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बाल साहित्य समागम में विद्धजन ने कही दिल की बात

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जिम्मेदार पर्यावरणविद् बनाने के लिए पर्यावरण की दिशा में लर्निंग बाय डूइंग मैथड से कार्य करने की आवश्यकता – डॉ. नीलम जैन


बीकानेर। अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी द्वारा अपने गौरवशाली प्रकाशन राष्ट्रीय बाल मासिक ‘बच्चों का देश’ की रजत जयंती के अवसर पर तीन दिवसीय बाल साहित्य समागम का आयोजन राजसमंद में हाल ही में किया गया। बाल साहित्य समागम कार्यक्रम के संयोजक, बच्चों के देश के संपादक, अणुव्रत के निर्वतमान अध्यक्ष संचय जैन ने बताया कि कार्यक्रम में देश भर से आए बाल साहित्यकार, कवि और बुद्धीजीवी लोगों ने आदर्श व्यक्तित्व निर्माण में बाल साहित्य की भूमिका सहित अनेक विषय पर व्याख्यान दिए। अणुविभा के पर्यावरण जागरुकता अभियान की राष्ट्रीय संयोजक बीकानेर की शिक्षाविद्, डॉ. नीलम जैन ने भी उद्घाटन सत्र में भाग लिया और ‘अणुविभा की बाल केन्द्रीत प्रवृतियां’ विषय पर ‘पर्यावरण जागरुकता अभियान में भविष्य के कर्णधारों का योगदान’ विषय पर अपने प्रभावोत्पादक वक्तव्य में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि पर्यावरण से संबंधित अणुव्रत अनुशास्ता आचार्य श्री तुलसी अणुव्रत आंदोलनकर्ता थे। दिव्य दृष्टा के रूप में उनको पता था कि पर्यावरण की स्थिति भविष्य में क्या आने वाली है? पर्यावरण संरक्षण के प्रति कितना ध्यान देना होगा। उन्होंने अणुव्रत अचार संहिता का एक ग्याहरवां नियम प्रतिपादित किया। उन्होंने लोगों तक यह संकल्प पहुंचाया कि ‘ मैं पर्यावरण के प्रति जागरुक रहुंगा, मैं हरे-भरे वृक्ष नहीं काटूगांं। मैं पानी और बिजली का अपव्यय नहीं करुंगा। उनके इसी बेसिक को ध्यान में रखते हुए हमारे अणुव्रतशास्ता आचार्य श्री महाश्रमण जी के सानिध्य में अणुविभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अविनाश नाहर के कुशल नेतृत्व में सामाजिक सरोकारों से पूर्ण अणुविभा पर्यावरण जागरुकता को लेकर गतिमान है। जिसके अंतर्गत अनेक सुंदर गतिविधियां आयोजित होती है। जिनमें पर्यावरण जागरुकता अभियान को लेकर तीन विशेष उपक्रम ईको फ्रेंडली फेस्टिवल, विश्व पर्यावरण दिवस और अणुव्रत वाटिका का निर्माण शामिल है। डॉ. जैन ने बताया कि अणुविभा ने मात्र दस माह में 26 अणुव्रत वाटिकाओं का निर्माण सरकारी, गैर सरकारी विद्यालयों और गर्वमेंट ऑर्गेनाइजेशन,ग्राम पंचायत , सोसायटी, सरकारी मेडिकल कालेज में किया है। साथ ही अणुव्रत वाटिका का उद्देश्य बताते हुए कहा कि इससे बच्चों के अंदर हरित कुशल नेतृत्व का निर्माण होता है। रचनात्मक, सृजनात्मक और भावनात्मक तरीके से उनके मन में प्रकृति के प्रति प्रेम की भावना जागृत हो सके। हम इन्हीं सारे कार्यों को देखते हुए एक अच्छा सुन्दर संदेश देते हैं। डॉ. नीलम जैन ने कहा कि हमें ईको फ्रेंडली जीवन शैली जीने के सपनों को साकार करने के लिए हमें हरित स्कील के निर्माणों की ओर ध्यान देना होगा। क्योंकि यह अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी युनाइटेड नेशन ऑर्गेनाइजेशन से ऐफिलेटेड है और इस साल उनकी स्पेशल थीम भी यही है कि ग्रीन स्कील से सुसज्जित युवा एक संस्टेनेबल दुनिया का निर्माण कर सकें। यूनेस्को की एक रिर्पोट के अनुसार हरित परिवर्तन के परिणामस्वरूप वर्ष 2030 तक 8.4 मिलियन हरित नोकरियों का सृजन होगा।हमें विशेषतौर से बच्चों को पर्यावरण से प्रारंभिक शिक्षा से जोडऩा चाहिए। इस अणुव्रत वाटिका के माध्यम से जोड़ा जाए तो पर्यावरण की दिशा में लर्निंग बाय डूइंग मैथड से कार्य करें तो हम जिम्मेदार पर्यावरणविद् नागरिक का निर्माण युवा पीढ़ी के अंदर कर सकते हैं। करीब डेढ़ घंटे तक चले इस सत्र में विषय प्रवेश अणुविभा के अध्यक्ष अविनाश नाहर ने दिया। सत्र में अणुविभा के ट्रस्टी तेजकरण सुराणा, अणुविभा के उपाध्यक्ष डॉ. विमल कावडिय़ा एवं डॉ. राकेश तैलंग, डॉ. सीमा कावडिय़ा,अभिषेक कोठारी, अणुव्रत पत्रिका के सह-संपादक मोहन मंगलम आदि ने अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी में चल रही बाल केन्द्रीत गतिविधियों का उल्लेख किया। कार्यक्रम संयोजन बच्चों के देश के सह संपादक प्रकाश तातेड़ का रहा, आभार ज्ञापन बच्चों का देश के संपादक संचय जैन ने किया।

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