बीकानेर। जांगल प्रदेश चंदा महोत्सव समिति एवं द पुष्करणाज फाउंडेशन द्वारा बीकानेर विधायक कार्यालय (ईस्ट) में सुश्री सिद्धि कुमारी बाईसा ,बीकानेर विधायक (ईस्ट)ने चंदा (पतंग) का अवलोकन किया गया साथ ही गंगा सिंह जी, सार्दुल सिंह जी, करणी सिंह जी, नरेंद्र सिंह जी,दाता श्री राजमाता सुशीला कुमारी जी ऑफ बीकानेर का चलचित्र चंदा (पतंग ) बनाकर सप्रेम भेंट किया गया। साथ ही राजस्थान की आन बान शान का प्रतीक साफा पाग पगड़ी के छोटे आकार की पगड़ी सुश्री सिद्धि कुमारी बाईसा के हाथों की अंगुली पर पहनाकर कर अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय कलाकार कृष्ण चंद्र पुरोहित ने साफा और पगड़ियों का परिचय दिया और उनका सम्मान किया ।
इस अवसर पर राजघराने की पंडित गंगाधर जी व्यास, मोहित पुरोहित, आदित्य पुरोहित, मदन सिंह जी, महेश पुरोहित, डॉ राकेश किराडू कला विशेषज्ञ, नंदकिशोर रंगा, नीरज श्रीमाली, निखिल किराडू , मरुधर बोरा, राकेश बिस्सा, राममूर्ति व्यास, ऋषि कुमार व्यास ओम जी स्वामी,रामेश्वर स्वामी, रोहित सुथार आदि उपस्थित थे।
इस अवसर पर विधायक सुश्री सिद्धि बाईसा ने बताया कि बीकानेर स्थापना दिवस पर चंदा उड़ाए जाते हैं , जिसकी शुरुआत 538 वर्ष पहले बीकानेर के संस्थापक महाराजा राव बीकाजी ने की थी । यह एक लोक परंपरा और सौहार्द का प्रतीक है, यह सूर्य नूमा आकृति की पतंग सूर्यवंशी राठौड़ वंश के राजघराने की यह शोभा है, चंदे पर बाहर निकली हुई तूलिकाएं देखकर बताया कि यह एक सूर्य की किरणे जैसी निकलती हुई दिखाई पड़ती है इस पर विभिन्न प्रकार के संदेश जो की जीवन को चरितार्थ करती है जैसा की प्रशासन द्वारा गाइडलाइन मे चाइनीज मांजे का बहिष्कार, जल ही जीवन है, पशु पक्षियों के लिए परिंदे की जल व्यवस्था एवं दाने की व्यवस्था करना करना इत्यादि संदेश देखकर प्रभावित हुए, इसी क्रम में उन्होंने राजस्थान की आन बान शान पगड़ी की महत्व बताते हुए बताया कि पगड़ी राजस्थान का मुकुट है पगड़ी पहले लोग घर से पहन कर निकलते थे जिससे पगड़ी पहनने से व्यक्ति और समाज की पहचान होती थी।
विधायक सिद्धि कुमारी बाईसा ने कृष्ण चंद्र पुरोहित के पगड़ी और चंदे के इस कार्य को देखकर प्रशंसा करते हुए कहा कि पुरोहित ने विभिन्न आयामों में महारत हासिल कर रखी है मैं उनके उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं देती हूं जिन्होंने बीकानेर का नाम राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई है। और आगे भी बीकानेर का नाम रोशन करते रहेंगे।
इस अवसर पर गंगाधर व्यास ने बताया कि चंदा बनाने में 15 दिवस लगते हैं और चंदा बनने के बाद जूनागढ़ में भगवान गणेश जी और मां करणी माता का आशीर्वाद लेकर चंदे का पूजन होता है उसके बाद बीकानेर सती माता गौरा दादी का आहान करते हैं कि गौरा दादी पौन दे,,,,, टाबरियों रो चंदा उड़े। इस तरह से कई प्रकार के कठोप कथन करने के बाद जूनागढ़ परिसर में चंदा उड़ाया जाता है यह परंपरा 1545 ई से शुरुआत हुई और आज तक इस परंपरा का निर्वाह किया जा रहा है। उस समय राव बीकाजी ने चंदा उड़ाने की शुरुआत की थी और आज भी यह परंपरा जीवित है।आज भी चंदा बनाने की इस परंपरा को बीकानेर के कलाकार कृष्ण चंद्र पुरोहित ने परंपरा जीवित रखते हुए संजोए रखा है। मोहित पुरोहित ने सभी का साधुवाद और आभार प्रकट किया।
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