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डॉ.डी.एस. महापात्रा से खास बातचीत:देश में खाद्यान्न की कोई दिक्कत नहीं, प्रति हेक्टेयर पैदावार बढ़ी, विविधीकरण की ओर बढ़ा रहे कदम

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डॉ.डी.एस. महापात्रा से खास बातचीत:देश में खाद्यान्न की कोई दिक्कत नहीं, प्रति हेक्टेयर पैदावार बढ़ी, विविधीकरण की ओर बढ़ा रहे कदम

डाॅ.डीएस महापात्रा - Dainik Bhaskar

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक सोमवार को बीकानेर में केन्द्रीय शुष्क बागवानी अनुसंधान संस्थान में थे। परिषद पर पूरे देश में खाधान्न उपलब्ध कराने के साथ ही कृषि पैदावार बढ़ाने से लेकर बेहतर खेती के प्रबंधन का जिम्मा है। इन्हीं मुद्दों पर महानिदेशक डॉ.डी.एस. महापात्रा से बातचीत की। उन्होंने कहा कि देश के 70 कृषि विश्वविद्यालयों में अनुसंधान का अच्छा काम हो रहा है। हम कम समय में विविध फसलें ले रहे हैं। देश में खाद्यान्न की कोई कमी नहीं है।

खाली पदाें काे भरने से ही वैज्ञानिक शाेध, प्रचार और शिक्षण का काम होगा

Q. 140 कराेड़ जनता को खाधान्न उपलब्ध कराना कितनी बड़ी चुनौती है?
A. भारत में धान आज भी ढाई टन प्रति हेक्टेयर पैदा होता है। ये पांच टन प्रति हेक्टेयर पैदा हो सकता है। जनसंख्या कब तक बढ़ती रहेगी और कब तक हम प्रति हेक्टेयर अन्न उत्पादन बढ़ाकर सप्लाई कर पाएंगे। अभी कुछ नहीं कहा जा सकता। हम विविधीकरण पर भी जा रहे ताकि कम जमीन से ज्यादा पैदावार लें। बागवानी फसलों के साथ इसका उपयोग कर सकते हैं।

Q. जलवायु परिवर्तन कितनी बड़ी चुनाैती है?
A. इंडस्ट्रियल रिवोल्यूशन 1885 से 1910 के बीच जाे हुआ। उसकी तुलना में अभी परिवर्तन ज्यादा हुआ है। इंसान का व्यवहार, उपयाेग के कारण यह चलेगा। तापमान 1.5 से 3 डिग्री तक बढ़ेगा। कार्बनडाई ऑक्साइड 420 सीपीएम से और बढ़ेगा। राजस्थान हरा भरा हो रहा है। ये बदलाव का नतीजा है।

Q. फ्लाेरा और फौना गायब हाे रहे हैं। नहर आने के साथ खेती बढ़ने के कारण इनका संरक्षण मुश्किल हाे रहा।
A. मुझे आभास है इसलिए हमने देशभर के फ्लाेरा-फौना का संरक्षण किया है। 4.50 लाख किस्माें का जीन बैंक बनाया है। कुछ विदेशाें से जीन मंगाए हैं। किसानाें से यही कह रहे कि फाेना गायब हाे रहे ताे बताएं। संरक्षित करेंगे।

Q. प्राेजेक्ट काे पैसा आप देते हैं। नियंत्रण राज्यों का है। कृषि विवि के हालात ठीक नहीं है। क्या कहेंगे?
A. देश में 70 कृषि विवि हैं। वहां काम प्रसार, शिक्षा और अनुसंधान का चल रहा है। काम अच्छा चल रहा है। हम विवि के साथ मिलकर काम करते हैं लेकिन ये सही है कि राज्य सरकाराें काे कृषि विवि की तकलीफाें काे समझना चाहिए। खाली पदाें काे भरा जाएगा तभी वैज्ञानिक शाेध, प्रचार और शिक्षण होगा और हम अगली पीढी काे अनाज उपलब्ध करा पाएंगे।

Q. आईसीएआर ने लंपी की वैक्सीन बनाई लेकिन पशुपालन विभाग अब तक उपलब्ध नहीं करा पाया।
A.वैक्सीन बन गई। उसकी प्रक्रियाएं पूरी नहीं हाेती तब तक वाे काॅमर्शियलाइजेशन नहीं हाे सकता। हमारे वैज्ञानिकाें ने खूब टेस्टिंग की है। समस्या काे ध्यान में रखते हुए सरकार कदम उठा सकती है। अब तक उसकी वैक्सीन नहीं आई।

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