1064 फ्लैट्स में 700 से ज्यादा पड़े हैं खाली:छतों और कमरों में पड़ गईं दरारें, सीवर लाइन भी जाम
सीवर लाइन जाम। घरों में दरारें, सीलन। चार मंजिला बिल्डिंग के दो ब्लॉक के बीच में नीचे से ऊपर तक बड़ा गैप। बाउंड्री छोटी रात के समय सुरक्षा नहीं। रहने वाले आशंकित। ये हालात हैं स्वर्ण जयंती योजना में आर्थिक रूप से कमजोर और निम्न आय वर्ग के लिए बनाए गए जी प्लस थ्री फ्लैट्स के।
यूआईटी की ओर से सागर रोड पर वीकर सेक्शन के लोगों को सस्ती दरों पर आवास उपलब्ध कराने के लिए वर्ष,2018 में योजना लांच की थी। गुजरात की कंपनी को करीब 40 करोड़ रुपए का ठेका दिया और इन दो केटेगरी के जी प्लस थ्री बिल्डिंग में1064 फ्लैट बना दिए गए। 31 अगस्त, 22 को नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल ने वर्चुअल और शिक्षा मंत्री डॉ. बीडी कल्ला की मौजूदगी में फ्लैट की चाबियां सौंपी गई। उसके बाद से यूआईटी ने इन मकानों की सुध ही नहीं ली।
‘ मौके पर जाकर मुख्यमंत्री आवास योजना के हालात जाने तो सामने आया कि गरीब तबके के लिए बनाए गए मकानों की हालत खस्ता है। वहां रहने वालों को सीवर लाइन, बिजली-पानी के लिए जूझना पड़ रहा है। कुल 1064 फ्लैट बने हैं जिनमें से 250 में ही लोग रहते हैं जबकि 700 से ज्यादा खाली पड़े हैं। इनमें से भी अधिकांश मकान मालिकों ने अपने फ्लैट स्टूडेंट और अन्य लोगों को किराये पर दे रखे हैं। कॉलोनी के लोग अपनी परेशानियों को लेकर प्रशासनिक अधिकारियों से भी मिल चुके हैं, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हो रही है। शशि गुप्ता, सज्जनसिंह, बस्तीराम का कहना है कि यूआईटी, पीडब्ल्यूडी, पीएचईडी, नगर निगम और सोसायटी की एक संयुक्त कमेटी बनाकर मकानों की जांच करवानी चाहिए।
3.17 हेक्टेयर में बनी कॉलोनी, 40 करोड़ में हुआ था टेंडर
यूआईटी की स्वर्ण जयंती विस्तार योजना में गरीब तबके के जरूरतमंद लोगों के लिए 3.17 हेक्टेयर क्षेत्र में कॉलोनी तैयार की गई है। इसके लिए यूआईटी ने वर्ष, 18 में टेंडर किया जो करीब 40 करोड़ रुपए में गुजरात की रिदम कन्सट्रक्शन कंपनी के नाम हुआ। कंपनी को तीन साल में प्रोजेक्ट पूरा करना था। लेकिन, कोरोना के कारण काम रुका और देरी हुई। मुख्यमंत्री जन आवास योजना में यूआईटी को भी करीब 15 करोड़ रुपए का फायदा हुआ है। प्रोजेक्ट की शर्तों के मुताबिक 25 प्रतिशत जमीन यानी तीन बीघा जमीन संबंधित फर्म को दी गई है।
ईडब्ल्यूएस के 512 और एलआईजी के 552 क्वाटर्स
यूआईटी की जी प्लस थ्री बिल्डिंग में आर्थिक रूप से कमजाेर आय वर्ग के लोगों के लिए 512 क्वाटर्स तैयार किए गए हैं। सभी वन बीएचके हैं और प्रत्येक फ्लैट की कीमत 4.67 लाख रुपए थी। निम्न आय वर्ग के लोगों के लिए 552 क्वाटर्स बनाए गए जो 2बीएचके हैं। प्रत्येक की लागत 6.65 लाख रुपए है।
यूआईटी ने क्वाटर्स देने के लिए लॉटरी निकाली थी। करीब 3000 लोगों ने आवेदन किया था। ईडब्ल्यूएस वर्ग के 512 परिवारों को 300 वर्ग फीट के डेढ़ लाख रुपए की सब्सिडी देकर तीन लाख और एलआईजी के 500 वर्ग फीट के 552 परिवारों को 5.10 लाख रुपए में फ्लैट उपलब्ध कराए गए हैं।
एक्सईएन राजीव गुप्ता से मकानों की जांच करवाई गई थी जिसमें क्वालिटी ठीक पाई गई। कुछ कमिंया थीं जो दूर करवा दी गई हैं। रिपेयर-मेंटेनेंस वहां रहने वालों को ही करना होगा। संबंधित फर्म को स्वर्ण जयंती के अलावा मोहतासराय में भी निर्माण का काम दिया गया था। काम में देरी होने पर 64 लाख रुपए की पेनाल्टी लगाई। फर्म ने कोर्ट में क्लेम कर रखा है। – यशपाल आहूजा, यूआईटी सचिव
सूरत-ए-हाल
- सीवरेज जाम की सबसे बड़ी समस्या जिससे गंदा पानी फैल रहा है। रसोई का पानी भी मुश्किल से निकल पाता है
- बिल्डिंग के दो ब्लॉक की दीवारें सटी हैं जिनके बीच में नीचे से लेकर ऊपर तक गेप छोड़ रखा है। इस गेप में बारिश के दौरान पानी भर जाता है जिससे घरों में सील आने लगती है
- घरों के दरवाजे छोटे बनाए गए हैं जिनके नीचे से जानवरों के घर में घुसने का डर बना रहता है
- गरीब तबके के लोगों के लिए मकान बनाए गए हैं जो संपन्न परिवारों ने हासिल कर लिए। ऐसे लोगों के घरों में एसी लगे हैं
- सुरक्षा का कोई इंतजाम नहीं है। कॉलोनी में प्रवेश के चार मुख्य द्वार हैं जिनमें से तीन बंद पड़े हैं। एकमात्र गार्ड है जो पर्याप्त नहीं
- चारदीवारी छोटी है। रात के समय असामाजिक तत्व दीवार फांदकर कॉलोनी में आ जाते हैं। सामान चोरी की घटनाएं हो चुकी हैं
- पूरी कॉलोनी में एकमात्र पार्क डवलप किया है जो पर्याप्त नहीं
- फ्लैट की छतों पर क्रैक, दरारें
- भाजपा सरकार के समय शिलान्यास और कांग्रेस सरकार के समय चाबियां सौंपने के पत्थर लगे हैं, लेकिन कॉलोनी का नामकरण नहीं
Add Comment