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पाकिस्तान का प्रधानमंत्री बन शहबाज ने पहना कांटों भरा ताज, जानें नवाज के भाई की राह में कितने कांटे

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पाकिस्तान का प्रधानमंत्री बन शहबाज ने पहना कांटों भरा ताज, जानें नवाज के भाई की राह में कितने कांटे

शहबाज शरीफ ने पाकिस्तान के 24वें प्रधानमंत्री की शपथ ली है। उन्हें राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। शहबाज शरीफ के लिए आगे का रास्ता आसान नहीं माना जा रहा है। उनके सामने कई चुनौतियां खड़ी हैं, जिनसे पार पाना काफी मुस्किल होगा। पाकिस्तान आर्थिक तंगी और राजनीतिक उठा पठक से गुजर रहा है।

इस्लामाबाद: नवाज शरीफ के छोटे भाई शहबाज शरीफ ने दूसरी बार प्रधानमंत्री चुने जाने के एक दिन बाद सोमवार को पाकिस्तान के 24वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। शहबाज को को राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने राष्ट्रपति भवन में शपथ दिलाई। समारोह में शहबाज के भाई, तीन बार के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ सहित पीएमएल-एन के कई वरिष्ठ नेता भी शामिल हुए। शपथ ग्रहण समारोह के बाद प्रधानमंत्री को प्रधानमंत्री आवास पर गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। शहबाज भले ही प्रधानमंत्री बन गए हैं, लेकिन उनकी राह आसान नहीं मानी जा रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि शहबाज ने प्रधानमंत्री बनकर कांटों भरा ताज पहना है। अगर इसे अंदरूनी या बाहरी ताकतों के जरिए थोड़ा भी हिलाया जाता है तो उन्हें काफी दर्द का सामना करना पड़ेगा।

Shehbaz Sharif News
शहबाज शरीफ ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री पद की शपथ ली

गठबंधन के सहयोगियों का साधना सबसे बड़ी चुनौती

शहबाज शरीफ के सामने सबसे बड़ी चुनौती गठबंधन के सहयोगियों को साधने की है। इस चुनाव में पाकिस्तान में किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला है। ऐसे में शहबाज शरीफ की पीएमएल-एन ने पीपीपी समेत लगभग सात अलग-अलग पार्टियों के साथ चुनाव बाद गठबंधन किया है। इस गठबंधन को लेकर लंबी खींचतान के बाद बात बनी थी। पीपीपी ने शहबाज को प्रधानमंत्री बनाने की शर्त पर राष्ट्रपति पद मांगा है। ऐसे में प्रधानमंत्री भले ही शहबाज शरीफ होंगे, उसकी डोर पीपीपी के पास होगी।

सेना का लाडला बनकर रहना आसान नहीं

पूरी दुनिया जानती है कि पाकिस्तान में वही प्रधानमंत्री बनता है, जिसे सेना का समर्थन प्राप्त होता है। इस बार यह समर्थन शहबाज शरीफ को मिला है। यह वही शहबाज शरीफ हैं, जिन्हें 1999 में तत्कालीन सेनाध्यक्ष, तानाशाह और राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने देश निकाला दिया था। इतना ही नहीं, 2018 के चुनाव में सेना ने इनके परिवार को जेल में डाल दिया था। बाद में जब इमरान खान से सेना के संबंध बिगड़े तो शहबाज शरीफ ने मौका लपका और खुद को लाडला बना लिया। इस साल के चुनाव में शहबाज की पार्टी पीएमएल-एन को इसी का फायदा भी मिला है।

गर्त में पड़ी पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था

पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था बुरे दौर से गुजर रही है। कंगाली की दहलीज पर खड़े पाकिस्तान को आईएमएफ के बेलआउट पैकेज से बड़ा सहारा मिला है। हालांकि, आशंका जताई जा रही है कि हालात अगर नहीं सुधरे तो पाकिस्तान को फिर वैसे ही दिन देखने पड़ सकते हैं। पाकिस्तान के पास विदेशी मुद्रा भंडार की बेहद कमी है। इस बार सऊदी अरब, यूएई और कतर से भी पाकिस्तान को आपेक्षित सहयोग नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में बिना बाहरी मदद के देश को कंगाली से बाहर निकालना और अर्थव्यवस्था को मजबूत करना बड़ी चुनौती होगी।

आतंकवाद ने तोड़ी पाकिस्तान की कमर

पाकिस्तान में आतंकवाद चरम पर है। देश के कई हिस्सों में लगातार आतंकवादी हमले हो रहे हैं। इन हमलों के निशाने पर पाकिस्तानी सेना और पुलिस के जवान हैं। लगातार आतंकी हमलों का असर अर्थव्यवस्था पर भी पड़ रहा है। सबसे अधिक आतंकी हमले पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा सूबे में हो रहे हैं। इसके अलावा बलूचिस्तान सूबा भी आतंकी हमलों से दहल रहा है।

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