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गुर्जर आंदोलन के मुकदमों में गिरफ्तारी वारंट पर विवाद:गुर्जर नेता बोले- समाज को कुचलने की मंशा नहीं रखे सरकार, घर-घर में कर्नल बैंसला तैयार

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गुर्जर आंदोलन के मुकदमों में गिरफ्तारी वारंट पर विवाद:गुर्जर नेता बोले- समाज को कुचलने की मंशा नहीं रखे सरकार, घर-घर में कर्नल बैंसला तैयार

जयपुर

गुर्जर नेता हिम्मत सिंह ने बीजेपी सरकार पर गुर्जर आरक्षण आंदोलन के मुकदमे फिर से खोलकर गिरफ्तारी का दबाव बनाने का आरोप लगाते हुए निशाना साधा है। हिम्मत सिंह ने कहा- राजस्थान में सरकार बदलते ही भाजपा सरकार ने अपना रंग दिखाना शुरू कर कर दिया है। सरकार गुर्जर आरक्षण आंदोलन के दौरान दर्ज मुkदमों को फिर खोलने का काम कर रही है। गुर्जर आंदोलन के नेताओं पर गिरफ्तारी का दबाव बनाया जा रहा है।

हिम्मत सिंह ने कहा- आरक्षण संघर्ष समिति से जुड़े साथियों ने मुझे सूचना दी है कि अलवर, टोंक अजमेर,सवाई माधोपुर, जयपुर, झुंझुनू, सीकर आदि जिलों से भी हमारे साथी आंदोलनकारियों पर गिरफ्तारियों का दबाव बनाया जा रहा है। मैं पर्ची वाली सरकार से कहना चाहता हूं, गुर्जर समाज से पंगा मत लो नहीं तो बहुत भारी पड़ेगा। अगर प्रदेश सरकार ने समझौते की पालना नहीं की तो राजस्थान का गुर्जर समाज चुप नहीं रहेगा।

हिम्मत सिंह ने कहा- राजस्थान गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति कोटा संभाग के अध्यक्ष सुरेश गुर्जर पर साल 2009-10 में आलनिया माताजी, कोटा झालावाड़ रोड जाम करने के एक लंबित मामले में कोटा पुलिस ने स्थानीय कोर्ट से दुर्भावनापूर्ण गिरफ्तारी वारंट जारी करवाया है। अब पुलिस उनकी गिरफ्तारी का प्रयास रही है।

कर्नल बैंसला के निधन के बाद गुर्जर समाज को कुचलने की मंशा नहीं रखे सरकार
हिम्मत सिंह ने कहा- कौम के लीडर कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के निधन होने पर सरकार गुर्जरों को कुचलने की मंशा नहीं रखे। आज घर-घर में कर्नल बैंसला तैयार हो गया है और हमारे संघर्ष के साथी अभी जिंदा है। हम अपने साथियों के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं।

राज्य सरकार ने केस वापस लेने के समझौते किए थे
हिम्मत सिंह ने कहा- गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति और तत्कालीन सरकारों के बीच कई बार समझौते हुए। समझौते में यह तय हुआ था कि गुर्जर आरक्षण आंदोलन में साल 2006 से 2015 तक 807 मुकदमे दर्ज हुए थे वे वापस लिए जाएंगे। समझौते के अनुसार जिन मुकदमों का पुलिस ने कोर्ट में चालान पेश कर दिया, वो सभी मुकदमे सरकार ने समय-समय पर वापस लिए। सभी मुकदमे सड़क जाम और राजकार्य बाधा वाले थे। सरकार ने 295 मुकदमे वापस लिए थे, जिनमें पुलिस ने चालान पेश नहीं किया उन सभी मुकदमों में 3 साल से ज्यादा पेंडिंग रहने पर एफआर दे दी गई, जिनकी संख्या 283 थी। जिन मुकदमों में आंदोलनकारियों में कुछ को गिरफ्तार कर पुलिस ने चालान पेश कर पर बाकी के खिलाफ जांच पेंडिंग रखी, उनके मामले में लंबित कार्रवाई बंद करने का समझौता हुआ था। इस तरह के 167 कुल मुकदमे थे। सुरेश गुर्जर के खिलाफ केस पेंडिंग रखा,अब पुलिस उन्हें गिरफ्तार करवा चाह रही है जो समझौते का उल्लंघन है।

हमें सड़क, रेल की पटरियों पर आने को मजबूर किया गया था
हिम्मत सिंह ने कहा- गुर्जर समाज ने आरक्षण आंदोलन इसलिए किया, क्योंकि हमें हमारा संवैधानिक हक नहीं दिया जा रहा था, हमें मजबूर कर दिया था। सड़क और रेल की पटरियों आने के लिए सत्ता में बैठे हुक्मरानों ने मजबूर किया था। मेरे जैसे सैकड़ों साथियों ने कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के साथ मिलकर राजस्थान गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति का गठन कर आंदोलन किए। दो दशक से ज्यादा संघर्ष चला, तब जाकर हमें आरक्षण का लाभ मिला था। इस संघर्ष में 76 गुर्जर युवाओं को शहीद होना पड़ा और पुलिस की गोली से 265 से अधिक गुर्जर युवा गंभीर घायल हुए, कई आज भी अपंग हैं। हमने उस दर्द को को सहा था,आज जब संघर्ष के किसी साथी के साथ अन्याय होता है तो हम चुप नहीं बैठेंगे, मिलकर लड़ेंगे।

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