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नारी शक्ति से ही समाज में होगा सशक्तिकरण और नारी के दम पर ही चलता है सशक्‍त समाज- नाबार्ड

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बीकानेर। महिला दिवस के उपलक्ष में नाबार्ड बीकानेर तथा स्‍वयं सहायता समूहों के तिरंगाा सीएलएफ, रिडमलसर, बीकानेर कार्यालय में महिलाओं को सशक्‍त करने हेतु वार्षिक आम सभा के दौरान अंतराष्‍ट्रीय महिला दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में अतिथि वक्‍ता के रुप में नाबार्ड के सहायक महाप्रबंधक रमेश ताम्बिया द्वारा स्‍वयं सहाता समूहों को नारी शक्ति तथा समाज के सशक्तिकरण के दम पर समाज को सशक्‍त करने हेतु प्रेरित किया. अंतर्राष्‍ट्रीय महिला दिवस के लिए आयोजित कार्यक्रम की शुरुआत सभी महिलाओं द्वारा यह प्रण “कोमल है कमजोर नहीं शक्ति का नाम ही नारी है” लेते हुए की. इस अवसर पर नाबार्ड द्वारा महिलाओं के आमुखीकरण तथा सतत आजीविकोपार्जन के लिए मसला उधोग तथा कशीदाकारी कार्यक्रम के माध्‍यम से चिह्नित महिलाओं को सम्‍मानित किया गया तथा उनको और आगे बढने के लिए भारत सरकार की स्‍वयं सहायता समूहों के लिए ऋण योजना : कौशल विकास को स्‍थानीय स्‍तर पर बढावा देने क लिए 18 हस्‍तनिर्मित कार्यो से जुडे सदस्‍यों के लिए विश्‍वकर्मा योजना, ‍मुद्रा योजना तथा खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय द्वारा ‘PM फॉर्मलाइज़ेशन ऑफ माइक्रो फूड प्रोसेसिंग एंटरप्राइजेज’ से जोडने हेतु नाबार्ड की पहल के बारे में बताते हुए स्‍वंय सहायता समूहों को इस योजना के माध्‍यम से प्राप्‍त होने वाली सीड राशि रु40,000 (प्रारंभिक वित्तपोषण) प्रति स्वयं सहायता समूह के सदस्य को कार्यशील पूंजी और छोटे उपकरणों की खरीद हेतु प्रदान किया जाएगा। भारत सरकार के आत्म निर्भर अभियान के तहत शुरू की गई योजना का मुख्‍य उद्देश्य खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के असंगठित क्षेत्र में मौजूदा व्यक्तिगत सूक्ष्म उद्यमों की प्रतिस्पर्द्धात्मकता को बढ़ाना और क्षेत्र की औपचारिकता को बढ़ावा देना तथा स्वयं सहायता समूहों, किसान उत्पादक संगठनों एवं उत्पादक सहकारी समितियों को सहायता प्रदान करना है। मौजूदा व्यक्तिगत सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां अपनी इकाइयों को अपग्रेड करने की इच्छुक हैं, वे अधिकतम 10 लाख रुपए प्रति यूनिट के साथ पात्र परियोजना लागत के 35% पर क्रेडिट-लिंक्ड कैपिटल सब्सिडी का लाभ प्राप्त सकती हैं। एफपीओ/ एसएचजी/ सहकारी समितियों या राज्य के स्वामित्व वाली एजेंसियों या निजी उद्यम के माध्यम से सामान्य प्रसंस्करण सुविधा, प्रयोगशाला, गोदाम आदि सहित सामान्य बुनियादी ढांचे के विकास के लिये 35% पर क्रेडिट लिंक्ड अनुदान के माध्यम से सहायता प्रदान की जाएगी। इसके अतिरिक्‍त स्‍वयं सहायता समूहों की महिलाओं को और आत्‍मनिर्भर बनाने के लिए बीकानेर में प्रदान किये जा रहे प्रशिक्षण कार्यक्रमों के बारे में विस्‍तार से बताया तथा ज्‍यादा से ज्‍यादा निर्धन महिलाओं को आत्‍मनिर्भर बनाने हेतु पहल पर अपने विचारों से अवगत कराया. कार्यक्रम के दौरान सभी सीएलएफ प्रतिनधियों द्वारा महिलाओं को सशक्‍त बनाने हेतु रोल माडल के रुप में राजश्री, मुख्‍य प्रबंधक दी राजस्‍थान स्‍टेट को-आपरेटिव बैंक, बीकानेर तथा डॉ मुदिता पोपली, प्र‍िसिपल मॉ करणी शिक्षक प्रशिक्षक महाविघालय, बीकानेर द्वारा उदबोधन दिया गया और महिलाओं को समाज में आगे बढने हेतु स्‍वप्रेरित होने के लिए संगठित किया. उन्‍हाने कहा की नाबार्ड के प्रयासों तथा नारी की अपार मेहनत से ही सशक्‍त समाज का निर्माण हो सकता है अत इस दिशा में महिलाओं को और ज्‍यादा आत्‍मनिर्भर बनने की आवश्‍यकता है. सशक्‍त महिलाओं द्वारा ही दूसरी महिलाओं को समाज में आग लाने का कार्य किया जा सकता है. तिरंगा सीएलएफ की सभी सक्रिय महिलाओं द्वारा इस अवसर पर दूसरी महिलाओं को आत्‍मनिर्भर बनाने हेतु गॉवों का चयन किया गया तथा उनको भविष्‍य में सीएलएफ से रोल मॉडल बनने के लिए आत्‍मप्रेरित किया गया. सीएलएफ प्रतिनिधियों द्वारा इस अवसर पर आत्‍मनिर्भर बनी स्‍वयं सहायता समूहों को अग्रिम पंक्ति में रखा गया और दूसरी बहनों के लिए स‍जीव उदाहरण पेश किया.

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