जमीनें नीलाम नहीं करने पर चार संस्थाओं को नोटिस:यूडीएच प्रमुख सचिव ने रेवेन्यू नहीं जुटाने और ऑनलाइन प्रकरणों की पेंडेंसी पर जताई नाराजगी; सचिवों को कारण बताओ नोटिस
जयपुर
नगरीय विकास विभाग के प्रमुख शासन सचिव ने आज प्रदेश की सभी यूआईटी, विकास प्राधिकरण के अधिकारियों संग बैठक की। बैठक में ऑनलाइन वर्क, रेवेन्यू और आमजन से जुड़े कार्यो का रिव्यू किया। इस दौरान दो महीने से नीलामी के जरिए रेवेन्यू नहीं जुटा पाने वाली चार यूआईटी के सचिवों को कारण बताओ नोटिस जारी किया। वहीं ऑनलाइन आए आमजन के प्रकरणों में समय पर डिस्पोजल नहीं करने पर दो विकास प्राधिकरण और दो यूआईटी सचिवों को नोटिस जारी किया।
प्रमुख शासन सचिव टी. रविकांत ने आज सचिवालय में देर ये बैठक की। बैठक में सचिव ने सभी यूआईटी और विकास प्राधिकरण के यहां आए ऑनलाइन प्रकरणों की पेंडेंसी का रिव्यू किया। इस दौरान कोटा, उदयपुर विकास प्राधिकरण और अलवर, चित्तौड़गढ़ यूआईटी का नंबर आया तो पता चला की यहां 100 से ज्यादा प्रकरण ऐसे थे जो ऑनलाइन दर्ज हुए और उनका डिस्पोजल समय पर नहीं हुआ। इसे देख टी. रविकांत ने नाराजगी जताई और इन संस्थाओं के सचिवों से पेंडेंसी का कारण पूछा। संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर सभी को कारण बताओ नोटिस जारी कर जल्द से जल्द जवाब पेश करने के लिए कहा।
रेवेन्यू जुटाने में फिसड्डी
ऑनलाइन प्रकरणों का रिव्यू करने के बाद टी. रविकांत ने रेवेन्यू का भी रिव्यू किया। उन्होंने सभी संस्थाओं को वित्तीय स्थिति मजबूत करने पर जोर दिया। उन्होंने निर्देश दिए कि ज्यादा से ज्यादा रेवेन्यू अर्जित करें ताकि आने वाले समय में शहरों में डवलपमेंट के वर्क हो सके। हालांकि इस बीच जमीन नीलामी से होने वाली आय के मामले में जब 4 यूआईटी की रिपोर्ट आई तो देखकर दंग रह गई। भरतपुर, बीकानेर, अलवर और सीकर ने पिछले दो महीने में जमीनों की नीलामी या बिक्री से एक भी रूपए का रेवेन्यू अर्जित नहीं किया। इस पर भी इन चारो यूआईटी सचिवाें को कारण बताओ नोटिस जारी किया।
ये भी दिए निर्देश
- सभी संस्थाओें के ऑफिसों की छतों और अन्य भवनों पर सोलर पैनल लगाने के प्रस्ताव भिजवाने के निर्देश दिए।
- सभी यूआईटी, विकास प्राधिकरण और निगमों के प्रमुखों को अधिकारियों और कर्मचारियों के खाली पदों की सूची तैयार कर नगरीय विकास विभाग को भिजवाये जाने के निर्देश दिए।
- सभी शहरी सड़कों का वर्गीकरण करके उसकी 15 दिन में रिपोर्ट भिजवाएं, ताकि ये पता रहे कि शहरों में कौन-सी सड़क किस एजेंसी (यूआईटी, विकास प्राधिकरण, हाउसिंग बोर्ड, नगर पालिका, पीडब्ल्यूडी) के अधीन आ रही है।
- राजस्थान सम्पर्क के दो माह से अधिक पुराने प्रकरणों को अगले 7 दिन में डिस्पोजल करें।
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