फर्जी जन्म प्रमाण पत्र के मामले में 3 सस्पेंड:सरकारी छुट्टी के दिन जारी किया प्रमाण पत्र, लेकिन निगम में रिकॉर्ड नहीं; 3 निलंबित, 7 संविदा कर्मचारियों को हटाया
जयपुर
जयपुर नगर निगम ग्रेटर के सांगानेर जोन एरिया में पिछले साल फर्जी तरीके से जारी हुए जन्म प्रमाण पत्र के मामले में डिप्टी रजिस्ट्रार समेत तीन को निलंबित किया है। वहीं, संविदा पर काम करने वाले 7 कर्मचारियों को नौकरी से हटाया गया है। ये मामला एक पॉस्को एक्ट के तहत कोर्ट में चल रहे केस में शामिल किए दस्तावेजों की जांच में खुला।
नगर निगम कमिश्नर रूकमणी रियाड़ ने आज आदेश जारी करते हुए कनिष्ठ सहायक नीलम दूबे जिसे डिप्टी रजिस्ट्रार का चार्ज दे रखा था उसे निलंबित किया है। इसके साथ ही हैल्पर नरेन्द्र सिंह और बेलदार श्याम बाबू छीपा को भी निलंबित किया है।
इनके अलावा नगर निगम में ऑनलाइन कार्यों के लिए कम्प्यूटर ऑपरेटरों की सर्विस दे रही एजेंसी ओसवाल डाटा कंपनी के सुपरवाइजर राजेन्द्र कुमार, आशीष शर्मा, गजानंद यादव, नंदकिशोर, गौरव सिंह, महेश शर्मा, गिर्राज यादव को नौकरी से हटाया है। ये सभी यहां कॉन्ट्रेक्ट आधार पर संविदा पर कार्यरत थे। प्रमाण पत्र जारी करने के मामले में इन सभी की भूमिका को संदिग्ध मानते हुए इन पर कार्यवाही की।
सरकारी छुट्टी के दिन जारी हुआ प्रमाण पत्र
इस मामले की जांच के लिए नगर निगम ने एक कमेटी बनाई थी। उपविधि परामर्शी, उप रजिस्ट्रार जन्म-मृत्यु और पुलिस निरीक्षक सतर्कता को शामिल किया गया। कमेटी ने जांच में पाया कि जन्म प्रमाण पत्र 9 अगस्त 2023 को जारी किया गया, जबकि उस दिन आदिवासी दिवस का राजकीय अवकाश था।
प्रमाण पत्र पर डिजिटल सिग्नेचर भी थे, जो संबंधित डिप्टी रजिस्ट्रार के मोबाइल पर ओटीपी नंबर आने और उसे सब्मिट करने के बाद ही जनरेट होते है। पूछताछ में सभी आरोपितों ने प्रमाण पत्र जारी करने से मनाही की है। वहीं नगर निगम में प्रमाण पत्र जारी करने के मामले में कोई दस्तावेज (आवेदन पत्र, आईडी कार्ड, जन्म संबंधित रिकॉर्ड आदि) भी उपलब्ध नहीं है।
ऐसे पकड़ में आया मामला सामने
नगर निगम सूत्रों के मुताबिक कुछ साल पहले मालपुरा थाने में एक पॉस्को एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज हुआ था। इसमें आरोपित व्यक्ति ने पीड़ित को नाबालिग से बालिग साबित करने के लिए नगर निगम से फर्जी तरीके से ये प्रमाण पत्र बनवाकर कोर्ट में पेश किया। पीड़ित ने ये प्रमाण पत्र आरटीआई के जरिए नगर निगम के सांगानेर जोन से निकलवाया और उसे कोर्ट में पेश किया। कोर्ट ने जब प्रमाण पत्र की जांच के लिए निगम भिजवाया तो पूरे मामले का खुलासा हुआ।
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