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प्रतिभाशाली RAS भी समय पर नहीं बन पा रहे IAS:अफसरों को प्रमोट करने में सबसे पीछे राजस्थान, तीन-चार साल में होता है एग्जाम

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*प्रतिभाशाली RAS भी समय पर नहीं बन पा रहे IAS:अफसरों को प्रमोट करने में सबसे पीछे राजस्थान, तीन-चार साल में होता है एग्जाम*
राजस्थान में आरएएस अफसर प्रशासनिक तंत्र का सबसे शीर्ष पद होता है। इस पद पर चयनित होने के लिए युवाओं को प्रदेश की सबसे कठिन प्रवेश परीक्षा पास करनी पड़ती है। 10-15 लाख युवाओं में से बमुश्किल 50 से 70 प्रतिभाशाली युवा आरएएस बन पाते हैं। प्रवेश परीक्षा भी हर वर्ष नहीं होती। तीन-चार वर्ष के अंतराल पर होती है। उन्हीं प्रतिभाशाली युवाओं को जब आरएएस बनने के बाद आईएएस के पद पर पदोन्नत होना होता है, तो फिर उन्हें अपने जीवन की ऐसी कठिनतम अग्नि परीक्षा को पास करना पड़ता है। जो देश के किसी भी राज्य के युवाओं को पास नहीं करनी पड़ती।अन्य राज्यों में प्रशासनिक सेवा (पीसीएस) को पास करके जब युवा अफसर बनते हैं, तो वे महज 9 से 14 साल की सेवा के बाद पदोन्नत होकर आईएएस बन जाते हैं। जबकि राजस्थान में ऐसा नहीं है। राजस्थान में प्रशासनिक सेवा के अफसर को आईएएस बनने का मौका करीब 25-27 वर्ष की सेवा के बाद मिलता है।

यह मौका भी सभी अफसरों को नहीं मिल पाता है। आम तौर पर एक युवा 24 से 35 साल की आयु के बीच आरएएस अफसर बनता है। उसके बाद उसे 25-26 साल बाद जब आईएएस बनने का मौका मिलता भी है, तो उसकी उम्र 50 से 60 के बीच होती है। केन्द्र सरकार के नियमानुसार आईएएस में पदोन्नत होते वक्त संबंधित अफसर की आयु 54 वर्ष से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। ऐसे में मौका मिलने पर भी वे आरएएस अफसर तो आईएएस बन ही नहीं पाते जो इस आयु सीमा को पार कर जाते हैं।आरएएस काडर के 95 प्रतिशत अफसर बिना आईएएस बने ही सेवानिवृत्त हो जाते हैं। हाल ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मुख्य कार्मिक विभाग के प्रमुख शासन सचिव हेमंत गेरा को आरएएस से आईएएस काडर में पदोन्नति के संबंध में ज्यादा समय लगने की समस्या को दूर करने के विषय में स्टडी करने को कहा है। संभवत: इस विषय में सरकार जल्द ही कोई उचित निर्णय करेगी। उधर आरएएस एसोसिएशन के अध्यक्ष वरिष्ठ आरएएस अफसर गौरव बजाड़ ने बताया कि अभी इसी महीने मुख्यमंत्री गहलोत को हमने इस संबंध में ज्ञापन दिया है। यह हमारी स्थाई मांग है। उम्मीद है, जल्द ही इसका समाधान निकलेगा।
*हाल ही जो चार अफसर बने हैं आईएएस उनसे समझिए मामले को*
अभी इसी महीने राजस्थान प्रशासनिक सेवा (आरएएस) के चार अफसर मुकुल शर्मा, अरुण कुमार पुरोहित, श्रुति भारद्वाज और पुखराज सेन को आईएएस में पदोन्नत किया गया है। यह सभी अफसर 1995-96 बैच के आरएएस हैं। अब इनको पदोन्नति आईएएस में मिली है 2022 में। इन्हें करीब 27 साल बाद आईएएस बनने का मौका मिला है। इन सभी की आयु लगभग 54-55 वर्ष है। अब यह केवल 5-6 वर्ष के लिए आईएएस रहेंगे। अगर इन्हें अपने प्रशासनिक कॅरियर में 10 से 15 वर्ष के बीच आईएएस बनने का मौका मिलता तो यह बतौर आईएएस लगभग 25-26 की सेवा करते जो अब महज 5-6 वर्ष ही कर पाएंगे।
*अन्य राज्यों में बेहतर हैं पदोन्नत होने के अवसर*
हरियाणा में 9 साल में पदोन्नत होकर राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसर बन जाते हैं आईएएस।
कर्नाटक में 11 साल में पदोन्नत होकर आईएएस अफसर बनते हैं।
तमिलनाड़ू और पश्चिमी बंगाल में आईएएस में पदोन्नति करीब 14 वर्ष में होती है।
गुजरात में आईएएस में प्रमोशन तो 14 वर्ष बाद होते हैं, लेकिन आईएएस के बहुत से काडर-पदों पर गुजरात प्रशासनिक सेवाओं के अफसरों को 14 वर्ष से पहले ही पोस्टिंग दे देते हैं।
महाराष्ट्र में करीब 10 वर्ष की सेवा के बाद महाराष्ट्र प्रशासनिक सेवा के अफसरों को आईएएस में पदोन्नति के लिए पात्र माना जाता है।
केन्द्र शासित प्रदेशों में भी यह प्रकिया 9-10 साल में पूरी हो जाती है।
ओडीशा, झारखंड, आंध्रप्रदेश, तैलंगाना और केरल में भी आईएएस काडर में स्थानीय अफसरों की पदोन्नति 10 से 14 वर्ष के बीच हो जाती है।
*राजस्थान में दो दशक तक तो किसी को नहीं मिली थी आईएएस में पदोन्नति*
राजस्थान में विभिन्न सरकारों की लेट-लतीफी और विभिन्न अफसरों के प्रकरणों के बीच न्यायिक मामले चलने से एक बार तो ऐसा समय भी आया कि लगभग 1995 से 2013 के बीच एक-दो आरएएस अफसर भी आईएएस में पदोन्नत नहीं हो सके। एक के बाद एक उस दौर के सभी अफसर आरएएस से ही रिटायर्ड हो गए। उनके मन में वो टीस सदा बनी रही।
*एक लाख से अधिक अफसरों के काडर वाली राजस्थान की अन्य सेवाओं को ज्यादा लाभ*
राजस्थान में राजस्थान प्रशासनिक सेवा (आरएएस) के अलावा भी अन्य कई प्रशासनिक सेवाएं हैं, जिनमें भर्ती विभिन्न विभागीय परीक्षाओं या आरएएस की अधीनस्थ परीक्षा के जरिए होती है। इन सेवाओं से भी आईएएस में पदोन्नति का विकल्प खुला रहता है। आरएएस की अधीनस्थ सेवा में सबसे प्रमुख है राजस्थान लेखा सेवा। इन सभी सेवाओं की मेरिट आरएएस अफसर से कम अंकों पर बनती है, लेकिन कई बार इन सेवाओं के अफसर अपने सीनियर आरएएस अफसर से भी पहले पदोन्नत हो जाते हैं। उन्हें अपने ही प्रशासनिक बॉस का भी बॉस बनने के अवसर मिल जाते हैं। वो स्थिति किसी भी प्रतिभाशाली आरएएस अफसर के लिए बेहद पीड़ाजनक होती है।लेखा के अलावा भी जेल, शिक्षा, चिकित्सा, पशुपालन, बीमा, वाणिज्यिक कर, कृषि, जनसम्पर्क, महिला व बाल विकास, आयुर्वेद आदि से भी आईएएस बनने का विकल्प कानूनन तो खुला रहता है, लेकिन उनमें भी एक प्रतिशत से कम अफसरों को ही यह अवसर मिलता है, जबकि इन सेवाओं में अधिकारियों की संख्या लगभग एक लाख से ज्यादा हैं। पदोन्नत आईएएस काडर में सुधीर शर्मा, बन्नालाल, डॉ. एस. एस. बिस्सा, डॉ. राजेश शर्मा, वीणा प्रधान, राजेश यादव, सुरेश चंद्र दिनकर आदि इन्हीं सेवाओं से पदोन्नत होकर आईएएस बने हैं।
*समय पर हों आईएएस में पदोन्नति तो क्या होंगे फायदे*
आरएएस अफसरों की युवा आयु और अनुभव का अधिक लाभ बतौर आईएएस अफसर राज्य को मिल सकेगा।
आरएएस अफसरों में आईएएस न बन पाने की कुंठा, टीस और नकारात्मक भाव दूर होंगे।
राजस्थान देश में क्षेत्रफल के हिसाब से सबसे बड़ा राज्य है। यहां प्रशासनिक कामकाज के लिए ज्यादा आईएएस अफसरों की जरूरत है। राजस्थान में आईएएस का काडर 313 अफसरों का है, जो 365 अफसरों का होना चाहिए। इसके एवज में काम केवल 251 ही कर रहे हैं, जिनमें से भी 25 अफसर राज्य से बाहर प्रतिनियुक्ति पर हैं। ऐसे में आरएएस अफसरों को 10 से 15 वर्ष की सेवा पर पदोन्नत कर आईएएस के पदों की कमी हमेशा के लिए दूर की जा सकती है।
आरएएस अफसरों में 99.99 प्रतिशत अफसर मूलत: राजस्थान के ही होते हैं। उन्हें यहां के राजनीतिक-प्रशासनिक माहौल की उन आईएएस अफसरों से ज्यादा होती हैं, जो दूसरे राज्यों के मूल निवासी होते हैं। ऐसे में उनकी विशेषज्ञता का ज्यादा लाभ राजस्थान को मिल सकता है, अगर उन्हें समय पर और अधिक संख्या में आईएएस में पदोन्नति मिले।
आईएएस-आईपीएस जैसी सेवाओं में एम्स-आईआईटी-आईआईएम से निकले डॉक्टर, एमबीए और इंजीनियर भी खूब शामिल होते हैं, लेकिन आरएएस में ऐसा लगभग नहीं हैं। अगर आरएएस सेवा में प्रमोशन की मुश्किलों को ठीक कर लिया जाए तो इस सेवा में भी आईआईटी, आईआईएम, एम्स जैसे संस्थानों से पढ़ कर आने वाले युवाओं को आकर्षित किया जा सकता है।

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