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ट्रेन से सामान चोरी, रेलवे नहीं जिम्मेदार:लगेज की सुरक्षा फिर कैसे होगी, खोया हुआ सामान कहां से मिलेगा

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ट्रेन से सामान चोरी, रेलवे नहीं जिम्मेदार:लगेज की सुरक्षा फिर कैसे होगी, खोया हुआ सामान कहां से मिलेगा

मामला ये है कि चलती ट्रेन से एक यात्री का एक लाख रुपए से भरा बैग चोरी हो गया। यात्री ने उपभोक्ता फोरम यानी कंज्यूमर फोरम में शिकायत दर्ज की। फोरम ने रेलवे को 1 लाख रुपए यात्री को देने का फैसला सुनाया।

सुप्रीम कोर्ट ने फैसला पलट दिया

रेलवे कंज्यूमर फोरम के फैसले को चैलेंज करने सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। जहां जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह ने उपभोक्ता फोरम के फैसले को रद्द कर दिया।

कोर्ट ने फैसला सुनाया कि अगर यात्री अपने सामान की सुरक्षा खुद नहीं कर पाता है तो इसके लिए रेलवे जिम्मेदार नहीं। यात्री के पास से एक लाख रुपए चोरी होना रेलवे की ओर से सेवा में कमी नहीं है।

इस फैसले के आने के बाद ज्यादातर लोग कंफ्यूज हैं कि क्या अब से चलती ट्रेन में सामान चोरी होने या खोने पर यात्री की मदद रेलवे नहीं करेगा। इसकी शिकायत दर्ज करवाने से कोई फायदा नहीं होगा।

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सवाल: अब से सामान चोरी होने पर क्या रेलवे उसकी भरपाई नहीं करेगा? क्या सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला किसी विशेष परिस्थिति के लिए है?
जवाब: 
जी हां, इस फैसले के बाद से अब चलती ट्रेन में यात्री का निजी सामान चोरी होने या खोने पर भारतीय रेलवे इसकी भरपाई नहीं करेगा।

साथ ही यात्री उपभोक्ता फोरम में भी भारतीय रेलवे को जिम्मेदार नहीं ठहरा सकता है। कोर्ट का ये फैसला किसी विशेष परिस्थिति के लिए ही नहीं है बल्कि सबके लिए है।

सामान चोरी होने की कंडीशन में आप पहले के नियम के मुताबिक ही शिकायत जरूर दर्ज करा सकते हैं।

सवाल: क्या भारतीय रेलवे बुकिंग किए हुए सामान के टूटने-फूटने या चोरी होने पर भरपाई नहीं करेगा?
जवाब:
 ट्रेन से सामान चोरी होने पर रेलवे उन्हीं सामानों की भरपाई करता है जो रेलवे के लगेज में फीस देकर उसकी बुकिंग करवाते हैं।

बुक किए गए सामान को किसी तरह का नुकसान होने पर रेलवे यात्री को मुआवजा देता है।

इसमें भी कंडीशन ये है कि अगर आपने बुक किए गए सामान के दाम पहले से नहीं बताएं हैं, तो रेलवे 100 रुपए प्रति किलो तक मुआवजे का भुगतान करता है।

दावा की गई राशि बुकिंग के समय सामान के घोषित मूल्य से ज्यादा नहीं हो सकते हैं।

सवाल: ट्रेन में यात्री का सामान चोरी होने वाले मामले पर कौन एक्शन ले सकता है, RPF या GRP?
जवाब:
 GRP पुलिस के पास ही इंडियन पैनल कोड के मामलों पर एक्शन लेने की पावर है। आप चलती ट्रेन में RPF या टीटी से FIR फॉर्म लेकर शिकायत जरूर दर्ज करा सकते हैं, लेकिन RPF भी आपका केस GRP पुलिस को ही हैंडओवर करेगी।

RPF के पास रेलवे की प्रॉपर्टी चोरी होने पर भी एक्शन लेने की पावर है। जैसे- ट्रेन के पर्दे, तकिए या कम्बल।

सवाल: ट्रेन में सामान चोरी हो जाए, तो FIR के लिए यात्री को अपनी यात्रा रोक कर किसी स्टेशन पर उतरना होता है क्या?
जवाब: 
नहीं। ऐसा जरूरी नहीं है। आप चलती ट्रेन में भी FIR दर्ज करा सकते हैं। अगर सिचुएशन ज्यादा खराब हो और पैसेंजर की गवाही की जरूरत हो, तब आपको किसी स्टेशन पर उतरकर GRP थाने में गवाही देनी पड़ सकती है।

सवाल: क्या हम ऑनलाइन शिकायत दर्ज करवा सकते हैं?
जवाब: 
बिल्कुल, यात्री ऑनलाइन शिकायत दर्ज करवा सकते हैं। रेल मदद ऐप (RailMadad) या वेबसाइट से आप आसानी से शिकायत कर सकते हैं।

सवाल: क्या रेल मदद ऐप पर सिर्फ सामान चोरी होने की शिकायत ही दर्ज कराई जा सकती है या कोई और भी?
जवाब:
 किसी भी तरह की शिकायत आप रेल मदद ऐप या वेबसाइट पर कर सकते हैं। जैसे- बाथरूम साफ नहीं है, किसी तरह की चोरी या फिर छेड़छाड़ की घटना। इसके अलावा आप इसके माध्यम से रेलवे को कोई सुझाव भी दे सकते हैं।

सवाल: ट्रेन में किन सामानों को लेकर ट्रैवल नहीं करना चाहिए?
जवाब:
 ट्रेन में वैसे तो लगभग कोई भी सामान लेकर चलने की परमिशन रेलवे देता है, लेकिन कुछ चीजें हैं जिन्हें बैन किया गया हैं-

ट्रेन में इन सामानों को ले जाने पर मनाही

  • स्टोव, गैस सिलेंडर
  • ज्वलनशील केमिकल
  • पटाखें
  • तेजाब
  • चमड़ा या गीली खाल
  • पैकेजों में लाए जाने वाला तेल-घी-ग्रीस
  • स्कूटर, साइकिल, बाइक
  • ऐसी वस्तुएं जिनके टूटने या टपकने से दूसरे यात्रियों को नुकसान हो

सवाल: रेलवे की तरफ से चलाए जाने वाला ऑपरेशन अमानत क्या है?
जवाब: 
चलती ट्रेन में सामान चोरी होने की स्थिति में यात्रियों की सुविधा के लिए रेलवे ने ऑपरेशन अमानत शुरू किया है। इसके तहत रेलवे सुरक्षा बल यात्रियों को उनके खोए हुए सामान को ढूंढने में मदद करता है। इसमें संबंधित रेलवे जोन की वेबसाइट पर संबंधित डिवीजनों के RPF कर्मचारी खोए हुए सामान का डिटेल और फोटो पोस्ट करते हैं। यात्री वेबसाइट से देखकर स्टेशन से अपना सामान वापस ले सकते हैं।

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