चित्तौड़गढ़ दुर्ग पर हर दिन होगी दीपावली जैसी रोशनी:लाइटिंग से बढ़ेगा नाइट ट्यूरिज्म, यहां कई फिल्मों की हो चुकी शूटिंग
चित्तौड़गढ़

स्थापत्य कला, सामरिक महत्व और इतिहास के लिए विश्व में विख्यात चित्तौड़गढ़ दुर्ग अब जल्द ही रात में जगमगाएगा। इस ऐतिहासिक दुर्ग की चार किलोमीटर की दीवार के साथ-साथ यहां के विशेष मॉन्यूमेंट्स रोशनी में नहाएंगे। यहां दीपावली जैसा नजारा रोज देखने को मिलेगा। दुर्ग पर लाइटिंग का कलर कॉम्बिनेशन, पैटर्न और थीम रोज एक जैसा ही रहेगा। इसमें किले की चार किलोमीटर की दीवार के साथ-साथ विशेष मॉन्यूमेंट्स में लाइट्स लगाई जाएंगी। फसाड लाइटिंग लगाने का लगभग 80 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है। एएसआई से मई महीने में स्वीकृति मिलने के बाद यह काम तेजी से किया जा रहा है। लाइटिंग का काम सितंबर मिड में पूरा करने की संभावना है।

वर्म वाइट और कुल वाइट लाइट के अलावा खास दिनों में दुर्ग और मॉन्यूमेंट्स में दो अलग-अलग थीम पर लाइटिंग की जाएगी, उसमें एक मल्टी कलर (शर्तों के साथ) को भी चुना गया।
होली-दीपावली जैसे त्योहारों पर दिखेगी थीम बेस्ड लाइटिंग
किले पर रोज नॉर्मल लाइटिंग दिखेगी, लेकिन खास दिनों में यहां थीम बेस्ड लाइटिंग होगी। दरअसल, कंप्यूटर से लाइटिंग का पैटर्न, कलर कॉम्बिनेशन और थीम ऑटोमैटिक बदलेगी। होली-दिवाली, 15 अगस्त, 26 जनवरी जैसे त्योहारों पर उस दिन की थीम अनुरूप लाइटिंग होगी। प्रोजेक्शन मैपिंग तकनीक से प्राचीर व दीवारों पर कलर कॉम्बिनेशन नजर आएगा। थीम का सलेक्शन एएसआई (आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया) द्वारा किया गया है। वर्म वाइट और कुल वाइट रोज का रहेगा। इसके अलावा तिरंगा और मल्टी कलर (शर्तों के साथ) जैसे कलर चुने गए हैं। इमारतों को नुकसान नहीं पहुंचे इसके लिए ज्यादा कलर नहीं रखे गए हैं। दुर्ग पर 680 फसाड लाइट लगाई जाएंगी।

विजय स्तंभ में भी लाइटिंग का काम हो गया है, एएसआई ने तय किया है की रोजाना यहां वॉर्म वाइट लाइटिंग होगी।
शाम से रात तक रहेगी लाइटिंग
लाइट का इंस्टॉलेशन पूरा होते ही अब हर दिन शाम को सूर्यास्त होने के बाद यानी शाम के सात से रात के 11 बजे तक लाइटिंग रहेगी। दुर्ग के पश्चिमी हिस्से यानी शहर की तरफ 4 किमी तक प्राचीर के साथ विजय स्तंभ, नौलखा भंडार, मीरा मंदिर, गोमुख कुंड, कालिका माता मंदिर, कुम्भा महल (बाहर की दीवारों पर, क्योंकि महल के अंदर लाइट एंड साउंड प्रोग्राम की लाइट्स रहती है), पाडनपोल से रामपोल तक मार्ग के सातों दरवाजों पर फसाड लाइटें लगेंगी। (सामने की तरफ आने वाली दीवार और मॉन्यूमेंट्स में लाइट लगेगी ताकि शहरवासियों को दिखे)। पहले दुर्ग पर किसी प्रोग्राम या दीपावली के समय ही लाइट लगती थी। अब ऐसा जैसा नजारा हर दिन देखने को मिलेगा। फसाड लाइट प्रोजेक्ट में यह दायरा 4 किमी होने का मतलब लगभग पूरे शहर, इससे सटे नेशनल हाईवे और रेल मार्गों से भी दुर्ग जगमग दिखेगा।

15 अगस्त और 26 जनवरी के लिए तिरंगा थीम रखी गई है, जो सबको अपनी ओर आकर्षित करता है।
लाइटिंग से मिल सकता है नाइट टूरिज्म को बढ़ावा, लोकल इकोनॉमी बढ़ेगी
दुनिया में अलग पहचान रखने वाला चित्तौड़गढ़ दुर्ग राजस्थान का गौरव है। यह भारत का सबसे बड़ा दुर्ग है। यह ऐसा किला है जहां लोग रहते हैं। 21 जून 2013 को चित्तौड़गढ़ दुर्ग को यूनेस्को विश्व विरासत स्थल घोषित किया गया था। यह 700 एकड़ जमीन पर फैला हुआ विशाल दुर्ग है। लाइटिंग लगने के बाद उम्मीद की जा रही है कि नाइट टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा और पर्यटकों का यहां एक दिन का ठहराव भी होगा। सूर्यास्त के बाद यहां लाइट एंड साउंड शो भी चलता है। यहां पर लोगों को चित्तौड़गढ़ दुर्ग के इतिहास और गौरव के बारे में जानने का मौका मिलता है।
लाइटिंग के लिए आठ करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं। माना जा रहा है कि अगर टूरिज्म बढ़ा तो लोकल इकोनॉमी को भी बूस्ट अप मिलेगा। यहां दुर्ग पर फोटोग्राफर, गाइड, स्टॉल वाले, घुड़सवारी, राजस्थानी ड्रेस, फुटकर व्यापारी सहित कई जनों को भी अच्छा मौका मिलेगा। लाइट की मेंटिनेंस 5 साल तक लाइट लगाने वाली जयपुर की कंपनी एमएम ब्रदर्स करेगी। बिजली का बिल यूआईटी वहन करेगी।

दुर्ग का राणा रतन सिंह महल लाइटिंग के बाद बहुत खूबसूरत लगता है। यहां के रत्नेश्वर तालाब में विशेष दिनों में दीपदान किया जाता है। अभी इस महल में लाइटिंग नहीं की गई है, लेकिन उम्मीद है की अगले फेज में इस महल को भी शहरवासी जगमगाता हुआ देखेंगे। (दीपदान के समय अनोखा नजारा)
टूरिज्म बढ़ा तो लोकल इकोनॉमी बढ़ेगी
लाइटिंग के लिए आठ करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं। माना जा रहा है कि अगर टूरिज्म बढ़ा तो लोकल इकोनॉमी को भी बूस्ट अप मिलेगा। यहां दुर्ग पर फोटोग्राफर, गाइड, स्टॉल वाले, घुड़सवारी, राजस्थानी ड्रेस, फुटकर व्यापारी सहित कई जनों को भी अच्छा मौका मिलेगा। लाइट का मेंटिनेंस 5 साल तक जयपुर की कंपनी एमएम ब्रदर्स (जो लाइट लगा रही है), वहीं करेगी। लेकिन बिजली का बिल यूआईटी (Urban Improvement Trust) द्वारा वहन किया जायेगा।

दुर्ग रात के समय नजर नहीं आता, यहां पर्यटकों का ठहराव नहीं होता। वर्ल्ड हेरिटेज में शामिल होने के बावजूद दुर्ग को सही प्रेजेंट नहीं किया गया। लाइटिंग के बाद उम्मीद है कि नाइट टूरिज्म बढ़ावा मिलेगा। यहां पहले से ही लाइट एंड साउंड शो चलता है। (दीपावली के दौरान शहर के साथ साथ दुर्ग भी चमकता हुआ)।
सभी विभागों का रहा कॉन्ट्रीब्यूशन
तत्कालीन कलेक्टर और यूआईटी चेयरमैन अरविंद कुमार पोसवाल ने दुर्ग पर फसाड लाइट लगाने का प्रस्ताव एएसआई को भेजा था। हाल ही में भारतीय पुरातत्व विभाग की ओर से 8 मई को स्वीकृति मिल गई। स्वीकृति मिलने से पहले ही टेंडर प्रोसेस कर एक कंपनी को वर्क आर्डर दिया जा चुका था। काम शुरू करने से पहले तत्कालीन कलेक्टर ने प्रैक्टिकल डेमो भी देखा। जिला कलेक्टर पीयूष सामरिया ने बताया कि फसाड लाइटिंग का काम चल रहा है। चित्तौड़गढ़ दुर्ग पर्यटन की दृष्टि से काफी ऐतिहासिक है। यहां पर लगातार काम किया जा रहा है। लाइटिंग की योजना और मांग लंबे समय से की जा रही थी। यूआईईटी की तरफ से प्लान बनाकर बजट पास किया गया। एएसआई से भी परमिशन मिल गई है। सभी विभागों का इसमें कॉन्ट्रीब्यूशन रहा है। धरोहर प्रोन्नति प्राधिकरण, यूआईटी और थोड़ा फंड डीएमएफटी से कोलाब्रेट करके हमने एक एजेंसी हायर की है। डीपीआर और बाकी की सारी चीजें रेडी हो चुकी है। कोशिश की जा रही है कि सितंबर मध्य तक यह टोटली रेडी होकर लोगों के लिए अवेलेबल हो जाए। इसमें फेज वाइज काम किया जा रहा है।
सामरिया ने बताया कि इससे नाइट टूरिज्म को भी बूस्ट अप मिलेगा। पूरे शहर को नया लुक मिल जाएगा। शाम को पूरा दुर्ग काफी दूर तक विजिबल रहेगा। पर्यटक आकर्षित भी होंगे। सौंदर्यीकरण के हिसाब से, पर्यटन की दृष्टि से और लोगों के हेरिटेज संग्रहण के दृष्टि से यह काफी फायदेमंद रहेगा। उन्होंने बताया कि पर्यटकों के बढ़ने के बाद धीरे धीरे और सुविधाएं शुरू की जाएंगी।

कुम्भा महल में पहले से ही लाइट एंड साउंड का शो चलता है। ऐसे में बाहरी दीवारों पर लाइटिंग की गई। मॉन्यूमेंट्स और चार किलोमीटर की प्राचीर पर ऐसे लाइटिंग की गई जिससे शहरवासियों को दूर से दुर्ग चमकता हुआ दिखाई दे।
क्या होती है फसाड लाइट
ये खास तरह की लाइट होती है। फसाड लाइट जिस जगह पर लगती है, उसी पर फोकस्ड रहती है। यानी इसकी रोशनी इधर-उधर नहीं बिखरती। इससे इमारत की सुंदरता बढ़ जाती है। जमीन के नीचे भी रंग बिरंगी लाइटें लगती हैं।

प्रेम रतन धन पायो के भी एक गाने की शूटिंग यहां हुई थी, जहां कुम्भा महल में सलमान खान और सोनम कपूर पर बहुत खूबसूरती के साथ फिल्माया गया।
फिल्मों में भी छाया रहा है चित्तौड़गढ़ दुर्ग
स्थापत्य कला, सामरिक महत्व और इतिहास के लिए विश्व में विख्यात इस ऐतिहासिक दुर्ग में कई फिल्मों की शूटिंग हो चुकी है। यहां 58 साल पहले 1965 में देव आनंद वहीदा रहमान स्टारर मूवी गाइड का एक गाना ‘आज फिर जीने की तमन्ना है’ शूट किया गया था। इसकी शूटिंग दुर्ग के कुम्भा महल, विजय स्तम्भ, गौमुख जाने के मार्ग, रानी पद्मिनी महल में हुई है, जिन्हें बहुत खूबसूरती के साथ दर्शाया गया था। हालांकि इसके बाद काफी लंबे अरसे तक यहां कोई भी फिल्म की शूटिंग नहीं हुई।

फिल्म गाइड मूवी के एक प्रसिद्ध गाने की शूटिंग दुर्ग के अलग अलग हिस्सों में की गई थी। गाने के जरिए दुर्ग की खूबसूरती को बखूबी दिखाया गया है।
इसके लगभग 46 साल बाद 2011 में ‘ये जो मोहब्बतें हैं’ फिल्म की शूटिंग हुई। करीब चार-पांच दिन तक कुंभा महल, समिद्धेश्वर मंदिर, मीरा मंदिर, विजय स्तम्भ आदि जगहों पर शूटिंग हुई थी। इस फिल्म के कास्ट मोहनीश बहल, फरीदा जलाल, मुकेश तिवारी ने यहां शूटिंग की थी। इसके बाद इसी साल फिल्म ‘कयामत ही कयामत’ की शूटिंग हुई। इसमें हिस्सा लेने प्रेम चोपड़ा, पुनीत इस्सर आए थे। इसकी शूटिंग कालिका माता मंदिर, कुंभा महल पर हुई।

गाइड मूवी की शूटिंग के लिए देव आनंद और वहीदा रहमान चित्तौड़गढ़ आए थे। फिल्म की शूटिंग कुम्भा महल, विजय स्तम्भ, गौमुख जाने के मार्ग, रानी पद्मिनी महल में हुई थी।
इसके अगले वर्ष 26 मई 2012 को फिल्म ‘ये जवानी है दीवानी’ की शूटिंंग भी एक दिन के लिए यहां हुई थी। यहां कलाकार रणबीर कपूर और दीपिका पादुकोण पर कुंभा महल में दृश्य फिल्माए गए। साल 2013 में टीवी सीरियल ‘तुम्हारी पाखी’ की शूटिंग कुंभा महल, रतन सिंह महल में हुई थी। अप्रैल 2015 में फिल्म ‘प्रेम रतन धन पायो’ की दो दिन की शूटिंग कुंभा महल में हुई। एक गीत के दृश्य कलाकार सलमान खान, सोनम कपूर पर फिल्माए गए।
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