BREAKINGज्ञानवापी सर्वे की 1500 पेज की रिपोर्ट पेश:ASI ने जज को खंडित मूर्तियां, घड़ा, चिह्न जैसे 250 अवशेष भी सौंपे
वाराणसी
ज्ञानवापी का सर्वे 24 जुलाई को हुआ। फिर सर्वे पर रोक लगी और 4 अगस्त से दोबारा शुरू हुआ सर्वे 16 नवंबर तक चला।
ज्ञानवापी मामले में ASI के एडिशनल डायरेक्टर ने वाराणसी के जिला जज को सील बंद रिपोर्ट पेश कर दी है। सूत्रों के मुताबिक, रिपोर्ट 1500 से ज्यादा पेज की है। जिसमें ज्ञानवापी के सर्वे की सच्चाई क्लोज है। ASI को ज्ञानवापी के सर्वे के दौरान खंडित मूर्तियां, घड़ा, चिह्न जैसे 250 अवशेष मिले थे। इन्हें डीएम की निगरानी में लॉकर में जमा कराया गया था। इन सभी अवशेषों को भी कोर्ट में रखा गया है।
सर्वे रिपोर्ट पेश होने से पहले मुस्लिम पक्ष ने कोर्ट में एप्लिकेशन दी। मांग की कि सर्वे की रिपोर्ट सील बंद लिफाफे में पेश हो और बिना हलफनामे के किसी को भी सार्वजनिक करने की इजाजत न दी जाए। रिपोर्ट सबमिट करने के लिए सुरक्षा के बीच 5 सदस्यीय टीम जिला जज कोर्ट पहुंची। सोमवार को ASI ने मेडिकल कारणों से 7 दिन का समय मांगा था, जिसके बाद जिला जज ने ASI को रिपोर्ट सबमिट करने के लिए 18 दिसंबर की तारीख तय की थी। आज वादी-प्रतिवादी और दोनों पक्षों के सभी वकील मौजूद रहे। ASI की टीम 5 बार सर्वे रिपोर्ट पेश करने के लिए एक्सटेंशन ले चुकी थी।
ज्ञानवापी के पिछले हिस्से की दीवार, जिस पर हिंदू धर्म से जुड़े निशान मिलने के दावे हैं।
ज्ञानवापी के वजूखाने को छोड़कर सर्वे का था आदेश
ASI सर्वेक्षण की मांग को लेकर 16 मई को याचिका दायर की गई थी। इसे दायर करने वाली चार महिलाओं की अगुआई वकील विष्णु शंकर जैन ने की थी। हिंदू पक्ष के वकील ने वहां हिंदू मंदिर के प्रतीक चिह्न मिलने का दावा किया था। इसके बाद वाराणसी के जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की कोर्ट ने 21 जुलाई 2023 को ज्ञानवापी परिसर के सील वजूखाने को छोड़कर बाकी सभी हिस्से और तहखानों के सर्वे का आदेश दिया था।
24 जुलाई, फिर 4 अगस्त से जारी सर्वे 16 नवंबर तक चला
24 जुलाई को ASI की टीम ने सर्वे शुरू कर दिया था। हालांकि, मुस्लिम पक्ष यानी अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमिटी सर्वे के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। इसके बाद उसी दिन यानी 24 की शाम को सुप्रीम कोर्ट ने सर्वे पर रोक लगा दी थी।
इसके बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट से ज्ञानवापी सर्वे की मंजूरी मिली। 4 अगस्त से ASI के देशभर से आए विशेषज्ञों ने सर्वे शुरू किया। 4 अगस्त से जारी सर्वे 16 नवंबर को पूरा हो गया। वाराणसी कोर्ट ने शुरुआत में सर्वे के लिए 28 दिन का वक्त दिया था। हालांकि, उसके बाद 3 बार ASI की मांग पर कोर्ट ने सर्वे का वक्त बढ़ाया।
यह तस्वीर ज्ञानवापी सर्वे में शामिल ASI टीम और सुरक्षाकर्मियों की है।
हैदराबाद की GPR रिपोर्ट बनी देरी की वजह
ज्ञानवापी परिसर में सर्वे की सच्चाई बाहर आने के लिए हैदराबाद की ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार यानी GPR रिपोर्ट लेट लतीफी की वजह बनी है। ASI टीम में शामिल तीन विशेषज्ञों ने लगभग 120 पेज की रिपोर्ट दे दी, लेकिन हैदराबाद की टीम ने GPR रिपोर्ट पूरी तरह नहीं पेश की।
इसकी संक्षिप्त रिपोर्ट के बाद GPR प्रिंट के साथ विस्तृत रिपोर्ट बनाने में समय लग रहा है। माना जा रहा है कि लगभग 500 पेज की रिपोर्ट कोर्ट में सबमिट की जाएगी। वहीं, स्कैनिंग, वीडियो ग्राफी, पैमाइश और सैंपल की रिपोर्ट लगभग तैयार है, जिसे फाइनल टच दिया जा रहा है।
काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के बगल लोहे की रॉड की बैरिकेडिंग के अंदर ज्ञानवापी के गुंबद दिखाई दे रहे हैं। इन गुंबद के भी सर्वे हुए हैं।
GPR के साथ अन्य मशीनें भी लगाई
ज्ञानवापी परिसर की सतह की माप के लिए GPR के अलावा डायल टेस्ट इंडिकेटर लगाया गया था। डेप्थ माइक्रोमीटर से भी अलग-अलग हिस्सों की माप की। कॉम्बिनेशन सेंट वर्नियर बैवल प्रोट्रेक्टर से परिसर में हुए निर्माण की बनावट, कलाकृतियों आदि की जांच की। दीवारों की 3D फोटोग्राफी और स्कैनिंग के लिए मशीनें और कैमरे लगाए। इसमें ASI टीम तैयार किए नक्शे के आधार पर इन मापों को रिकॉर्ड में दर्ज किया।
ASI टीम ने इन बिंदुओं पर किया सर्वे
ASI ने चार सेक्टर बनाकर ज्ञानवापी के तीनों गुंबदों और परिसर का सर्वे पूरा किया। ASI ने व्यास तहखाने में पैमाइश की। चार्ट में दीवारों पर मिली कलाकृतियों के पॉइंट्स नोट किए। 100 मीटर एरियल व्यू फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी में पश्चिमी दीवारों के निशान, दीवार पर सफेदी, ईंट में राख और चूने की जुड़ाई समेत मिट्टी के सैंपल जुटाए हैं।
इसमें पत्थर के टुकड़े, दीवार की प्राचीनता, नींव और दीवारों की कलाकृतियां, मिट्टी और उसका रंग, अवशेष की प्राचीनता सहित अन्न के दाने का सैंपल जुटाया है। इसके अलावा, टूटी मिली प्रतिमा का एक टुकड़ा भी ASI ने सैंपल में शामिल किया है। डिजिटल नक्शे में अंदर की वर्तमान स्थिति को भी अंकित किया है।
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