NATIONAL NEWS

नाबार्ड के सहयोग से एक साथ 05 राजस्थानी पारंपरिक उत्पादों का जीआई प्रमाणीकरण प्राप्त हुआ

FacebookWhatsAppTelegramLinkedInXPrintCopy LinkGoogle TranslateGmailThreadsShare

राजस्थान की पांच पारंपरिक कलाओं – जोधपुर बंधेज कला, उदयपुर की कोफ्तागिरी मेटल शिल्प, राजसमंद की नाथद्वारा पिचवाई शिल्प, बीकानेर उस्त कला, बीकानेर की हस्त कढ़ाई कला के लिए भौगोलिक संकेतक (जीआई) टैग को अनुमोदन प्रदान किया गया. नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक डॉ. राजीव सिवाच ने बताया कि विलुप्त हो रही कलाओं को जीवित रखने के लिए नाबार्ड द्वारा इन पांच उत्पादों के जीआई पंजीकरण परियोजना हेतु सहायता प्रदान की गई है।

नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक डॉ. राजीव सिवाच

यह परियोजना स्थानीय समुदायों की आय के स्तर को बढ़ा कर उन्हें सशक्त बनाएगी. उन्होंने कहा कि राज्य के पारंपरिक ज्ञान और सांस्कृतिक अभिव्यक्तियों के संरक्षण के लिए यह परियोजना पूर्ण रूप से सहयोगी रहेगी.
ग्रामीण कृषीतर विकास, उत्पाद की अलग पहचान बनाने, ब्रांड का निर्माण करने, स्थानीय स्तर पर रोजगार पैदा करने, एक क्षेत्रीय ब्रांड का निर्माण करने, पर्यटन और पाककला के व्यवसाय को बढ़ावा देने और जैव विविधता का संरक्षण करने में जीआई (GI) महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे. इससे उत्पाद की गुणवत्ता में सुधार होगा, बाजार तक पहुंच बढ़ेगी, जागरूकता पैदा होगी, और उत्पादकों की क्षमताओं के स्तर में वृद्धि होगी।

DDM NABARAD RAMESH TAMBIA BIKANER


राजस्थान में कृषि और कृषीतर क्षेत्र के विकास को गति प्रदान करने के लिए नाबार्ड कौशल विकास कार्यक्रमों, जीआई, कृषि और कृषीतर उत्पादक संगठनों को बढ़ावा देने, किसानों के एक्सपोजर दौरे, राज्य के जनजातीय लोगों के लिए वाटरशेड और वाडी के विकास कार्यक्रमों के माध्यम से विभिन्न विकासात्मक पहलें करता आ रहा है। वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान नाबार्ड द्वारा राज्य में विभिन्न विकासात्मक सहयोगों हेतु रु 31.04 करोड़ की राशि वितरित की गई है।

FacebookWhatsAppTelegramLinkedInXPrintCopy LinkGoogle TranslateGmailThreadsShare

About the author

THE INTERNAL NEWS

Add Comment

Click here to post a comment

error: Content is protected !!