दिल्ली-मुंबई हाईवे पर RTO इंस्पेक्टरों की लूट:ट्रक वालों से रोजाना 60 लाख की वसूली; रिपोर्टर को धमकाया, लालच दिया-आदेश करो, मालामाल हो जाओगे
जयपुर
अजमेर से जयपुर के बीच नेशनल हाईवे-8, देश के सबसे ज्यादा ट्रैफिक वाले नेशनल हाईवे में से एक। इस पर रोज 15 हजार से ज्यादा गाड़ियों का दबाव होता है।
एक दिन में करीब 6 हजार भारी वाहन गुजरते हैं और उन्हें चुकानी पड़ती है एक कीमत। महज 130 किलोमीटर के सफर में 4 RTO इंस्पेक्टर और उनकी टीम इन वाहनों के ड्राइवरों से एंट्री के नाम पर वसूली करते हैं।
लूट के लिए टोल बूथ स्टाफ, ढाबा संचालकों, धर्म कांटा संचालकों व स्थानीय बदमाशों के साथ मिलकर फुलप्रूफ सिस्टम भी बना रखा है।
रिपोर्टर ने कभी ट्रक ड्राइवर तो कभी खलासी और कभी मजदूर बनकर 4 दिन और 5 रातें इस हाईवे पर गुजारीं। इस इंवेस्टिगेशन में जो तस्वीरें और वीडियो हमारे कैमरे में रिकॉर्ड हुए, वो चौंकाने वाले थे।
लुटेरों ने गाड़ियों को कभी दौड़कर तो कभी डंडे दिखाकर रोका। ड्राइवर गिड़गिड़ाते रहे, लेकिन लुटेरों ने रहम नहीं किया।
इस स्टिंग के दौरान लुटेरों का टीम से भी आमना-सामना हुआ। हमें भी डराया-धमकाया, लेकिन हमने वही किया, जो करना था। सच को बेधड़क होकर कवर किया।
पढ़िए पूरी रिपोर्ट…
नेशनल हाईवे-8 को नेशनल हाईवे- 48 के तौर पर भी जाना जाता है।
पहला और दूसरा दिन
हाथ में डंडे लेकर ट्रक डाइवरों से वसूली
पहले दिन हम बाइक लेकर अजमेर से जयपुर की ओर निकले। गेगल पुलिस स्टेशन के सामने से थोड़ा आगे ही पहला टोल गया।
टोल पार कर थोड़ी दूर चले तो देखा कि एक RTO इंस्पेक्टर की गाड़ी खड़ी है। वहीं दो-तीन लोग बीच हाईवे पर खड़े होकर आते-जाते ट्रकों को रोक रहे थे। इनके हाथ में ठंडे भी थे।
हमने बाइक रोकी और देखा कि माजरा क्या है? यहां हाथ में डंडा लिए शख्स ने ट्रक ड्राइवर से 500 रुपए लिए। हम कुछ उसे कुछ पूछते उससे पहले ही उसने ट्रक ड्राइवर को भगा दिया।
हमें देखकर पूछा-कौन हो, यहां क्यों घूम रहे हो? हमने बहाने से बात टाली। तभी RTO इंस्पेक्टर भी गाड़ी से बाहर आ गया और हमें वहां निकलने की हिदायत दी। हमें भी लगा कि शक न हो जाए, इसलिए बाइक पर वहां से रवाना हो गए।
चायवाला बोला-मेरी सेटिंग है, आपकी गाड़ी कोई नहीं रोकेगा
किशनगढ़ से थोड़ा आगे पहुंचकर चाय के लिए एक ढाबे पर रुके। वहां हमारी बात सुन ढाबे पर काम करने वाले एक युवक ने पूछा-RTO का ध्यान क्यों रख रहे हो? कोई गाड़ी निकालनी है क्या?
हमने हामी भरी। बोला- ‘आप अपने नंबर और गाड़ी के नाम लिख कर दे दो। अभी इंस्पेक्टर मैडम आने वाली हैं। मैं उनसे बात करके आपको फोन पर ही बता दूंगा। मैंने कई गाड़ियों की सेटिंग करवाई है। जिस धर्म कांटे पर RTO इंस्पेक्टर बैठती हैं, वहां भी सेटिंग है। वजन में भी हेर-फेर करवा सकता हूं।’ हम उसे नाम और नंबर देकर आगे बढ़ गए।
ड्राइवर बोला-रुपए नहीं दूंगा तो मारपीट करेंगे, गाड़ी सीज कर देंगे
दो ही किमी चले थे कि RTO की एक गाड़ी तेजी से हमारे आगे से निकली। हम थोड़ी दूरी बनाकर उसका पीछा करने लगे।
हमने देखा RTO की गाड़ी ने तेजी से ट्रक को ओवरटेक कर रोका। हम पहुंचते, उससे पहले ही RTO की गाड़ी से उतरे एक शख्स ने ड्राइवर से साइड में कुछ लिया और जेब में डाला। इसके बाद वो वापस अपनी गाड़ी में बैठ गया और गाड़ी तेजी से वापस रॉन्ग साइड ही दौड़ा ली।
उनके जाते ही हमने ट्रक का पीछा किया और एक किलोमीटर आगे उसे रुकवा लिया। पूछा- ये क्या माजरा था? RTO वालों ने क्यों रुकवाया और क्या लिया?
ट्रक ड्राइवर बोला- ‘ये तो रोज का है। एंट्री के 500 रुपए लिए और चल दिए। अगर मैं रुपए नहीं देता तो मारपीट करते और फर्जी चालान बना गाड़ी सीज कर देते। ऐसा इस हाईवे पर चार जगह होता हैं। इनका कुछ नहीं बिगड़ता है।’
ड्राइवर से बातचीत के बाद हम यूटर्न लेकर किशनगढ़ की तरफ रवाना हो गए।
दो दिन और दो रात तक हमने बांदरसिंदरी और पाटन से लेकर बड़गांव व गेगल के बीच RTO व उनके स्टाफ की हर हरकत पर नजर रखी। RTO इंस्पेक्टर, उसकी गाड़ी और स्टाफ बदला, लेकिन अवैध वसूली बदस्तूर जारी रही।
हाईवे पर इसी तरह भारी वाहनों को रोककर एंट्री के नाम पर रुपए वसूले जाते हैं।
तीसरा दिन
ऑफिस खुलने से पहले हाईवे पर वसूली के लिए आ गया स्टाफ
पड़ताल के तीसरे दिन सुबह करीब 6 बजे हम नेशनल हाईवे 8 पर जयपुर की तरफ रवाना हुए। किशनगढ़ एयरपोर्ट के सामने एक RTO की गाड़ी और पास में बिना वर्दी में एक शख्स दिखा।
धीरे-धीरे उसके सामने से निकले तो पता चला कि यहां भी 2 लोग हाईवे पर दौड़ रहे ट्रकों को रुकवाकर वसूली के लिए तैनात हैं। हमने आगे से यूटर्न लिया और सर्विस लेन से होते हुए RTO की गाड़ी के सामने बने एक ढाबे पर बाइक रोक दी।
यहां भी वसूली का खेल चल रहा था। ट्रक रुकवाते, ड्राइवर से कुछ लेकर जेब में डालते और इसके बाद ट्रक को वहां से निकलने देते। इक्का-दुक्का ड्राइवर अपने कागज लेकर भी RTO इंस्पेक्टर के पास पहुंचे।
इसी दौरान RTO के लोगों को हम पर शक हो गया। एक शख्स हमारे पास आया। हमने मोबाइल-कैमरे को शॉल-जैकेट में छिपाया और पान वाले से बात करने लगे।
वो शख्स वापस RTO इंस्पेक्टर के पास लौट गया। 10 मिनट बाद ही RTO इंस्पेक्टर और उसका स्टाफ गाड़ी लेकर वहां से निकल गया।
हमने लोकल लोगों से बात की तो पता चला कि ये किशनगढ़ ऑफिस का स्टाफ है। इनकी फील्ड में ड्यूटी नहीं है, लेकिन फिर भी रोज ऑफिस खुलने से पहले वसूली के लिए हाईवे पर आ जाते हैं।
यहां हमें काफी देर रुककर RTO इंस्पेक्टर के दोबारा आने का इंतजार किया, लेकिन कोई नहीं आया। ऐसे में हम वहां से दुबारा रवाना हो गए।
स्टिंग ऑपरेशन के चौथे और पांचवें दिन टीम ने खलासी और ड्राइवर बनकर वसूली के इस खेल को करीब से देखा।
चौथा और पांचवां दिन
मजदूर, खलासी और ट्रक ड्राइवर बनकर पूरे खेल का खुलासा
हमने तय किया कि मजदूर बनकर हाईवे पर रुकेंगे ताकि और नजदीक से वसूली का ये खेल देख और समझ सकें। 2 दिन तक हमने इस पूरे खेल को करीब से देखा। RTO इंस्पेक्टर और उसके स्टाफ की अवैध वसूली की एक-एक हरकत को हिडन कैमरे में कैद किया।
इसके बाद हाईवे पर वसूली को पूरी तरह एक्सपोज करने के लिए हम ट्रक ड्राइवर बनकर सबूत जुटाने थे।
हम टोल बूथ से पहले एक होटल पर पहुंचे। यहां एक ट्रक ड्राइवर से बात की। पहले तो उसने ना नुकुर की, लेकिन काफी समझाने पर वो हमें खलासी बनाकर ट्रक में बिठाने के लिए तैयार हो गया।
हम ट्रक में बैठकर रवाना हुए। जैसे ही बड़गांव टोल प्लाजा को पार किया, एक शख्स ने गाली देते हुए ट्रक को रोका। ड्राइवर ने ट्रक रोका और गेट खोल उस शख्स को 300 रुपए दिए।
उस शख्स ने ड्राइवर को गालियां बकते हुए कहा- ‘इसे जेब में डाल ले। पहली बार इस हाईवे पर आया है क्या?’ इसके बाद ड्राइवर ने 500 का नोट निकालकर दिया। उस शख्स ने मुस्कुराते हुए वो नोट लिया और वहां से चला गया।
ड्राइवर ने बताया- ‘इस हाईवे पर ये रोज का मामला है। चार जगह 500 से एक हजार रुपए देने पड़ते हैं। बिना एंट्री दिए गाड़ी को आगे नहीं जाने देते है। आपको कैमरे में रिकॉर्डिंग के लिए ज्यादा टाइम मिल पाए, इसलिए मैंने पहले तीन सौ और बाद में पांच सौ रुपए दिए थे।’
ड्राइवर ने 300 रुपए दिए तो वसूली करने वाले ने गालियां निकालीं। इसके बाद 500 रुपए दिए तो ट्रक को आगे निकलने दिया।
टीम को देखकर हुआ शक
अगली दिन सुबह हम कार लेकर रवाना हुए। दूदू से थोड़ा पहले पहुंचे तो देखा कि एक धर्म कांटे के पास RTO की गाड़ी खड़ी थी और कुछ लोग हाईवे पर ट्रकों को रोक रहे थे।
हमने उनके बिल्कुल करीब एक पेट्रोल पम्प पर कार को रोकी। कार रुकते ही वो लोग हमारी तरफ आए और पूछा-कौन हो? साथ ही कार के नंबर देखने लग गए।
हमने उन्हें बताया कि ‘जयपुर जा रहे हैं। गाड़ी गर्म हो गई है, इसलिए यहीं रोकी है। सामने चाय पिएंगे और गाड़ी ठंडी होते ही निकलेंगे।’ उन्होंने हमें कहा- ‘चाय पीकर जल्दी निकल जाओ।’
हम ढाबे पर चाय पीते हुए उनकी हरकतों पर नजर रख रहे थे। हर आती-जाती गाड़ी को वो लोग रोकते और वसूली के बाद ही जाने देते। हमने देखा कि कुछ ड्राइवर धर्म कांटे में भी जा रहे थे।
इंस्पेक्टर के सामने हाथ जोड़े खड़े थे ड्राइवर
सब कुछ अपने कैमरे में रिकॉर्ड करने के बाद हम धर्म कांटे की तरफ रवाना हो गए। एक शख्स ने हमें रोका और पूछा- क्या चाहिए? हमने उसे कहा कि अंदर कौन बैठा है? हमें मिलना है।
ये सुनकर वो हड़बड़ा गया और अंदर धर्म कांटे की तरफ भागा। हम भी उसके पीछे-पीछे अंदर गए। यहां देखा कि कुछ ट्रक ड्राइवर हाथ जोड़े खड़े थे। वहीं उनके सामने कुर्सी पर RTO इंस्पेक्टर बैठे थे।
उन्होंने हमें देखते ही ड्राइवरों को बाहर भेज दिया। हमने उन्हें अपना परिचय दिया और दिनभर में की गई चालान वसूली को लेकर जानकारी मांगी। वो भड़क गए, बोले- ये जानकारी मांगने वाले आप कौन हो ?
हमने उनसे पूछा कि आप धर्म कांटे के अंदर बैठे हैं और बाहर और पेट्रोल पम्प तक भी कोई प्राइवेट गाड़ी खड़ी नहीं होने दी जा रही है, ऐसा क्यों? वो बोले- नहीं ऐसा नहीं है।
हमने उन्हें बताया कि हमें भी यहां पम्प पर खड़ा होने से मना किया गया है। उन्होंने कहा कि मुझे पता नहीं है। इसके बाद वो अपनी कुर्सी से खड़े हुए और गाड़ी में बैठकर हाईवे की तरफ निकल गए।
दूदू से थोड़ी पहले जान्दू धर्मकांटा। यहां अंदर RTO इंस्पेक्टर बैठे थे और उनके सामने ट्रक ड्राइवर हाथ जोड़े खड़े थे।
डंडे लेकर गाड़ियों के पीछे दौड़ रहे थे
इसके बाद एक बार फिर हम बगरू और ठिकरिया टोल बूथ होते हुए दुबारा किशनगढ़ की तरफ रवाना हुए। रास्ते में दो-तीन जगह पर RTO की गाड़ी और उसका स्टाफ ट्रक ड्राइवरों से अवैध वसूली करते हुए मिला। हमने इसे अपने कैमरे में भी कैद किया।
आखिर में हम बड़गांव टोल प्लाजा के पहले खड़ी RTO की गाड़ी के ठीक सामने अपनी कार को दूसरी साइड में रोक लिया। यहां हमने RTO इंस्पेक्टर और उनके स्टाफ की हर हरकत को अपने कैमरे में कैद किया।
वसूली का खेल कई घंटों तक चलता रहा। चार शख्स हाईवे पर डंडे लेकर हर आती-जाती गाड़ी के पीछे दौड़ रहे थे। खुलेआम उनसे एंट्री के नाम पर 500 से एक हजार रुपए वसूल रहे थे।
टीम को पहले धमकाया, फिर लालच दिया
अचानक उनमें से एक शख्स को हम पर शक हो गया। वो सभी हमारी कार के पास पहुंचे और कार के कागज़ मांगे। धमकाते हुए बोले- ‘हमारे फोटो-वीडियो ले रहे हो। अब तुम्हारी गाड़ी सीज होगी।’
हमने समझाने की कोशिश की तो उन्होंने धमकाया और गालियां निकालने लगे। इसके बाद हमें वो RTO इंस्पेक्टर के पास ले गए। हम इंस्पेक्टर मुक्ता सोनी(वर्मा) से कुछ बात करते, उससे पहले ही वो जोर से हम पर चिल्लाईं।
स्थिति की गंभीरता देखते हुए हमने अपनी असलियत बताई और उनसे अवैध वसूली के खेल को लेकर सवाल किए।
हम पत्रकार हैं, ये जानकर एकबारगी इंस्पेक्टर सकपका गईं। हमने कहा कि हाईवे पर चल रही अवैध वसूली को एक्सपोज करने के लिए हमें उनकी परमिशन लेने की जरूरत नहीं है। इस पर उन्होंने कार सीज करने की धमकी दी।
हमने कहा-अगर कार के डॉक्यूमेंट में कोई कमी है तो वो नियमानुसार कार्रवाई कर सकती हैं। इसके बाद उन्होंने हमसे हमारे ID कार्ड मांगे।
आईकार्ड देखने की बात इंस्पेक्टर बोलीं- ‘मैं जयपुर में कई पत्रकारों को जानती हूं। अभी चेक कर लूंगी।’ हमने कैमरा ऑन कर उनकी हर हरकत को रिकॉर्ड करना शुरू कर दिया। ये देख इंस्पेक्टर के तेवर ढीले पड़ गए।
फोटो-वीडियो डिलीट करने की गुहार
इंस्पेक्टर ने कहा- ‘आपसे बात करनी है। कैमरा बंद कीजिए।’ हमने उन्हें दिखाने के लिए एक कैमरा बंद कर दिया, लेकिन हिडन कैमरा चालू था।
जब वो लाेग आश्वस्त हो गए कि कैमरा बंद है तो उनका पूरा स्टाफ माफी मांगते हुए फोटो-वीडियो डिलीट करने की गुहार करने लग गया।
मुक्ता सोनी ने कुछ पत्रकारों के नाम लेते हुए दावा किया कि उनका उन सब से परिचय है।
हमने उन्हें बताया- मैडम, हमारी आंखों के सामने खुले आम लूट हो रही थी और ये सब हमारे कैमरे में रिकॉर्ड है। इस पर वो अपने स्टाफ पर चिल्लाई। उसने हमें बताया कि इसमें से एक तो पहले से ही सस्पेंड था और उसे अभी दो दिन पहले ही तो बहाल किया है।
बोलीं-कभी भी आदेश कीजिए, आपका काम होगा
इसके बाद इंस्पेक्टर मुक्ता सोनी ने ही हमें बताया कि किशनगढ़ एयरपोर्ट के सामने खड़ी होने वाली RTO की गाड़ी के लिए डिपार्टमेंट से कोई आदेश नहीं है। वो तो ऑफिस का स्टाफ है पर रोज सुबह-सुबह वहां खड़ा हो जाता है। शायद उसे DTO ने कोई मौखिक स्वीकृति दे रखी है।
इसके बाद उसने हमें अपना नंबर दिया और हमारा मोबाइल नंबर लिया। अगले ही पल ये कहा कि आप जो चाहें, कभी भी आदेश कर दीजिए, आपका काम होगा।
हमने उन्हें कहा- फिलहाल तो आप हमें कार के डॉक्यूमेंट दे दीजिए, ताकि हम यहां से निकल सकें। वो समझ गईं और तुरंत हमें कार के डॉक्यूमेंट दे दिए। हम वहां से निकल गए।
ट्रक ड्राइवर बोला- सब कागज पूरे पर RTO धमका रही
वहां से निकलकर थोड़ा आगे चले तो एक ट्रक ड्राइवर ने रोक लिया। बोला- ‘चार स्टेट की बॉर्डर क्रॉस करने के बाद यहां पहुंचा है। सारे कागज पूरे हैं। एक किलो भी ओवरलोड माल नहीं। इसके बावजूद मुझसे एंट्री के रुपए मांगे। नहीं दिए तो ट्रक के कागज छीन लिए। अब RTO इंस्पेक्टर मेरा लाइसेंस कैंसिल करने की धमकी दे रही है।’
दिल्ली-मुंबई हाईवे पर जयपुर से अजमेर के बीच 4 पॉइंट हैं, जहां अवैध वसूली का ये खेल चल रहा है।
हाईवे पर अवैध वसूली का गणित
24 घंटे में एवरेज करीब 6000 लोडिंग वाहन इस हाईवे से गुजरते हैं। इनसे 500 से लेकर 1000 रुपए तक एंट्री के नाम पर वसूले जाते हैं।
अगर ये मानें कि आधे ही वाहनों से एंट्री वसूली जाती है तो भी 500 रुपए के हिसाब से 3 हजार वाहनों से करीब 15 लाख रुपए एक पॉइंट पर वसूले जाते हैं।
इसे 4 पॉइंट से गुणा करे तो महज एक दिन में ही वसूली का ये आंकड़ा 60 लाख रुपए तक पहुंचता है। वहीं इस हिसाब से यहां महज एक महीने में करीब 18 करोड़ रुपए की अवैध वसूली हो रही है।
सेटिंग वाली गाड़ियों का अलग हिसाब-किताब
हमें हाईवे पर खड़े इन RTO इंस्पेक्टरों के दलालों ने बताया कि महीने के हिसाब से सेटिंग से चलने वाली गाड़ियों का हिसाब-किताब अलग है।
इनसे भी करोड़ों रुपए हर महीने RTO इंस्पेक्टरों के पास पहुंचते हैं। इसी में से कुछ हिस्सा सेटिंग करवाने वाले दलाल को भी पहुंचता है।
एक बार सेटिंग होने के बाद इन ट्रकों को कोई भी नहीं रोकता है। वो अपनी गाड़ी में फिर जितना चाहे उतना माल भरकर निकल सकता है।
डॉक्यूमेंट और परमिट को लेकर भी कोई सवाल नहीं होते है। यही कारण है कि इस हाईवे पर बिना परमिट की कई प्राइवेट बसें और गाड़ियां सरपट दौड़ रही हैं।
नियमानुसार ये होता है RTO इंस्पेक्टर का काम
RTO इंस्पेक्टर सड़कों पर सभी गाड़ियां चेक कर ये सुनिश्चित करते हैं कि एक भी गाड़ी बिना टैक्स चुकाए नहीं चले। बिना टैक्स चुकाए घूमने वाली गाड़ियों से जुर्माने सहित टैक्स भी वसूलते हैं। इसकी उसे प्रॉपर रसीद भी देते हैं।
इस दौरान ये भी देखा जाता है कि गाड़ी में ओरिजनल डिजाइन में कोई मॉडिफिकेशन न हो। गाड़ी की फिटनेस, बीमा और पीयूसी में भी कोई कमी न हो। अगर ऐसा मिलता है तो इंस्पेक्टर इसका भी जुर्माना वसूलते हैं।
इसके अलावा गाड़ी में उसके लिए निर्धारित किए गए वजन से ज्यादा माल भरा हो तो इसके लिए हैवी पेनल्टी के साथ जुर्माना वसूलने का प्रावधान है। ये भी RTO वसूलते हैं। इस दौरान उनके द्वारा वसूले गए हर एक रुपए का उन्हें ऑनलाइन चालान काटकर ड्राइवर को देना होता है।
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