बॉर्डर एरिया में घना कोहरा, कैसे घुसपैठ रोक रही BSF:नदियों के रास्ते आ सकते हैं पाकिस्तानी आतंकी, जवानों को स्नाइपर्स से खतरा
सुबह के 8 बजे हैं, जम्मू के अखनूर में टेम्प्रेचर करीब 5 डिग्री सेल्सियस है। ये भारत-पाकिस्तान का बॉर्डर है। रात भर ड्यूटी करने वाले बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स, यानी BSF के जवान बैरक में लौट रहे हैं। बॉर्डर पोस्ट पर उनकी जगह दूसरे जवानों ने ले ली है। कोहरा इतना घना है कि 3-4 मीटर दूर तक देखना भी मुश्किल है। ठंड के मौसम में पाकिस्तान की तरफ से घुसपैठ का खतरा रहता है, इसलिए टेक्निकल सर्विलांस की टीम बॉर्डर पर होने वाली हर एक्टिविटी कम्प्यूटर स्क्रीन पर मॉनिटर कर रही है।
ये इलाका जंगल, पहाड़ियों और नदियों वाला है। इसलिए आतंकियों के छिपने और घुसपैठ के लिए ये जगह मुफीद है। अखनूर के खौर में इंटरनेशनल बॉर्डर पर 23 दिसंबर, 2023 को घुसपैठ की कोशिश हुई थी। हालांकि आतंकी घुसपैठ नहीं कर पाए। भारतीय फोर्स के जवानों ने एक आतंकी को मार गिराया।
इस घटना के बाद की टीम अखनूर सेक्टर की एक बॉर्डर पोस्ट पर पहुंची। सर्दियों में पाकिस्तान बॉर्डर से सटे इलाकों में तापमान जीरो डिग्री सेल्सियस के करीब पहुंच जाता है। हमने अफसरों और जवानों से बात कर जाना कि वे कोहरे के बीच घुसपैठ कैसे रोकते हैं। मुश्किल हालात में ड्यूटी कैसे करते हैं और ठंड से बचने के लिए उनके पास क्या इंतजाम हैं। पढ़िए पूरी रिपोर्ट-
पाकिस्तानी घुसपैठिए फेंसिंग काटकर बॉर्डर पार करने की कोशिश करते हैं
बॉर्डर पोस्ट पर मौजूद एक अधिकारी बताते हैं, ‘कोहरे और धुंध में हमारा चैलेंज बढ़ जाता है। पाकिस्तान की तरफ से घुसपैठिए फेंसिंग काटकर घुसने की कोशिश करते हैं। नाइट विजन कैमरे के अलावा सेंसर से भी हम उनकी एक्टिविटीज को ट्रैक करते हैं।’
कोहरे और धुंध की वजह से विजिबिलिटी कम हो जाती है। घुसपैठिए इसी समय फेंसिंग काटकर भारत में आ जाते हैं।
आतंकी हमलों के बाद बॉर्डर पर BSF अलर्ट
अखनूर में घुसपैठ की कोशिश से दो दिन पहले 21 दिसंबर, 2023 को जम्मू डिवीजन के ही राजौरी में आतंकी हमला हुआ था। सुरनकोट तहसील के डेरा की गली इलाके में आतंकियों ने घात लगाकर आर्मी की एक टुकड़ी पर हमला कर दिया था। इसमें 4 जवान शहीद हो गए थे। सेना ने सर्च ऑपरेशन चलाया, लेकिन आतंकियों का पता नहीं चला।
जम्मू-कश्मीर में अप्रैल, 2023 से दिसंबर 2023 तक सिक्योरिटी फोर्स और आतंकियों के बीच 10 से ज्यादा बार मुठभेड़ हुई है। इसके बाद जम्मू, सांबा और कठुआ डिस्ट्रिक्ट के आसपास की चौकियों पर BSF ने चौकसी बढ़ा दी है।
घने कोहरे के बीच घुसपैठ की आशंका को देखते हुए जवानों को अलर्ट पर रखा गया है।
राजौरी में हमले के बाद 24 दिसंबर 2023 को BSF के स्पेशल डीजी योगेश बहादुर खुरानिया ने जम्मू फ्रंटियर में BSF के IG डीके बूरा से राजौरी के हालात और सुरक्षा इंतजामों की जानकारी ली थी। स्पेशल डीजी ने सुंदरबनी और राजौरी सेक्टर में बॉर्डर के आसपास BSF की तैयारियों का रिव्यू किया था। उन्होंने BSF के सेक्टर और बटालियन कमांडर्स से बात कर सिक्योरिटी बढ़ाने को कहा था।
24 दिसंबर 2023 को BSF के स्पेशल डीजी योगेश बहादुर खुरानिया, IG डीके बूरा के साथ राजौरी में सुरक्षा इंतजाम देखने पहुंचे थे।
कोहरे में घुसपैठ का खतरा, पाकिस्तानी स्नाइपर्स के निशाने पर जवान
पाकिस्तान की तरफ से घुसपैठ करने वाले आतंकी ठंड और कोहरा घना होने का इंतजार करते हैं। ठंड के मौसम में घाटी में बर्फबारी होने से उत्तरी कश्मीर के रास्ते से बॉर्डर पार करना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में घुसपैठिए जम्मू की तरफ से बॉर्डर पार करने की फिराक में रहते हैं।
हम अखनूर में BSF की बॉर्डर पोस्ट पर पहुंचे। यहां कंपनी कमांडर रैंक के एक अधिकारी से मुलाकात की। सुरक्षा कारणों की वजह से हम अधिकारी का नाम नहीं लिख रहे हैं। अधिकारी बताते हैं, ‘सर्दियों में घना कोहरा हो जाता है। ऐसे में निगरानी करना ज्यादा चैलेंजिंग हो जाता है।’
‘हम बॉर्डर पर पेट्रोलिंग के लिए निकलते हैं, तो पाकिस्तान रेंजर्स के स्नाइपर्स के निशाने पर भी होते हैं। कई बार घुसपैठियों को बॉर्डर से एंट्री कराने के लिए वे फायरिंग करते हैं। हमें अलर्ट रहते हुए घुसपैठ रोकना होता है।’
ओवर ग्राउंड वर्कर्स का नेटवर्क आतंकियों से ज्यादा खतरनाक
सितंबर, 2019 में सुरक्षा एजेंसियों ने इनपुट दिया था कि घाटी में 6 हजार से ज्यादा ओवर ग्राउंड वर्कर्स हैं। ये आम लोगों के बीच छिपकर रहते हैं। सिक्योरिटी फोर्सेस के मुताबिक ऐसे लोग आतंकियों से ज्यादा बड़ा खतरा हैं।
ये एक तरह से उनके स्लीपर सेल की तरह काम करते हैं। कब घुसपैठ करनी है, बॉर्डर पार करने के बाद किधर जाना है, हथियार कहां छिपाने हैं और खाने-पीने का इंतजाम कैसा होगा, ये सारे काम ओवर ग्राउंड वर्कर्स ही करते हैं। वही इनपुट देते हैं कि सिक्योरिटी फोर्स की टुकड़ी कब और कहां मूव कर रही है।
अखनूर पोस्ट पर मिले BSF अधिकारी बताते हैं, ‘बॉर्डर के आसपास फॉग इतना होता है कि स्पेशल डिवाइस के बगैर कोई भी रास्ता भूल जाए। ऐसे वक्त में ओवर ग्राउंड वर्कर्स ही घुसपैठियों की मदद करते हैं। लोकल होने की वजह से इन्हें पूरे इलाके का पता होता है। वे आसानी से घुसपैठियों को बचाकर निकाल ले जाते हैं।’
‘सिंधु, चिनाब, रावी और झेलम नदियां पाकिस्तान तक बहती हैं। सर्दियों के मौसम में नदियों के आसपास काफी कोहरा होता है। आतंकी इसी का फायदा उठाकर नदियों के जरिए हमारे इलाके में आ जाते हैं। उन्हें पाकिस्तानी रेंजर्स से सपोर्ट मिलता है। फिर वे ग्राउंड वर्कर्स की मदद से जंगलों में बनी गुफाओं में छिप जाते हैं।’
ड्रोन माउंटेड रडार से सुरंगों का पता लगा रही BSF
2020 से 2022 तक BSF ने बॉर्डर पर करीब 5 सुरंगों का पता लगाया। इनकी कुल लंबाई करीब 192 किमी थी। BSF अधिकारी बताते हैं, ‘जनवरी, 2023 से हम सुरंगों का पता लगाने के लिए ड्रोन माउंटेड रडार इस्तेमाल कर रहे हैं। घने कोहरे में हम फेंसिंग के आसपास के इलाकों में पेट्रोलिंग करते हैं।’
‘हर बॉर्डर आउटपोस्ट के पास 2 से 3 किमी का इलाका होता है। यहां तैनात जवान एक शिफ्ट में 2 से 4 घंटे की ड्यूटी करते हैं। वे नाइट विजन डिवाइस और फेंसिंग पर लगे सेंसर की मदद से नजर रखते हैं। घुसपैठिए फेंसिंग काटते हैं, तो हमें सेंसर से पता चल जाता है। फिर पेट्रोलिंग यूनिट को सूचना दी जाती है।’
जम्मू, सांबा और कठुआ के इलाके ज्यादा सेंसिटिव
BSF अधिकारी बताते हैं, ‘हमने पहले ही सेंसिटिव इलाकों की पहचान कर ली है, जहां से घुसपैठ की कोशिश हो सकती है। जम्मू, सांबा और कठुआ के इलाके ज्यादा संवेदनशील हैं। इनमें सांबा के रामगढ़ का बड़ा इलाका, कठुआ का हीरानगर, जम्मू में रणबीर सिंह का पुरा, अरनिया, अखनूर शामिल है।’
‘ऐसे इलाकों में फेंसिंग के पास जाने वाले जवानों को ज्यादा अलर्ट रहने के लिए कहा जाता है। फेंसिंग के पास पेट्रोलिंग रिस्की है क्योंकि जवान सीधे दुश्मन की स्नाइपर यूनिट के निशाने पर होते हैं। 8 नवंबर, 2023 को पेट्रोलिंग के दौरान एक जवान स्नाइपर्स की गोली से शहीद हो गया था।’
ठंडे इलाकों में जवानों के लिए स्पेशल यूनिफॉर्म, कमरे में हीटिंग का इंतजाम
BSF अधिकारी बताते हैं, ‘जिन इलाकों में तापमान जीरो डिग्री सेल्सियस के करीब पहुंच जाता है, वहां जवानों को स्पेशल यूनिफॉर्म दी जाती है। उनकी बैरक में हीटिंग का इंतजाम रहता है। हर पोस्ट पर जवानों के लिए रिलैक्सेशन रूम है। खाली समय में उन्हें योग, एक्सरसाइज और खेलकूद के लिए कहा जाता है।’
‘पोस्ट पर जवानों के एंटरटेनमेंट के लिए इनडोर गेम्स और टीवी का इंतजाम है। कई बार बाहर गेम खेलना मुश्किल होता है, ऐसे में इनडोर गेम्स खेलकर जवान खुद को तनाव से दूर रखते हैं।’
बॉर्डर पोस्ट पर BSF जवानों के रहने के लिए टीनशेड की बैरक बनी होती है। बैरक के अंदर ठंड में हीटिंग का भी इंतजाम किया जाता है।
सर्दियों का अलग डाइट चार्ट, न्यूट्रिशन का खास ख्याल
BSF अधिकारी बताते हैं, ‘सर्दियों में जवानों का डाइट चार्ट ऐसे तैयार किया जाता है कि उन्हें भरपूर प्रोटीन और न्यूट्रिशन मिल सके। इसके लिए सब्जी, दाल, अंडा और मीट परोसा जाता है। डाइट चार्ट तैयार करने में एक्सपर्ट की मदद ली जाती है।’
‘डाइट चार्ट के अलावा भी अगर जवान पसंदीदा खाने की फरमाइश करें, तो उसे पूरा करने की कोशिश की जाती है। एक जवान की पूरे महीने की डाइट पर करीब 3800 रुपए खर्च किए जाते हैं।’
‘जहां तापमान ज्यादा नीचे चला जाता है, वहां लिक्विड डाइट बढ़ा देते हैं। यहां सूप और खाने का सामान टीन के डिब्बों में भेजा जाता है। इन्हें गर्म करके तुरंत खाना या पीना पड़ता है। इन इलाकों में चॉकलेट और ड्राईफ्रूट्स सबसे आसानी से खाने वाली चीजें होती हैं।’
एक साल में बॉर्डर से घुसपैठ पूरी तरह रोकी
जम्मू फ्रंटियर के IG डीके बूरा के मुताबिक, 2022 में पाकिस्तान की तरफ से घुसपैठ की 7 कोशिशें हुई थीं, सभी में घुसपैठियों को उनके गाइड के साथ मार गिराया गया।’
IG डीके बूरा बताते हैं, ‘घुसपैठियों से 4 एके असॉल्ट राइफल, 7 पिस्टल और करीब 50 किलो हेरोइन जब्त की गई। 2021 में BSF ने जम्मू में पाकिस्तान बॉर्डर पर 5 घुसपैठियों को मार गिराया था। 3 घुसपैठिए पकड़े गए थे। 2021 में ही बॉर्डर के पास 2 सुरंगें मिली थीं, जिन्हें बंद कर दिया गया।’
‘घुसपैठिए कभी-कभी बूबी ट्रैप बिछाकर ब्लास्ट की कोशिश करते हैं। बूबी ट्रैप मतलब जवानों के रूट पर IED प्लांट करके विस्फोट करना होता है। ऐसे हालात से निपटने के लिए हम जवानों के मूवमेंट से पहले एडवांस डिवाइस से जांच करते हैं।’
जवानों के मूवमेंट से पहले बूबी ट्रैप यानी IED का पता लगाने के लिए BSF की स्पेशल यूनिट रास्तों की जांच के लिए जाती है।
सीमा पार से उकसावे वाली फायरिंग के जवाब में क्या कार्रवाई की जाती है? डीके बूरा कहते हैं, ‘8 नवंबर को पाकिस्तानी रेंजर्स ने रामगढ़ और अरनिया सेक्टरों में फायरिंग की थी। इसमें हमारी अग्रिम सीमा चौकी पर तैनात एक जवान शहीद हुआ था। हमारे सैनिकों ने जवाब में जो कार्रवाई की, उससे उस तरफ बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ था।’
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