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फर्जी अकाउंट किराया पर देते थे ई-मित्र चलाने वाले चाचा-भतीजा:गेमिंग कंपनियों में डेढ़ लाख रुपए में डील, एक फोटो और नाम से चार फेक आधार-पैन कार्ड बनाते

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फर्जी अकाउंट किराया पर देते थे ई-मित्र चलाने वाले चाचा-भतीजा:गेमिंग कंपनियों में डेढ़ लाख रुपए में डील, एक फोटो और नाम से चार फेक आधार-पैन कार्ड बनाते

जोधपुर

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ई-मित्र चलाने वाले चाचा-भतीजा ने कई लोगों के एक ही फोटो और नाम से चार-चार फर्जी आईडी बना रखी थी। ये लोग साइबर फ्रॉड और ऑनलाइन गेमिंग करने वाले अपराधियों को लाखों रुपए में इन फर्जी आईडी पर खुले बैंक अकाउंट को किराया पर देते थे।

मामला जोधपुर के मंडोर थाना क्षेत्र का है। यहां के किशोर बाग में ई-मित्र चलाने वाला करणपाल अपने भतीजे जितेंद्र सिंह के साथ मिलकर इस पूरे नेटवर्क को चला रहे था। सामने आया कि इसमें इनमें जितेंद्र का चाचा मास्टरमाइंड करण अभी फरार चल रहा है। पुलिस ने मौके से जितेंद्र के दोस्त नरपत को गिरफ्तार किया है, जिसकी आईडी से भी फर्जी डॉक्युमेंट बनने वाले थे।

जोधपुर पुलिस ने जब ई-मित्र पर सोमवार को कार्रवाई की तो यहां से बड़ी संख्या में आधार कार्ड, एटीएम के साथ आधार कार्ड, चैक बुक और बैंक की पास बुक मिली है।

पुलिस को ई-मित्र से बड़ी संख्या में आधार और पैन कार्ड के साथ बैंक संबंधित डॉक्युमेंट भी मिले है।

पुलिस को ई-मित्र से बड़ी संख्या में आधार और पैन कार्ड के साथ बैंक संबंधित डॉक्युमेंट भी मिले है।

डेढ़ लाख रुपए में करते थे डील, करणपाल ने जितेंद्र को दिया था आइडिया

पुलिस पूछताछ में सामने आया कि दोनों मिलकर तीन साल से किशोर बाग में ई-मित्र संचालित कर रहे थे। तीन साल पहले करणपाल ने ​ही जितेंद्र को ज्यादा रुपए कमाने के लिए ये आइडिया दिया। ऐसे दोनों ने तय किया कि ई-मित्र की आड़ में ये पूरे स्कैम को अंजाम देंगे।

इस दौरान जो ग्राहक ई-मित्र पर आते उनमें से कुछ लोगों की डिटेल रख लेते और उनके नाम से अलग-अलग आईडी बना इनके बैंक खाते खोल देते थे। इसके बाद ये बैंक अकाउंड फ्रॉड करने वाली गैंग को बेच देते थे।

सामने आया कि करणपाल और जितेंद्र ने मिलकर ठगों से डेढ़ लाख में डील कर रखी थी। यानी हर बैंक अकाउंट को डेढ़ लाख रुपए में किराया पर देते थे।

एक आधार-पैन कार्ड से चार-चार फर्जी खाते, करणपाल के नाम भी 4 अकाउंट

पुलिस पूछताछ में चाचा-भतीजा ने बताया कि ई-मित्र पर आने वाले ग्राहकों को वे बैंक अकाउंट खोलने का झांसा देते थे। इसके बदले में उनके आधार-पैन कार्ड और फोटो रख लेते थे।

इन्हीं डॉक्युमेंट के आधार पर वे एक ही आदमी के आधार-पैन कार्ड और फोटो से चार-चार फर्जी अकाउंट खोल लेते थे और इसकी बैंक पास बुक से लेकर इंटरनेट बैं​किंग अपने पास रखे फर्जी​ सिम के नंबर पर एक्टिवेट करवा देते थे।

बैंक खातों के लिए इन्होंने अलग से फर्जी सिम भी खरीद रखी थी। जांच में सामने आया कि करणपाल ने खुद के चार अलग-अलग नाम से भी खाते खाेल इन्हें किराया पर दे रखा था। इससे संबंधित पुलिस को मौके से डॉक्युमेंट भी मिले हैं। इन दोनों ने मिलकर अधिकांश अकाउंट एसबीआई और आईडीबीआई बैंक में खुलवाए हैं।

मंडोर थाना अधिकारी विक्रम सिंह ने बताया कि पुलिस को मौके से चार खातों की डिटेल मिली है जो किराया पर देने थे। पुलिस का कहना है कि मास्टरमाइंड करणपाल के पकड़े जाने के बाद सामने आ पाएगा कि इन लोगों ने कितने अकाउंट किराया पर दे रखे हैं।

पुलिस ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। इनका मुख्य सरगना करणपाल अब भी फरार चल रहा है।

पुलिस ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। इनका मुख्य सरगना करणपाल अब भी फरार चल रहा है।

पुलिस को मौके से मिले 60 आधार कार्ड और डेबिट कार्ड, ठगी का रुपए आता था इन खातों में

डीसीपी अमृता दुहान ने बताया कि सोमवार को जब टीम कार्रवाई के लिए गए तो मौके दोनों के पास से 60 आधार कार्ड, 20 डेबिट कार्ड, 15 पैन कार्ड 05 खाता बुक और 8 चैक बुक व 2 सरकारी मोहर मिली हैं, जिन्हें जब्त कर लिया गया है।

लोगों को लालच देकर उनसे खाते खुलवाकर खातों का सभी एक्सेस जैसे इंटरनेट बैंकिंग, यूजर आईडी पासवर्ड, डेबिट कार्ड व पासबुक आदि लेकर साईबर फ्रॉड व ऑनलाइन गेमिंग करने वाले अपराधियों को उपलब्ध कराते थे।

करणपाल ई-मित्र पर ही अलग-अलग सॉफ्टवेयर के ​जरिए एडिटिंग कर फर्जी आधार और पैन कार्ड बनाता था। इसके अलावा डॉक्युमेंट को वेरिफाई करने के लिए सरकारी मोहरें भी बना रखी थी।

प्रारंभिक जानकारी में सामने आया कि साइबर फ्रॉड करने वालों के ठगी का रुपए इन अकाउंट में आते थे।

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