महंगाई राहत शिविरों पर दो करोड़ खर्च:एमआरसी कैंपों से निगम को सवा करोड़ का घाटा, प्रशासन से सिर्फ 60 लाख ही मिले
पूर्ववर्ती सरकार में बीकानेर में लगाए गए महंगाई राहत कैंपों में नगर निगम ने दाे कराेड़ रुपए से ज्यादा खर्च कर दिए। ये खर्चा सिर्फ 14 स्थायी और कुछ अस्थायी कैंपाें पर आया है। जबकि इस मद के लिए सिर्फ 65 लाख रुपए ही सुरक्षित रखे गए थे। इस दाे कराेड़ रुपए से लगाए गए खर्चे में जिले के 25 लाख 53 हजार 54 लाेागाें ने रजिस्ट्रेशन कराया है।
विधानसभा चुनाव से पहले 100 यूनिट तक निशुल्क बिजली, 500 रुपए में गैस सिलेंडर, चिरंजीवी योजना, कामधेनु बीमा समेत तमाम याेजनाओं के लिए सरकार ने रजिस्ट्रेशन अनिवार्य कर दिया था। तब विपक्ष ने आलाेचना भी की थी कि अगर सरकार सिर्फ फायदा ही देना चाहती है ताे प्रत्येक व्यक्ति का डाटा सरकार के पास है और वाे उस डाटा के आधार पर लाेगाें काे फायदा पहुंचा सकती है, लेकिन सरकार ने प्रत्येक निकायाें और ग्रामीण इलाकाें में स्थायी/अस्थायी कैंप लगाए।
बीकानेर में जिला प्रशासन ने कैंपाें की जिम्मेदारी निकाय संस्थानाें काे साैंपी। बीकानेर के लिए बजट 65 लाख रुपए तय किया गया। नगर निगम के पास अब बिल जमा हाे रहे हैं तो कैंपों का खर्च धीरे-धीरे सामने आ रहा है। नगर निगम में अब तक पहुंचे बिल करीब दाे कराेड़ के ऊपर पहुंच गए हैं। ऐसे में ये लाइबिलिटी निगम काे चुकानी भारी पड़ेगी।
वार्डाें में काम कराने के लिए पैसा नहीं है। सड़कों की दुर्दशा हो रही है। सीवरेज से शहर के बुरे हाल हैं। सफाई से भी लोग परेशान हैं। अब चिंता इस बात की है कि जब प्रशासन ने कैंप लगाने के लिए कहा तो उसका भुगतान भी वहीं से होना चाहिए लेकिन टेंडर नगर निगम ने किया है तो भुगतान निगम को ही करना पड़ेगा। प्रशासन की ओर से 60 लाख रुपए ताे मिल गए लेकिन बाकी के लिए निगम इंतजार कर रहा है। दूसरी ओर ठेकेदाराें का दबाव है कि उनका भुगतान करें।
शासन ने टेंडर, वर्कऑर्डर के काम राेकने के दिए आदेश
शुक्रवार काे अतिरिक्त मुख्य सचिव ने एक चाैंकाने वाला आदेश जारी किया। कहा, जहां जाे टेंडर हाे गए और काम शुरू नहीं हुए, अगर वर्क आर्डर भी जारी हाे ताे सारे काम राेक दाे। सरकार के अगले आदेश तक ये काम शुरू ना करें। बताया जा रहा कि सरकार के सामने वित्तीय संकट गहराने लगा है। अतिरिक्त मुख्य सचिव वित्त अखिल अराेड़ा की ओर से जारी आदेश में कहा गया कि जहां टेंडर नहीं हुए लेकिन फाइल चल पड़ी उसे राेक दाे। जिनके टेंडर लग गए वर्क ऑर्डर नहीं दिया वाे काम भी राेक दाे।
वर्कऑर्डर दे दिया फिर भी अगर काम शुरू नहीं हुआ ताे उसे भी राेक दाे। बीकानेर नगर निगम में इस आदेश के बाद जूनागढ़ के पास फर्नीचर वाली सड़क के निर्माण पर अब फिर संकट आ गया। यहां निगम 55 लाख के आदेश जारी कर इस सड़क काे ठीक कराने के लिए टेंडर लगा चुका है। ये सड़क आठ महीने से टूटी पड़ी है। राेज करीब यहां से 50 हजार लाेग निकलते हैं। इसके अलावा वार्ड 39 में जाे 35 लाख का टेंडर लगा वाे भी रुक गया। आचार संहिता के बाद निगम ने और काेई वर्कऑर्डर जारी नहीं किया।
इन क्षेत्राें में इतने हुए थे रजिस्ट्रेशन
- अन्नपूर्णा फूड पैकेट योजना के 3 लाख 14 हजार 524
- मुख्यमंत्री चिरंजीवी दुर्घटना बीमा तथा स्वास्थ्य बीमा योजना में प्रत्येक के 4 लाख 28 हजार 006
- कृषि विद्युत के 29 हजार 870
- घरेलू बिजली के 2 लाख 72 हजार 242
- गैस सिलेंडर योजना के 1 लाख 90 हजार 549
- कामधेनु बीमा योजना के 4 लाख 56 हजार 316
- सामाजिक सुरक्षा पेंशन के 1 लाख 49 हजार 902
- मनरेगा के 2 लाख 56 हजार 715 तथा शहरी रोजगार गारंटी योजना के 26 हजार 924 गारंटी कार्ड जारी हुए
मैं इंतजार कर रहा हूं सरकार एमआरसी का बजट मुहैया कराए। अगर नहीं आएगा ताे निगम ने टेंडर किया ताे भुगतान करना पड़ेगा। 60 लाख रुपए प्रशासन से मिल चुका है। आप जिस ऑर्डर की बात कर रहे वाे भी आ गया है। हमने जाे टेंडर लगाए या वर्कऑर्डर जारी किए उस पर सरकार ने आगामी आदेश तक राेक लगाने के लिए कहा है ताे मैने काम राेक दिए।
केसरलाल मीणा, आयुक्त नगर निगम
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