बीकानेर, 19 जून। जिला कलक्टर और हॉल्टिकल्टर डेवलेपमेंट सोसायटी की अध्यक्ष नम्रता वृष्णि ने बुधवार को खारा स्थित मैकेनाइज्ड खजूर कृषि फार्म का निरीक्षण किया।
जिला कलक्टर ने अनुबन्धित फर्म द्वारा खजूर फार्म के प्रबंधन पर असंतोष जताया और कहा कि प्रबन्धन सही होने के कारण फलन की स्थिति आशानुरूप नहीं है। उन्होंने विभाग के अधिकारियों को प्रभावी मॉनिटरिंग के निर्देश दिए, जिससे किसानों को मैकेनाइज्ड खजूर फार्म व खजूर उत्पादन तकनीकी का लाभ मिल सके। जिला कलक्टर ने कहा कि जिले में 300 हैक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल में किसानों द्वारा खजूर की खेती की जा रही है। इसके मद्देनजर बीकानेर को खजूर हब के रूप में विकसित करने के प्रयास हों। उन्होंने खजूर के मूल्य संवर्धित उत्पादों की संभावना पर चर्चा की और कहा कि किसान, खजूर के ताजा फल बेचने के साथ खजूर प्रसंस्करण इकाई लगाकर छुहारा व पिण्ड खजूर आदि बनाएं। इससे वे अपने उत्पादों के उचित मूल्य कमा सकते हैं। उन्होंने कहा कि विभाग भी इस ओर काम करे।
संयुक्त निदेशक (उद्यान) डॉ. दया शंकर शर्मा ने बताया कि फाॅर्म लगभग 50 हैक्टेयर क्षेत्रफल में फैला है। यह छह ब्लॉक में विभक्त है। यहां खजूर की खदरावी, बरही, खुनैजी, मेडजुल, खलास, जामली, सगाई, एलपाईन सिटी व धनामी मेल को मिलाकर वर्तमान में फाॅर्म पर 3 हजार 816 स्वस्थ खजूर पौधे हैं। फार्म का प्रबन्धन जून 2020 से रेनबो हाइटेक एग्री सोल्यूशन्स झोटवाड़ा द्वारा किया जा रहा है। फॉर्म पर 20 लाख लीटर से अधिक क्षमता वाली 3 डिग्गियां, 15 किलोवाट के 3 सोलर पम्प संयंत्र स्थापित हैं व खजूर पौधों में ड्रिप द्वारा सिंचाई की जा रही है।
कृषि अधिकारी मुकेश गहलोत ने बताया कि खजूर ईराक मूल का पौधा है व इजिप्ट, साउदी अरेबिया, अलजीरिया, ईरान व इण्डस वैली में इसका उत्पादन प्रमुखता से होता है। वर्ष 2022 में 9.7 मिलियन टन खजूर का विश्वव्यापी उत्पादन हुआ। खजूर की बरही किस्म बीकानेर के परिपेक्ष्य में फ्रेश फ्रूट के रूप में उपयुक्त है। खजूर के फल में 75 प्रतिशत तक कार्बोहाड्रेटस होता है।
उपनिदेशक (उद्यान) राजेश गोदारा ने खजूर सह उत्पाद छुहारा, पिण्ड खजूर आदि निर्माण के बारे में अवगत करवाया।
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