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दुनिया के लिए अफगानिस्तान का दरवाजा बनेगा भारत का बनाया चाबहार पोर्ट, तालिबान ने यूं ही नहीं खोला खजाना, जानें पूरा मामला

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दुनिया के लिए अफगानिस्तान का दरवाजा बनेगा भारत का बनाया चाबहार पोर्ट, तालिबान ने यूं ही नहीं खोला खजाना, जानें पूरा मामला

तालिबान सरकार का चाबहार में निवेश का फैसला ईरान और अफगानिस्तान के रिश्तों में बेहतरी को भी दिखाता है। तालिबान सरकार आने के बाद से दोनों देशों के रिश्ते बहुत अच्छे नहीं रहे हैं। कई बार दोनों देशों के बीच तनातनी देखने को मिली लेकिन अब संबंधों में सुधार आया है।

हाइलाइट्स

  • तालिबानी सरकार ने किया है चाबहार पोर्ट में निवेश का फैसला
  • ईरान के देशों के पड़ोसियों के लिए बेहद अहम है चाबहार पोर्ट
  • चाबहार पर पहुंच से अफगान सरकार के लिए खुलेंगे नए रास्ते
Chabahar port
चाबहार पोर्ट का अफगानिस्तान के बहुत महत्व है।

काबुल: अफगानिस्तान की तालिबान सरकार ने बीते महीने, फरवरी में एक बड़ा रणनीतिक कदम उठाते हुए में ईरान चाबहार बंदरगाह में 35 मिलियन डॉलर के निवेश की घोषणा की है। तालिबान का ये कदम अफगानिस्तान के लिए दुनिया से व्यापार के नए रास्ते खोल सकता है। इस निवेश की अहमियत होने की बड़ी वजह ये है कि अफगानिस्तान एक ऐसा देश है, जो चारों ओर से जमीन से घिरा है। किसी भी सीमा पर समुद्र ना होने की वजह से अफगानिस्तान समुद्री व्यापार के लिए पड़ोसी देशों पर निर्भर है। ईरान की चाबहार बंदरगाह में अफगानिस्तान के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजार तक पहुंच प्रदान करने वाला एक महत्वपूर्ण प्रवेश द्वार बनने की क्षमता है।

ईरान-अफगानिस्तान सीमा पर मिलक गांव से करीब 970 किलोमीटर दूर स्थित, चाबहार ईरान का एकमात्र बंदरगाह है जिसकी हिंद महासागर तक सीधी पहुंच है। चाबहार-जाहेदान-सरख्स रेलवे के माध्यम से जमीन से भी अफगानिस्तान से जुड़ सकता है। एक स्वतंत्र शोधकर्ता और ईरान विश्लेषक रॉबर्टो ने कहा है कि चाबहार बंदरगाह में तालिबान की रुचि आश्चर्यजनक नहीं है। बंदरगाह का उसके लिए महत्व जगजाहिर है। इसी को देखते हुए कि आर्थिक मामलों के लिए अफगानिस्तान में उप प्रधानमंत्री मुल्ला अब्दुल गनी बरादर ने पिछले साल नवंबर में तेहरान का दौरा किया था।

ईरान अब अफगानिस्तान के साथ आगे बढ़ रहा

ईरान ने काबुल में तालिबान शासन को औपचारिक रूप से मान्यता देने से अभी तक परहेज किया है, लेकिन अफगान दूतावास को उसने तालिबान प्रतिनिधियों को सौंप दिया है। ईरान ने काबुल के साथ घनिष्ठ व्यापार और वाणिज्यिक जुड़ाव और सहयोग बनाए रखा है। ईरान और अफगानिस्तान अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों का सामना करते हुए आर्थिक संबंधों को एक नए स्तर पर ले जाने के लिए उत्सुक दिखते हैं।

फरवरी के आखिर में ईरान पहुंचे अफगान सरकार के एक प्रतिनिधिमंडल ने चाबहार बंदरगाह में निवेश के लिए डील पर हस्ताक्षर किए हैं। दोनों देशों के बीच हुए इस समझौते में अफगान सरकार ने चाबहार पोर्ट में 35 मिलियन डॉलर के निवेश का फैसला लिया है। तालिबान सरकार चाबहार बंदरगाह और चाबहार मुक्त आर्थिक क्षेत्र में वाणिज्यिक, आवासीय और सरकारी परियोजनाओं में 35 मिलियन डॉलर का निवेश कर रही है। तालिबान के निवेश का इस्तेमाल 25 मंजिला ऊंची इमारत फखर निर्माण परियोजना में किया जाएगा।

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