरह की हरकत हो चुकी है। हमारे लिए यह चिंता की बात है।

*कुल चार फाइटर जेट्स थे*
जापान की डिफेंस मिनिस्ट्री के मुताबिक, रूस और चीन के फाइटर जेट्स ने हमारी पूर्वी सीमा के करीब उड़ान भरी। दो फाइटर जेट्स चीन और इतने ही रूस के थे। ये एयरक्राफ्ट्स प्रशांत महासागर के पूर्वी हिस्से में थे। यहां जापान और चीन की सीमाएं मिलती हैं। मंगलवार को ही रूस के खुफिया विमानों ने भी इसी क्षेत्र में उड़ान भरी थी।
हमने दोनों देशों को डिप्लोमैटिक चैनल्स के जरिए बता दिया कि जापान इन हरकतों को सहन नहीं करेगा।

*क्वॉड को 50 अरब डॉलर*
क्वॉड देशों ने मंगलवार को एक बेहद अहम फैसला किया और यह चीन के लिए फिक्रमंद होने का सबब है। चारों देशों ने फैसला किया है कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में इन्फ्रास्ट्रक्चर और इन्वेस्टमेंट बढ़ाने के लिए पांच साल में 50 अरब डॉलर खर्च किए जाएंगे। इस मीटिंग में प्रधानमंत्री मोदी के अलावा अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन भी शामिल हुए।
इस बजट का सीधा सा मतलब यह है कि हिंद और प्रशांत क्षेत्र में चीन की दबदबे वाली हर चाल को चारों देश मिलकर खत्म करेंगे। चीन इस क्षेत्र के ज्यादातर हिस्सों को अपना क्षेत्र बताता है। चीन को दिक्कत यहां तक है कि वो हिंद-प्रशांत महासागर को इंडो-पैसिफिक की बजाए एशिया पैसिफिक कहना चाहता है। उसे इंडो-पैसिफिक शब्द पर ही ऐतराज है।

FacebookWhatsAppTelegramLinkedInXPrintCopy LinkGoogle TranslateGmailThreadsShare

About the author

THE INTERNAL NEWS

Add Comment

Click here to post a comment

error: Content is protected !!