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चीन ने भारत के वांटेड आतंकी को बचाया:साजिद मीर को ग्लोबल टेररिस्ट डिक्लेयर किया जाना था, मुंबई हमले में शामिल था

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चीन ने भारत के वांटेड आतंकी को बचाया:साजिद मीर को ग्लोबल टेररिस्ट डिक्लेयर किया जाना था, मुंबई हमले में शामिल था

26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुए हमले में साजिद मीर भी शामिल था। वह आतंकियों को हमले के दौरान पाकिस्तान से निर्देश दे रहा था। - Dainik Bhaskar

26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुए हमले में साजिद मीर भी शामिल था। वह आतंकियों को हमले के दौरान पाकिस्तान से निर्देश दे रहा था।

मुंबई में 26/11 के हमले में वांटेड लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी साजिद मीर को ग्लोबल टेररिस्ट घोषित करने के प्रस्ताव को चीन ने रोक दिया है। अमेरिका ने यूनाइडेट नेशंस सिक्योरिटी काउंसिल की 1267 अलकायदा प्रतिबंध समिति की बैठक में यह प्रस्ताव पेश किया था। भारत इसका सह प्रस्तावक था।

पहले भी चीन ने कई बार अड़ंगा लगाया
यह पहली बार नहीं है जब चीन ने किसी पाकिस्तानी आतंकी को ग्लोबल टेररिस्ट घोषित करने में अड़ंगा लगाया हो। चीन ने पिछले साल सितंबर में भी साजिद को ग्लोबल टेररिस्ट घोषित करने के प्रस्ताव पर रोक लगाई थी। इस बार उसने प्रस्ताव को ब्लॉक कर दिया है।

पिछले साल चीन ने पाकिस्तानी आतंकी मौलाना मसूद अजहर के भाई अबुल रऊफ असगर उर्फ अब्दुल रऊफ अजहर को संयुक्त राष्ट्र की आतंकवादियों की सूची में शामिल कराने के लिए लाए गए अमेरिका और भारत के प्रस्ताव का विरोध किया था। पिछले साल अक्टूबर में लश्कर-ए-तैयबा के चीफ हाफिज सईद के बेटे तालहा सईद को ग्लोबल टेररिस्ट घोषित करने के लिए लाया गया प्रस्ताव भी चीन ने रोक दिया था।

अमेरिका ने 50 लाख डॉलर का इनाम रखा है
अमेरिका ने साजिद पर 50 लाख डॉलर का इनाम घोषित किया है। अमेरिकी जांच एजेंसी FBI के अनुसार आतंकी साजिद मीर लश्कर-ए-तैयबा के लिए 2001 से एक्टिव था। उसने लश्कर के साथ मिलकर कई आतंकी हमलों की योजना बनाई और उन्हें अंजाम दिया

21 अप्रैल 2011 को मीर पर यूनाइटेड स्टेट्स डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने चार्ज लगाए थे। उस पर विदेशी सरकार की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की साजिश रचने, आतंकवादियों को मदद देने, अमेरिका के बाहर एक नागरिक की हत्या करने और सार्वजनिक स्थानों पर बमबारी का आरोप लगाया गया था। मीर के खिलाफ अमेरिका ने 22 अप्रैल 2011 को अरेस्ट वारंट जारी किया था।

अक्टूबर 2022 में मुंबई में हुई संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की बैठक में भारत ने दुनिया के सामने मुंबई में हुए 26/11 हमले में पाकिस्तानी आतंकी साजिद मीर का ऑडियो प्ले किया था। ऑडियो क्लिप में आतंकी साजिद मीर फोन पर चबाड़ हाउस में मौजूद आतंकियों को निर्देश देते सुनाई दे रहा है।

पाकिस्तान ने मृत घोषित कर दिया था

पाकिस्तान ने दुनिया की आंखों में धूल झोंकने के लिए साजिद मीर को मृत घोषित कर दिया था। उसका DNA टेस्ट भी कर दिया गया, लेकिन बाद में पता चला कि वो जिंदा है। अंतरराष्ट्रीय दबाव में पाकिस्तान ने उसे अरेस्ट किया। जून में उसे आतंकवादियों को पैसा देने के आरोप में पाकिस्तान के कोर्ट ने 15 साल जेल की सजा सुनाई थी।

मीर ने आतंकियों को मुंबई हमले के लिए तैयार किया
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार साजिद मीर जिस डेविड कोलमैन हेडली का हैंडलर था, उसने ही आतंकी सदस्यों को मुंबई हमले के लिए तैयार किया था। हेडली अभी अमेरिका की एक जेल में बंद है।

मुंबई हमले में 166 लोग मारे गए थे
26 नवंबर, 2008 को 10 पाकिस्तानी आतंकियों ने मुंबई में कई जगहों पर हमले किए थे। ताज होटल, छत्रपति शिवाजी टर्मिनस, ओबेरॉय होटल, लियोपार्ड कैफे और चबाड हाउस में हुए इन हमलों में 166 लोग मारे गए थे। हमला करने वाले 10 हमलावरों में से अजमल आमिर कसाब को जिंदा पकड़ा गया था, जबकि बाकी 9 आतंकी एंटी टेरर ऑपरेशन में मारे गए थे। कसाब को 11 नवंबर 2012 को पुणे की यरवदा जेल में फांसी दी गई थी।

क्या है यूनाइडेट नेशंस सिक्योरिटी काउंसिल की 1267 समिति
यूनाइडेट नेशंस सिक्योरिटी काउंसिल 1267 समिति का गठन साल 1999 के प्रस्ताव-1267 (resolution 1267) के अनुसार किया गया था। इसे अलकायदा और तालिबान प्रतिबंध समिति के तौर पर भी जाना जाता है।

शुरू में इस समिति का गठन तालिबान के कब्जे वाले अफगानिस्तान पर लगाए गए प्रतिबंधों की देखरेख के लिए किया गया था। बाद में इसे और ताकतवर बनाते हुए प्रतिबंधात्मक गतिविधियों के संचालन का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा बना दिया गया। यदि किसी व्यक्ति या आतंकवादी संगठन को इस सूची में शामिल किया गया है, तो यह उसकी एक्टिविटीज को रोकने, जुर्माना लगाने और संपत्ति जब्त करने में मदद करती है।

अकेला चीन कैसे रोक लेता है प्रस्ताव
यूनाइडेट नेशंस सिक्योरिटी काउंसिल 1267 समिति, सिक्योरिटी काउंसिल के सभी 15 सदस्यों से मिलकर बनी है और सर्व-सम्मति से निर्णय लेती है। यदि किसी आशय या निर्णय का एक भी सदस्य विरोध करता है तो फिर वह प्रस्ताव पारित नहीं होता। यही कारण है कि केवल चीन के विरोध करने पर ही आतंकवादियों को ग्लोबल टेररिस्ट घोषित करने का प्रस्ताव पास नहीं हो पाता है।

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