कहानी * डॉ नीरू जैन
प्रत्येक व्यक्ति का सम्मान करें…
यह इक सहृदय स्कूली शिक्षक की कहानी है, जिसे उसके सभी छात्र बेहद प्यार करते थे।
जब उनसे उनके जीवन के निर्णायक मोड़ के बारे में पूछा गया तो उन्होंने अपने बचपन की एक घटना के बारे में बताया। एक दिन वह और उसके पापा शॉपिंग से घर लौटे,
एक कड़ाके की ठंड का दिन था, एक माँ और उसकी बेटी, जो सड़कों पर भीख मांग रहे थे, वह कभी रस्सी पे चलती, कभी नृत्य का बहुत सुंदर प्रदर्शन कर रही थी, माँ ने एक वाद्य यंत्र बजाया और गाना भी गाया । ये प्रदर्शन उनके घर के सामने हो रहा था! बहुत सर्दी के कारण उसका गरमा गर्म समोसे एवम् जलेबी खाने का मन था। वह दुकान से का कुछ समोसे कचोरी एवम् जलेबी लेकर आया ही था। वह बरामदे में अपने पिता के साथ बैठा , उन दोनो का प्रदर्शन देखते देखते ही वह उन्हें खा रहा था। कुछ देर बाद भीख लेने उसके घर आई तो वह लड़का उस मां बेटी को आधी खाई हुई जलेबी एवम् समोसे कचोरी के बचेकूचे टुकड़े देने लगा।
यह देख उसके पिता गुस्से में उसके पास दौड़े और उसे डांटा। पिता ने मां बेटी की ओर रुख किया और अपने बेटे की उदारता में कमी के लिए दिल से माफी मांगी। उन्होंने जोर देकर अपने बेटे को माफी मांगने को भी कहा कि पिता अपने बेटे को कहा कि सभी लोग समान हैं और सम्मान के योग्य हैं। लड़के को बात गहराई से छू गई, और वह माफी मांगता है। मां-बेटी को फ्रेश समोसा, कचोरी, जलेबी, अनाज एवम् कुछ गरम कपड़े भी दोनो को दिए।
वह लड़का बड़ा होकर गवर्नमेंट स्कूल टीचर बना और इस पाठ को कभी नहीं भूला और अपनी उदारता के लिए जाना जाने लगा। दूसरों के भले के लिए जीवन लगा दिया ।
वह हमेशा सर्दी के दिनो मे स्कूल के सभी छात्रों को गर्म पानी एवम् सूप तैयार करवाता था! उनके बैठने की अच्छी व्यस्था करवाता।
वह एक ऐसे स्कूल में पढ़ा रहे थे जहाँ गरीब परिवारों से आने वाले छात्र थे। अपने परिवार के सदस्यों की देखभाल अच्छे से करता साथ ही, वह घर छोड़ने से पहले उन बच्चों के लिए लंच पैक कर ले जाते थे जो उनके बिना लंच लेकर स्कूल आते थे। उन्हें प्यार से देते ताकी उन्हे किसी शर्मिंदगी का अहसास न हो, सभी बच्चो का जन्म दिन बड़े उत्साह से मनाते और बच्चें कोई भी सहयता उनसे प्राप्त कर सकते थे।
पिता अपने बेटे को कहा कि सभी लोग समान हैं और सम्मान के योग्य हैं। इस बात ने इनको बहुत बेहतर और प्रसिद्ध इंसान बनाया। पूरा कस्बा उनका बहुत सम्मान करता था।
और उसे प्रधान मंत्री जी से नेक कार्यों का पुरुस्कार मिलता है
करुणा के लिए मानव को महान बनती है बहुत महान। साथ ही दया एवम् करुणा दूसरे व्यक्ति को मजबूत बनने में भी मदद करती है!
महत्वपूर्ण बात केवल दूसरों के साथ सहानुभूति या दया करना नहीं है, बल्कि यह समझना है कि वे सहानुभूति के माध्यम से क्या कर रहे हैं। कभी-कभी किसी को समझने वाला होना दूसरों को आगे बढ़ने की ताकत दे सकता है। डॉ नीरू जैन
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